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Lok Sabha election: मैनिफेस्‍टो में राजनीतिक दलों का डिजिटल अधिकार पर मुख्‍य फोकस

राजनीतिक दलों ने अपने-अपने मैनिफेस्‍टो में लोगों के डिजिटल अधिकार पर मुख्‍य रूप से फोकस किया है। इस प्रस्‍ताव का सिविल सोसाइटी और कार्यकर्ताओं ने स्‍वागत किया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 11:21 AM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 11:21 AM (IST)
Lok Sabha election: मैनिफेस्‍टो में राजनीतिक दलों का डिजिटल अधिकार पर मुख्‍य फोकस
Lok Sabha election: मैनिफेस्‍टो में राजनीतिक दलों का डिजिटल अधिकार पर मुख्‍य फोकस

नई दिल्‍ली, जेएनएन। राजनीतिक दलों ने अपने-अपने मैनिफेस्‍टो में लोगों के डिजिटल अधिकार पर मुख्‍य रूप से फोकस किया है। इस प्रस्‍ताव का सिविल सोसाइटी और कार्यकर्ताओं ने स्‍वागत किया। कांग्रेस ने मैनिफेस्‍टो में पायरेसी से सुरक्षा की बात की है। वहीं तृणमूल कांग्रेस ने डिजिटल फार्म के दुरुपयोग रोकन के लिए चौकसी बरतने पर जोर दिया है। वहीं दूसरी ओर सीपीएम ने बहुआयामी प्रौद्योगिकी के प्रभाव को सीमित करने का प्रस्ताव रखा है। कांग्रेस ने मै‍निफेस्‍टो में कहा है कि कानून पास कर

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लोगों के व्‍यक्तिगत डॉटा और प्राइवेसी की सुरक्षा की जाएगी। इसमें सस्ती दरों पर उच्च गुणवत्ता के इंटरनेट प्रदान करने जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को भी पूरा करने की बात कही गई है। इंटरनेट बंद करने और मनमाने ढंग से इंटरनेट सेवाएं रोकने की शक्तियों का विनियमन किया जायेगा। उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा की जायेगी। पार्टी ने नेट न्यूट्रैलिटी के सिद्धांत को बनाए रखने का वादा किया है, ताकि इंटरनेट बराबर के स्‍तर का खेल मैदान बना रहे।

स्वामित्व वाले सॉफ्टवेयर पर भरोसा करने के लिए बाध्य किये बिना सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने और सरकारी जानकारी का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिये खुले मानकों और स्वतंत्र व मुक्त स्रोत सॉफ्टवेयर के विकास और उपयोग को बढ़ावा देना। एक अन्य मुख्य प्रस्ताव के तहत सभी सरकारी विभागों से सभी गैर-निजी आंकड़ों के सेट को सार्वजनिक रूप में प्रकाशित कराया जायेगा, ताकि नागरिकों को आरटीआई आवेदन किये बिना ही आंकड़ों के इस्तेमाल की अनुमति मिल सके।

साथ ही कहा गया है कि नफरत फैलाने वाले भाषणों तथा फर्जी खबरों का प्रसार रोकने के लिए नियम पारित किये जायेंगे और डिजिटल तथा सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने वालों को दंडित किया जायेगा।

तृणमूल घोषणापत्र की प्रस्तावना में पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी राज्य ने डिजिटल अधिकारों की बात की है। इसके अर्न्‍तगत राज्‍य द्वारा राज्‍य की निगरानी के दुरुपयोग को रोकने और सोशल मीडिया पर प्रभाव डालने वाले भाजपा द्वारा प्रस्तावित "संचार" पर नजर रखने की बात कही गई है। हालांकि सीपीएम ने मैनिफेस्‍टो में उपभोक्ताओं पर दैत्‍याकार प्रौद्योगिकी के प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त गई है।

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के अपार गुप्‍ता ने कहा कि यह दिखाता है कि सरकारों के डिटिजल अधिकार प्राथमिकता बन गए हैं। टेक्‍नोनॉजी के लिए नीति-निर्माण को लेकर सबसे आम शिकायत यह है कि राजनेता यह नहीं जानते कि वे किस बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन पार्टियां इसको लेकर अब सुनने को तैयार हैं।  


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