loksabha election 2019: देश की कई सीटें जहां एक ही प्रोफेशन के लोग हैं आमने-सामने
देश में कई लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां एक ही प्रोफेशन के लोग आमने-सामने हैं। जहां जयपुर ग्रामीण पर खिलाड़ी वर्सेज खिलाड़ी है पुरी पर पार्टी प्रवक्ता वर्सेज पार्टी प्रवक्ता है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। देश में कई लोकसभा की सीटें ऐसी हैं जहां एक ही प्रोफेशन के लोग आमने-सामने हैं। जहां जयपुर ग्रामीण सीट पर खिलाड़ी वर्सेज खिलाड़ी है, वहीं ओडिसा की पुरी सीट पर पार्टियों के प्रवक्ता आमने-सामने हैं। पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर फिल्म जगत से जुड़ी दो हस्तियां आमने-सामने हैं।
जयपुर ग्रामीण सीट: खिलाड़ी वर्सेज खिलाड़ी
राजस्थान की जयपुर ग्रामीण सीट से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री राज्य वर्धन राठौड़ के मुकाबले कांग्रेस ने ओलंपियन कृष्णा पुनिया को उतारा है। इस चुनाव में जयपुर ग्रामीण सीट पर खिलाड़ी वर्सेज खिलाड़ी का मुकाबला होने जा रहा है। डिस्कस थ्रो खिलाड़ी कृष्णा पुनिया तीन बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। कृष्णा पुनिया 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों में डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीत चुकीं हैं। कृष्णा पुनिया दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनाव में हार गई थीं लेकिन पूनिया इस वक्त राजस्थान के सादुलपुर से विधायक हैं। वहीं राज्यवर्धन राठौड़ ने 2004 के एथेंस ओलंपिक में डबल ट्रैप निशानेबाजी में भारत के लिए रजत पदक जीता था। राठौड़ वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में दो बार स्वर्ण जीत चुके हैं। उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में भी दो बार स्वर्ण हासिल कर देश का मान बढ़ाया है।
राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि यह अच्छी बात है कि खिलाड़ी भी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। खिलाड़ी होने के कारण वे अनुशासित और अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र रहते हैं। जयपुर ग्रामीण से पहली बार संसद में आए राठौड़ ने कहा कि वे काम में विश्वास करते हैं और यह अच्छे नेता की निशानी है।
कृष्णा पूनिया ने कहा कि यह सही है कि हम एथलीट हैं लेकिन यह लड़ाई दो विचारधाराओं की है। 2014 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा गया। झूठे वादे किए गए और झुमलेबाजी में समय निकल गया। मैं एक साधारण किसान परिवार से आई हूं और लोकसभा चुनाव में आम आदमी से जुडे मुद्दे मेरी प्राथमिकाओं में शामिल है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव लोकतंत्र की रक्षा के लिये है। समाज का हर तबका चाहे वो युवा हो, महिला हो, किसान हो विकास चाहता है और मुद्दे आधारित राजनीति चाहता है और केवल झुमलेबाजी नहीं चाहिए। किसानों को अपने उत्पाद का सही मूल्य और युवाओं को रोजगार चाहिए। मैं यह चुनाव उन्हीं वास्तविक मुद्दों पर लडूंगी जो आम आदमी से जुडे होंगे।
क्या है सीट का सामाजिक समीकरण
जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट में 9.12 लाख महिला मतदाताओं समेत 19.33 लाख मतदाता है। जाट समुदाय बहुल क्षेत्र में ब्राह्मण, यादव और अनुसूचित जाति के मतदाता भी है। जाट समुदाय से संबंध रखने वाली पूनिया के लिये जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण अनूकूल है। आठ विधानसभा क्षेत्र के जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान में सत्तारूढ कांग्रेस का पांच सीटों पर कब्जा है। दो सीटों पर भाजपा और एक सीट पर निर्दलीय विधायक ने जीत दर्ज की थी। जबकि 2014 लोकसभा चुनावों में भाजपा के पास पांच सीटें और कांग्रेस के पास दो सीटें थी।
पुरी लोकसभा सीट: पार्टी के प्रवक्ता वर्सेज पार्टी के प्रवक्ता
ओडिसा की पुरी लोकसभा सीट इस बार तीन दलों भाजपा, कांग्रेस और बीजेडी के प्रवक्ता आमने-सामने होंगे। पुरी से एक ओर जहां भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ताल ठोक रहे हैं, वहीं मौजूदा सांसद और बीजेडी के प्रत्याशी पिनाकी मिश्र और कांग्रेस के सत्यप्रकाश नायक भी चुनावी मैदान में हैं। ये तीनों उम्मीदवार अपनी-अपनी पार्टी के प्रवक्ता हैं।
ढाई दशक से पुरी लोकसभा पर है बीजेडी का कब्जा
इससे पहले पुरी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन संबित पात्रा को टिकट मिलने के बाद तमाम चर्चाओं पर विराम लग गया। वहीं कांग्रेस ने पत्रकार से राजनेता बने सत्यप्रकाश पर दांव लगाया है। वहीं बीजेडी ने मौजूदा सांसद पिनाकी मिश्र पर ही भरोसा जताया है। पिछले ढाई दशकों से लगातार पुरी की लोकसभा सीट पर बीजेडी का कब्जा रहा है। पुरी सीट से लगातार पांच बार से बीजेडी जीतती रही है। 1998 में बीजद के ब्रज किशोर त्रिपाठी ने यहां से जीत दर्ज की। इसके बाद वह लगातार तीन बार 1999 और 2004 में इस सीट से जीते। वहीं 2009 और 2014 में बीजेडी से पिनाकी मिश्र सांसद चुने गए। हालांकि, 2019 में ओडिसा में भाजपा की सक्रियता से यहां से नए रुझान मिल रहे हैं।
पुरी लोकसभा सीट में 96 फीसदी हिंदू आबादी है। साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा यहीं से आते हैं। सीट के जातीय समीकरण भी पात्रा के पक्ष में दिखाई दे रहा है। वे खुद ब्राहृाण हैं। साथ ही पुरी सीट ब्राहृाण बहुल है इसलिए भाजपा ने पात्रा पर दांव खेलना उचित समझा।
छह विधानसभा सीटों पर बीजेडी का कब्जा
पुरी लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं। इनमें पुरी, ब्रह्मगिरी, सत्यबाड़ी, पीपली, चिल्का, रनपुर और नयागढ़ शामिल है। सात विधानसभा सीटों में से छह पर बीजेडी का कब्जा है, जबकि सिर्फ एक सीट चिल्का भाजपा के पास है।
आसन सोल लोकसभा सीट: फिल्मी अभिनेत्री वर्सेज फिल्मी गायक
आसनसोल लोकसभा सीट पर फिल्मी दुनिया के लोग आसामने सामने होंगे। भाजपा ने एक बार फिर से केंद्रीय मंत्री और मशहूर गायक बाबुल सुप्रियो को मैदान में उतारा है। 12 मार्च को ममता बनर्जी ने इस सीट से बतौर तृणमूल प्रत्याशी मुनमुन सेन के नाम का एलान किया है।
मुनमुन सेन प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री हैं और इस वक़्त बांकुरा से सांसद हैं। मुनमुन सेन को आसनसोल से उम्मीदवार बनाए जाने पर बाबुल सुप्रियो ने कहा कि ममता जी आसनसोल में हमेशा से उनके खिलाफ सेंसनल (SEN-sational) उम्मीदवार देती रही हैं, चाहे वो 2014 में डोला सेन हो या 2019 में मुनमुन सेन। जबकि माकपा ने गौरांग चटर्जी और कांग्रेस ने बिश्वारुप मोंदल को मैदान में उतारा है। तृणमूल मुनमुन सेन के अलावा तीन और अभिनेत्रियों को उम्मीदवार बनाया है। बीरभूम से शताब्दी रॉय, बशीरघाट से अभिनेत्री नुसरत जहां और जाधवपुर से मिमि चक्रवर्ती टीएमसी की टिकट पर चुनाव लड़ेंगी। शताब्दी बीरभूम से दो बार से सांसद हैं।
2014 का मुकाबला
2014 के चुनावों में आसनसोल लोकसभा सीट पर उनका मुकाबला तृणमूल की डोला सेन से था। यहां अपने पहले ही मुकाबले में उन्होंने जीत हासिल की और डोला सेन को 70 हजार वोटों से हराया। इस चुनाव में बाबुल सुप्रियो को 4,19, 983 वोट, डोला सेन को 3,49, 503 वोट, सीपीआइ के वंसा गोपाल चौधरी को 2,55, 829 वोट, और कांग्रेस की इंद्राणी मिश्रा को 48502 वोट मिले थे। 2005 और 2009 के लोकसभा चुनाव में भी वंसा गोपाल चौधरी जीते थे।
लोकसभा सीट जीतने पर पीएम मोदी ने बाबुल सुप्रियो को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया था और उन्हें शहरी विकास आवास और गरीबी उन्मूलन राज्यमंत्री बनाया। 12 जुलाई 2016 को उनका प्रभार बदल कर उन्हें भारी उद्योग राज्यमंत्री बनाया गया। पिछले पांच साल में बंगाल की राजनीति में बाबुल सुप्रियो लगातार चर्चा में रहे। राज्य में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले को लेकर उनमें और ममता सरकार को खूब ठनी रही।