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Nagpur Lok Sabha Seat Result : गडकरी की विकासवादी छवि के आगे पटोले हुए पस्‍त

Lok Sabha Election Result 2019 नागपुर लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 660221 वोटों से जीत हासिल की है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 23 May 2019 12:21 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 10:03 AM (IST)
Nagpur Lok Sabha Seat Result : गडकरी की विकासवादी छवि के आगे पटोले हुए पस्‍त
Nagpur Lok Sabha Seat Result : गडकरी की विकासवादी छवि के आगे पटोले हुए पस्‍त

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Lok Sabha Election Result 2019 नागपुर लोकसभा सीट (Nagpur Lok Sabha Seat) से केंद्रीय परिवहन, जहाजरानी व सिंचाई मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) 660221 मतों की भारी संख्या से जीत गए है। गडकरी ने नागपुर लोकसभा सीट से पहली बार साल 2014 में लोकसभा चुनाव जीता था। तब उन्‍होंने चार बार सांसद रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विलास मुत्तेमवार को पटखनी दी थी। वह साल 2014 में भाजपा के टिकट पर नागपुर से चुनाव जीतने वाले पहले गैर कांग्रेसी नेता थे। गडकरी के मुकाबले में कांग्रेस के नाना पटोले (Nana Patole) हैं जो काफी मतों के साथ पीछे चल रहे हैं।

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विकास पुरुष की छवि ने किया कमाल
इस चुनाव में गडकरी अपनी विकासवादी छवि के सहारे चुनाव मैदान में थे। भाजपा अध्यक्ष के तौर पर काम कर चुके गडकरी अपनी इस छवि का लोहा तो साल 1995 से 1999 के बीच महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री रहते हुए मनवा चुके थे। मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे, बांद्रा-वर्ली सी लिंक एवं अत्यंत कम अवधि में मुंबई जैसे व्यस्त महानगर में बने 55 फ्लाईओवरों को उन्हीं का करिश्मा माना जाता है। यही नहीं नागपुर में हाल ही में शुरू हुए मेट्रो का काम हों, सीमेंट से बनी सड़कें, या दूसरी विकास परियोजनाएं, पिछले पांच वर्ष में हुए काम उन्‍होंने लोगों के बीच गिनाए हैं।

भ्रष्टाचार के आरोपों का दांव पड़ा भारी
चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार नाना पटोले ने लोगों के बीच गडकरी के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार का दावा कर रहे थे। पटोले सीमेंटेड सड़कें हों, या बायो फ्यूल से चलने वाली बसें, या मेट्रो सबमें भ्रष्टाचार का दावा किया था। उन्‍होंने चुनाव प्रचार के दौरान नागपुरवासियों के बीच संपत्ति कर में वृद्धि, म्यूनिसिपल दुकानों के किराए में वृद्धि, जैसे स्थानीय मुद्दों को खूब उछाला था। यही नहीं नागपुर में हुई कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा ने भी उनका उत्साह बढ़ाया था। लेकिन, ये सारी तरकीबें फेल होती नजर आ रही हैं।

दूसरे दलों की रणनीति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय रहा नागपुर में सवर्ण और दलित मतदाताओं की संख्‍या निर्णायक है। इस क्षेत्र में डॉ. भीमराव आंबेडकर के रिपब्लिकन आंदोलन का भी अच्छा असर रहा है। यही कारण है कि लोकसभा चुनावों में कई बार रिपब्लिकन नेता दूसरे स्थान पर रहे हैं। इस बार बसपा और प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाड़ी का हिस्सा एमआइएम,दोनों दलों ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। इससे कांग्रेस को नुकसान होने की आशंका थी, दलित मतदाता दुविधा में पड़ा, जिसका सीधा फायदा गडकरी को मिलता नजर आ रहा है।

बाहरी होने का खामियाजा
नागपुर के लोगों के लिए नाना पटोले बाहरी उम्मीदवार हैं। उनके पिछड़ने की एक वजह यह भी मानी जा रही है। पिछला लोकसभा चुनाव उन्होंने विदर्भ की गोंदिया-भंडारा सीट से भाजपा के टिकट पर जीता था। फिर तीन साल भाजपा के सांसद रहने के बाद असंतुष्ट होकर संसद की सदस्यता के साथ साथ भाजपा से इस्‍तीफा दे दिया था। सियासी करियर के शुरुआती दिनों में दो बार कांग्रेस के विधायक रहे पटोले फिर से कांग्रेस में लौट गए थे। वहीं गडकरी से पिछला चुनाव हारने वाले कांग्रेस के विलास मुत्तेमवार चुनावी मैदान से बाहर रहते हुए पटोले का समर्थन कर रहे हैं।  

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