LokSabha Elections 2019 : समीकरण साधने पहली बार मैदान में उतरे दिग्गज
सलेमपुर लोकसभा सीट सभी दलों के लिए प्रतिष्ठा बन गई है। इस सीट पर कांग्रेस से डॉ. राजेश कुमार मिश्र व सपा-बसपा गठबंधन से आरएस कुशवाहा पहली बार ताल ठोंक रहे हैं।
गोरखपुर/देवरिया, पवन कुमार मिश्र। सलेमपुर लोकसभा सीट सभी दलों के लिए प्रतिष्ठा बन गई है। इस सीट पर कांग्रेस से डॉ. राजेश कुमार मिश्र व सपा-बसपा गठबंधन से आरएस कुशवाहा पहली बार ताल ठोंक रहे हैं। उनके चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला रोमांचक हो गया है।
देवरिया के कसिली गांव निवासी व वाराणसी के पूर्व सांसद डा. राजेश पहली बार सलेमपुर से उम्मीदवार हैं। वाराणसी की राजनीति में उनकी दखल है। बीएचयू से राजनीति की शुरुआत करने वाले डॉ. राजेश मिश्र दो बार एमएलसी रहे। एमएलसी रहते ही वाराणसी से 2004 में कांग्रेस से सांसद चुने गए। अब वह अपनी जन्मभूमि से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं। इसी तरह बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा सपा-बसपा गठबंधन से पहली बार ताल ठोंक रहे हैं। वह लखीमपुर-खीरी के रहने वाले हैं। बसपा से वह स्थापना काल से जुड़े थे। वह बसपा के प्रदेश सचिव, महासचिव, मंडल, जोन इंचार्ज, मुख्य जोन इंचार्ज समेत महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने मई,2018 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। वह बसपा से वर्ष 2002 में निघासन लखीमपुर-खीरी से विधायक व 2010-16 तक एमएलसी रह चुके हैं। दोनों नेता राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी हैं, लेकिन सलेमपुर की यह सियासी पिच उनके लिए नई है। भाजपा उम्मीदवार रविंद्र कुशवाहा यहां से दूसरी बार मैदान में है। वह 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से सांसद चुने गए। भाजपा को इस बार भी जहां मोदी मैजिक पर भरोसा है, वहीं कांग्रेस व सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी अपने-अपने पक्ष में समीकरण बनने के दावे कर रहे हैं।
बदले समीकरण पर चुनावी गोटियां बिछाने की जुगत
कुशीनगर में भाजपा, कांग्रेस व सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशियों के मैदान में आ जाने के बाद अब सभी की किस्मत दांव पर है। चुनावी रण में इन दलों से सियासी तलवार म्यान से निकल कर बाहर आ गई है। कौन कामयाब होगा यह तो मतदाता तय करेंगे, लेकिन सियासी चाल तो राजनीति के खिलाड़ी ही चलेंगे। भाजपा से विजय कुमार दूबे मैदान में हैं। कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन ङ्क्षसह उतरे हैं, जो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी होने के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय नेता भी हैं। सपा-बसपा गठबंधन से एनपी कुशवाहा मैदान में हैं जो राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। भाजपा अपनी इस सीट पर कब्जा बनाए रखने के लिए पूरी ताकत झोंकने में लगी है तो वहीं कांग्रेस इस सीट पर फिर से अपने सम्मान को पाने में लगी है। गठबंधन वोटों के ध्रुवीकरण के बल पर जीत हासिल करने की कोशिश में है। इन दलों द्वारा मतों के जोड़तोड़ का खेल, अब सियासी तस्वीर को पूरी तरह गाढ़ा और चुनावी रंग को सुर्ख करता दिख रहा है। 19 मई को मतदान के पूर्व सभी अपनी जीत के लिए हर तरह से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में है।