Lok Sabha Election 2019: बैकफुट पर नक्सली, वसूले गए 100 करोड़ बर्बाद
Lok Sabha Election 2019. नोटबंदी और चौतरफा दबिश ने झारखंड में नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। एनआइए झारखंड पुलिस आयकर व ईडी की मार ने नक्सलियों का अर्थतंत्र ध्वस्त किया।
रांची, राज्य ब्यूरो। Lok Sabha Election 2019 - लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, अब नक्सलियों का भय नहीं सताएगा। नक्सली बैकफुट पर हैं और चुनिंदा जगहों पर इक्का-दुक्का ही बचे हैं। इनकी कमर पहले ही टूट चुकी है। वर्ष 2016 के बाद से ही नक्सलियों की चौतरफा घेरेबंदी का लाभ पुलिस को मिला है। नोटबंदी की घोषणा मात्र से ही अधमरे हो चुके नक्सलियों पर पुलिस के ऑपरेशन भारी पड़े हैं। खुफिया सूत्रों की मानें तो नोटबंदी से नक्सलियों के 100 करोड़ रुपये बर्बाद हो गए।
इस फैसले से नक्सलियों के विरुद्ध चल रहे अभियान का पूरा फायदा मिला। अर्थतंत्र टूटने से बौखलाहट में नक्सली लेवी या लूटपाट करते हैं और पुलिस के हाथों पकड़े जाते हैं। देश में आठ नवंबर 2016 को जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 व 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की, काला धन रखने वालों में भूचाल आ गया। सर्वाधिक समस्या नक्सलियों को हुई, जो करोड़ों रुपये खपा न सके। नए हथियार, गोला-बारूद तक नहीं खरीद सके और ना ही बैंकों में भी जमा नहीं कर सके।
नोटबंदी के बाद सभी जांच एजेंसियां एक साथ सक्रिय हो गईं। राज्य में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने नक्सलियों के काले धन वाले कांडों को टेकओवर करना शुरू कर दिया। झारखंड पुलिस, आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय ने मिलकर नक्सलियों के अर्थतंत्र पर नकेल कसनी शुरू कर दी। नतीजा यह हुआ कि नक्सलियों का सुरक्षा कवच टूटने लगा। वे या तो झारखंड छोड़कर भाग निकले, पकड़े गए या मारे गए। अब स्थिति यह है कि झारखंड में नक्सलियों का लगभग सफाया हो चुका है।
शीर्ष नेतृत्व के कमजोर पडऩे के बाद निचले स्तर के नक्सली व उग्रवादी अपने मंसूबे में सफल नहीं हो पा रहे हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस वर्ष एक जनवरी 2019 से अब तक राज्य में 15 छोटे-बड़े नक्सली मारे जा चुके हैं। एक महिला नक्सली सहित पांच नक्सली पकड़े जा चुके हैं। वहीं, दो नक्सलियों ने इस साल आत्मसमर्पण किया है।
नक्सलियों की गोलियों से थर्राने वाले बूढ़ा पहाड़ पर एक करोड़ के इनामी अरविंद जी की मौत के बाद सेंट्रल कमेटी सदस्य एक करोड़ के इनामी सुधाकर ने कमान संभाली थी। पुलिस की दबिश और जान पर आफत देखकर सुधाकर भी वापस लौटने को विवश हो गया। उसने अपनी पत्नी 25 लाख की इनामी नीलिमा के साथ अपने गृह राज्य तेलंगाना में वहां की पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
यहां-यहां पकड़े गए थे रुपये, अब एनआइए कर रही है जांच
- दस नवंबर 2016 : नोटबंदी के दो दिन बाद ही उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप के 25 लाख रुपये के पुराने नोट को बेड़ो के एक बैंक में जमा करने के दौरान पुलिस ने एक सहयोगी को पकड़ा था। इसी वर्ष 21 फरवरी को एनआइए ने गोप के सहयोगियों के बंगाल-झारखंड के 10 ठिकानों को छापेमारी कर भारी नकदी की बरामदगी की थी।
- 21 दिसंबर 2016 : नोटबंदी के बाद लातेहार के बालूमाथ में तीन लाख रुपये के पुराने नोट के साथ चार लोग पकड़े गए थे। इनके पास से 26 लाख 34 हजार 470 रुपये 62 पैसे के डिपोजिट स्लीप भी मिले थे। जिनकी गिरफ्तारी हुई थी, उनमें छोटू खेरवार उर्फ सुजीत खेरवार, उर्फ छोटू जी उर्फ बिरजू सिंह उर्फ छोटू सिंह उर्फ ब्रिजमोहन सिंह उर्फ बिरजू गंझू उर्फ छोटू दा, संतोष उरांव, ललिता देवी व रोशन उरांव शामिल थे। इनके विरुद्ध एनआइए चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है।
शीर्ष नक्सली जो हो चुके हैं भूमिगत, अब नहीं दिखती सक्रियता
- एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस व मिसिर बेसरा, 25 लाख के इनामी असीम मंडल, चमन, अनल दा, लालचंद हेम्ब्रम, रघुनाथ हेम्ब्रम, अजीत उरांव उर्फ चार्लिस, संदीप यादव, अजय महतो, दिनेश गोप, नरसन्ना, 15 लाख के इनामी संजय महतो, बुद्धेश्वर उरांव, नवीन, छोटू जी, मार्टिन केरकेट्टा, रमेश गंझू, मोछू, आक्रमण, मुकेश, जिदन गुडिय़ा, कृष्णा हांसदा, पिंटू राणा, मुराद जी, भवानी उर्फ सुजाता, रामप्रसाद मार्डी सहित करीब 200 उग्रवादी-नक्सली शामिल हैं।
तीन साल में 1500 नक्सली गिरफ्तार, 96 ने किया आत्मसमर्पण
तीन साल में राज्य में 1533 नक्सली गिरफ्तार किए हैं, जबकि 96 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। जब खुद के पास या परिवार को खाने के लाले पड़े तो नक्सलियों को मुख्य धारा में लौटने की सूझी और वे मुख्य धारा में लौटने को विवश हुए। गिरफ्तार नक्सलियों में शीर्ष व इनामी नक्सलियों की संख्या 168 है।