Move to Jagran APP

Loksabha Election 2019 : राजनीति के बड़े मैदान में हमारा भी जोरदार कदम, किन्नर हैं हम

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर मां भवानी राजनीतिक मंच तक पहुंचने की तैयारी कर रही हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 04:24 PM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2019 04:36 PM (IST)
Loksabha Election 2019 : राजनीति के बड़े मैदान में हमारा भी जोरदार कदम, किन्नर हैं हम
Loksabha Election 2019 : राजनीति के बड़े मैदान में हमारा भी जोरदार कदम, किन्नर हैं हम

लखनऊ [प्रियम वर्मा]। प्रयागराज में कुंभ के दौरान गंगा व यमुना का संगम धर्म में किन्नरों के राजतिलक का गवाह बना तो अब उसी शहर के किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर मां भवानी राजनीतिक मंच तक पहुंचने की तैयारी कर रही हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी किन्नर को अपनी राजनीतिक दावेदारी साबित करने का मौका मिला हो। 

loksabha election banner

मध्य प्रदेश के शहडोल जिला के सोहागपुर से 1998 में विधानसभा सदस्य बनकर शबनम मौसी ने पहली बार किन्नरों के लिए सियासी द्वार खोले। किन्नरों को 1994 में ही मतदान का अधिकार मिला था। इसके बाद तो गोरखपुर में किन्नर को महापौर बनने का गौरव मिला। अब प्रत्याशी बनाए जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। 

देखना यह है कि यह चुनाव उनके लिए मुद्दा आधारित जीत दिलाएगा या उनकी मौजूदगी का अहसास कराएगा।

लोकसभा चुनाव 2014 में पहली बार चार किन्नर उम्मीदवार खड़े हुए। चारों ही निर्दलीय थे। भले ही उन्हें जीत न मिली हो लेकिन यह राजनीति में उनकी स्वतंत्र भागीदारी की नींव थी। इससे पहले उत्तर प्रदेश में 2002 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 18 किन्नरों ने भाग्य आजमाया था। इस दौरान गोरखपुर की महापौर आशा देवी ने कई चुनावी दौरों में किन्नर समाज और मुख्यधारा के बीच अंतर खत्म करने की कोशिश की थी।

इसके साथ ही पिछले चुनावों में तमिलनाडु में अमित शाह ने भी अपनी रैली में अप्सरा रेड्डी नाम के एक किन्नर को शामिल किया था। इसके बाद बाकी पार्टियों की रैली में भी कई किन्नर चेहरे दिखे। समय-समय पर कई चुनावों में किन्नरों की अलग-अलग तरह से सहभागिता ने उनकी सार्थकता तो सिद्ध की ही है, यह भी साबित किया है कि समाज की मुख्य धारा में शामिल होने की उनकी छटपटाहट और बढ़ती जा रही है।

यह छटपटाहट ही इस बार किन्नर वोटरों को बूथ तक ले जाएगी। प्रत्याशी हों या वोटर, सभी का यही मानना है कि पहले हम खुद को मुख्यधारा का हिस्सा मानेंगे तभी समाज। इसलिए वोटर बुनियादी मुद्दों पर ही वोट कर रहे हैं और किन्नर होने के बावजूद हम अपने मुद्दों को नहीं आम जनता की जरूरतों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।

धर्म ने जगह दी और हमने राजनीति चुनी

प्रयागराज से लोकसभा के चुनावी समर में आम आदमी पार्टी (आप) से मैदान में उतरने वाली महामंडलेश्वर मां भवानी नाथ वाल्मीकि (मां भवानी) ने कहा कि इस कुंभ ने हमारे सनातनी होने पर मुहर लगाई।

हमें मुख्यधारा में होने का अहसास कराया। अब मैंने उसको ही आगे बढ़ाया है। चुनाव में मैं अपने लिए नहीं बल्कि समाज के लिए खड़ी हूं। उनकी जरूरतें ही मेरे मुद्दे हैं। सड़क, स्वास्थ्य और युवाओं की शिक्षा पर जोर रहेगा।

प्राथमिकता तो विकास ही

किन्नर अखाड़ा की लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि किसी भी प्रत्याशी की प्राथमिकता तो विकास ही होनी चाहिए।

जाति, धर्म और लिंग से भी ऊपर उठकर सोचेगें तो खुद ब खुद बाकी कुरीतियां दूर हो जाएंगी। आधार ये होगा तो पूरे समाज का विकास होगा, हर तबके का विकास होगा। हम सभी को इसी आधार पर वोट भी करना चाहिए। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.