Loksabha Election 2019 : इस लोकसभा चुनाव में तकनीक के साथ बिछी चुनावी बिसात
देश के चुनावी इतिहास में यह लोकसभा चुनाव कई मायनों में अनोखा रहा है अंतिम दौर के चुनाव प्रचार की समय सीमा समाप्त होने के साथ डिजिटल दुनिया में भी शोर आखिरकार थम गया।
वाराणसी [अभिषेक शर्मा]। देश के चुनावी इतिहास में यह लोकसभा चुनाव कई मायनों में अनोखा रहा है। अंतिम दौर के चुनाव प्रचार की समय सीमा समाप्त होने के साथ डिजिटल दुनिया में भी शोर आखिरकार थम गया। बीते लोकसभा चुनाव में पार्टियों के आइटी सेल से पोस्ट वायरल होते देखना डिजिटल प्रचार में एक बड़ा प्रयोग माना गया। चुनावी गुणा गणित के बीच इस बार फेसबुक लाइव जैसी सुविधाओं ने भीषण गर्मी में चुनाव प्रचार ने वह कलेवर बदला जो देश के चुनावी इतिहास में एक अनोखे प्रचार का मंच बन गया। हालांकि पिछले चुनाव तक मोबाइल पर बल्क एसएमएस ही डिजिटल प्रचार के तौर पर पहचान रखते थे। इस बार शायद ही किसी यूजर के मोबाइल पर चुनाव प्रचार का एसएमएस नजर आया हो।
पूर्व में चुनाव प्रचार के लिए विज्ञापन के माध्यमों का राजनीतिक पार्टियां प्रयोग करती रही हैं। मगर चुनाव में खर्च की सीमा तय होने के बाद विज्ञापनों के खर्च से पार्टियों के लाइव सभाओं ने पार्टियों के खर्चे पर तो लगाम कसा ही साथ ही अधिक से अधिक लोगों के बीच पैठ भी बनाने में सफलता हासिल की। चुनाव प्रचार समाप्त होने के साथ ही राजनीतिक पार्टियों की प्रोफाइल, नेताओं की प्रोफाइल और वाच पार्टियों का शोर भी सोशल मीडिया से थम गया है।
मौसम की मार से राहत : अमूमन राजनीतिक दलों की ओर से जनसभाओं का दौर चुनाव में सामान्य है मगर भीषण गर्मी में जनसभा से दूर रहने वाले वोटरों को रिझाने के लिए पार्टियों की ओर से सोशल मीडिया के इस फीचर का धड़ल्ले से प्रयोग किया गया। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर कभी बसपा की मौजूदगी कम ही दिखती थी मगर इस बार बसपा सुप्रीमो की अमूमन सभी जनसभाएं सोशल मीडिया पर प्रसारित की गईं। वहीं लाइव आयोजनों की वाच पार्टी कुछ इस तरह की गई मानो नोटिफिकेशन की बाढ़ ही आ गई हो।
अपनी बात मास के साथ : इस चुनाव में फेसबुक ने भी कई फीचर एप अपडेशन में जोड़े जिसमें अपने प्रत्याशियों की जानकारी के साथ ही प्रत्याशियों की अपील भी उस कैटेगरी में शामिल की गई। जनसभाओं के अलावा रोड शो और अपनी बात को अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए लोकसभाओं के हैशटैग सभी चरणों में वायरल होते रहे। सोशल मीडिया पर पोस्ट जारी करने के साथ ही अधिकाधिक लोगों तक पहुंच के लिहाज से चौबीसों घंटे प्रचार पर डिजिटल रंग प्रत्याशी चढ़ाने में मुस्तैद रहे। दूसरी ओर डिजिटल प्रचार के तौर पर मतदान समाप्ति तक स्पांसर्ड संदेश भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से खत्म हो जाएंगे।
तकनीकी विशेषज्ञों की सेवाएं : सोशल मीडिया के युवा विशेषज्ञों की भी इस चुनाव में अच्छी खासी डिमांड रही। प्रत्याशियों ने भी डिजिटल दुनिया में अपनी छवि निखारने के लिए विशेषज्ञों को चुनाव प्रचार से जोड़ा। अधिकाधिक वोटरों तक पहुंच बनाने के लिए हर चरण में स्पांसर्ड संदेशों को बूस्ट कराने के लिए भी अच्छी खासी मेहनत सोशल मीडिया पर की गई। चूंकि फेसबुक यूजर्स की संख्या अधिक है लिहाजा यह प्लेटफार्म प्रचार के बड़े मंच के रुप में इस चुनाव में उभरा है। हालांकि अब सातवें चरण की समाप्ति के साथ ही सोशल मीडिया पर चुनावी संदेशों, वाच पार्टी, लाइव और चुनावी संदेशों के नोटिफिकेशन की बाढ़ भी थम जाएगी।
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