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जनसभा में माया मिटाती दिखीं लाल और नीली टोपी का भेद

शायद यह पहला मौका था जब एक मंच पर लाल-नीली टोपियों के साथ तीन सियासी दलों के प्रतीक चिह्न चमक रहे थे।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 01:47 AM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 11:56 AM (IST)
जनसभा में माया मिटाती दिखीं लाल और नीली टोपी का भेद
जनसभा में माया मिटाती दिखीं लाल और नीली टोपी का भेद

मुरादाबाद [अनिल अवस्थी]। शायद यह पहला मौका था जब एक मंच पर लाल-नीली टोपियों के साथ तीन सियासी दलों के प्रतीक चिह्न चमक रहे थे। इस सियासी खिचड़ी को स्वादिष्ट बनाने के लिए बसपा प्रमुख मायावती ने एकजुटता का तड़का लगाया। उनका पूरा जोर दोनों टोपियों का भेद मिटाने पर रहा। आपसी गुटबाजी की खबरों से ङ्क्षचतित माया ने समर्थकों को सतर्क करने के साथ ही प्रत्याशी पर लग रहे आरोपों का खंडन भी किया।

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बदले समीकरणों के बीच हुआ आगमन
बसपा सुप्रीमों का एक लंबे अंतराल के बाद एकदम बदले समीकरणों के बीच अमरोहा आगमन हुआ। पिछले विधानसभा चुनावों में भी वह यहां नहीं आई थीं। नीले झंडे व नीली टोपियों वाले समर्थकों के साथ आज उन्हें सुनने के लिए लाल टोपियां भी चमक रही थीं। मंच पर भी लाल-नीली टोपियों का मिश्रण था। दोनों टोपियों की भारी तादात देखकर माया आह्लादित हुईं। दोनों दलों के साथ ही रालोद कार्यकर्ताओं के उत्साह को देखकर वह संतुष्ट तो हुईं मगर सशंकित मन से। इससे जाहिर हो गया कि उनके पास दलों के गठबंधन के बावजूद दिलों के तालमेल में कसर रहने की खबरें पहुंच रही हैं। शायद इसीलिए उन्होंने मंच पर सपा के कद्दावर नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री महबूब अली की पीठ थपथपाकर एकजुटता का संदेश दिया।

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कहा-कहीं कोई गुटबाजी नहीं
उन्होंने अपने संबोधन में कहा भी कि कहीं कोई गुटबाजी नहीं है, सब एक हैं और एकजुट होकर गठबंधन प्रत्याशी को चुनाव लड़ा रहे हैं। फिर ङ्क्षचता जताते हुए कहा कि जीत के लिए सत्ता पक्ष साम, दाम, दंड, भेद अपनाएगा, मगर आप लोग होशियार रहना। एक खबर का हवाला देते हुए कहा कि एक छोटे अखबार ने छाप दिया कि गठबंधन प्रत्याशी दानिश अली दलितों से हाथ मिलाने के बाद हाथ धोते हैं।

इस तरह दी सफाई
सफाई दी कि अगर वह दलित विरोधी मानसिकता के होते तो बसपा से चुनाव क्यों लड़ते। कहा कि ऐसी ही और भी भ्रामक खबरें फैलाई जाएंगी, मगर आप लोग झांसे में मत आना। इस तरह वह जहां सपा-बसपा व रालोद के समर्थकों की भीड़ देखकर संतुष्ट नजर आईं वहीं संगठन के दलों में सेंध की आशंका के खौफ से ङ्क्षचतित भी दिखीं।

जिले के नाम पर रहीं खामोश
बसपा प्रमुख मायावती ने अमरोहा से अपना करीबी नाता बताया। लोगों को याद भी दिलाया कि उन्होंने ही इसे जिले का दर्जा दिया था, जिससे यहां विकास हो सका। मगर उन्होंने अमरोहा के नाम पर एक शब्द भी नहीं बोला। मालूम हो कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अमरोहा को जिले का दर्जा देने के बाद इसका नाम जेपी नगर रख दिया था। मगर जब प्रदेश में सपा की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इसका नाम बदलकर अमरोहा कर दिया। इसको लेकर दोनों पार्टियों में तलवारें भी खिचीं थीं। यही वजह है कि मौके की नजाकत को भांपते हुए मायावती इस विषय पर चुप्पी साध गईं। 

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