LokSabha Election 2019: भाजपा को ऐसे नारे की तलाश जो चढ़े लोगों की जुबान पर, मांगे सुझाव
केंद्रीय वित्तमंत्री की अध्यक्षता अरुण जेटली की रविवार को हुई बैठक में चुनावी नारों पर चर्चा हुई और नारे को सरल और आकर्षक बनाने के लिए सुझाव मांगे गए हैं।
आशुतोष झा, नई दिल्ली। 'अबकी बार फिर मोदी सरकार' के भाजपा के चुनावी नारे में बदलाव भी हो सकता है। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए बनी प्रचार प्रसार समिति मानती है कि इस नारे में थोड़ा और बदलाव करते हुए इसे 'एक बार फिर मोदी सरकार' जैसा रूप दिया जाए तो जुबान पर ज्यादा आसानी से चढ़ सके। संभव है कि 16 जनवरी को संभावित समिति की बैठक में इस पर कोई फैसला हो।
सूत्रों की मानी जाए तो पिछले सप्ताह समिति के गठन के बाद से तीन बैठकें हो चुकी हैं। यह तय है कि नेतृत्व और प्रदर्शन पर भी भाजपा का सबसे ज्यादा जोर हो। नेतृत्व को तीन भाग में बांट कर परिभाषित किया जाएगा और उसी रूप मे भाजपा का प्रचार अभियान चलेगा।
नेतृत्व का पहला हिस्सा होगा- नीयत। यह स्पष्ट किया जाएगा कि प्रधानमंत्री की नीयत सवालों से परे है। विपक्ष भी उन पर उंगली नहीं उठा सकता है कि उन्होंने अपने लिए या परिवार के लिए कुछ किया है। राफेल को लेकर विपक्ष ने आरोप जरूर लगाए लेकिन देश की सर्वोच्च अदालत ने साफ कर दिया है कि उनकी नीयत में खोट नहीं है। नेतृत्व का दूसरा आयाम मेहनत होगा। ध्यान रहे कि हाल मे ही संपन्न भाजपा राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मोदी ने कहा कि अगर जनता 12 घंटे काम करेगी तो वह 18 घंटे काम करेंगे। यह भी ऐसा पहलू है जिस पर विपक्ष सवाल नहीं उठा सकता है। और तीसरा पहलू है निर्णायक होने का जो उन्होंने जीएसटी, नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक जैसे फैसलों में दिखाया है। दरअसल भाजपा के पूरे चुनाव अभियान का सबसे अहम पहलू नेतृत्व ही होगा और इसका संकेत खुद प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं।
उन्होंने घर का सेवक चुनने की तर्ज पर देश का प्रधान सेवक चुनने की हिदायत दी थी। राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन्होंने जिस तरह सेवक के लिए जरूरी योग्यताएं गिनाई थी, उससे साफ था कि भाजपा का प्रचार कितना आक्रामक होगा। मजबूत और मजबूर सरकार का नारा भी दरअसल नेतृत्व के पक्ष को आगे रखने के लिए ही होगा।
बताते हैं कि केंद्रीय वित्तमंत्री की अध्यक्षता में रविवार को हुई बैठक में चुनावी नारों पर चर्चा हुई और उसमें माना गया कि 'अबकी बार फिर मोदी सरकार' बोलने में तारतम्य टूटता है। लिहाजा इसे और सरल और आकर्षक बनाने के लिए सुझाव मांगे गए हैं। बुधवार की बैठक में संभवत: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद होंगे और वहीं इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है।