Loksabha Election 2019 : कन्नौज लाइव-डिंपल यादव : कुनबे की साख का सवाल
समाजवादी पार्टी के गढ़ माने जाने वाले कन्नौज में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के लिए यह चुनाव खुद उनके लिए ही नहीं पूरे सपाई कुनबे की प्रतिष्ठा का सवाल है।
लखनऊ [हरिशंकर मिश्र]। समाजवादी पार्टी के गढ़ माने जाने वाले कन्नौज में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के लिए यह चुनाव खुद उनके लिए ही नहीं, पूरे सपाई कुनबे की प्रतिष्ठा का सवाल है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि यहां से उनके पति पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जीत की हैट्रिक लगा चुके हैैं। अब डिंपल के पास यह करिश्मा दोहराने का अवसर है। इसके लिए उन्हें गठबंधन का सहारा मिला है और खुद मायावती भी उनके लिए वोट देने की अपील अपने समर्थकों से कर चुकी हैैं।
इत्र के लिए मशहूर कन्नौज में डिंपल का कद मुलायम सिंह यादव की बहू होने के नाते काफी ऊंचा है और उनके सामने भाजपा ने अपने पुराने उम्मीदवार सुब्रत पाठक को ही खड़ा किया है। चुनाव घोषित होने से पहले यह प्रचारित था कि डिंपल कन्नौज से नहीं लड़ेंगी लेकिन गठबंधन की ताकत मिलने के बाद अखिलेश ने उन्हें ही उतारने का फैसला लिया। बहू का ख्याल करते हुए चाचा शिवपाल ने भी अपनी पार्टी से यहां कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। कांग्रेस ने भी राजनीतिक रिश्तों का लिहाज कर किसी को टिकट नहीं दिया है। फिर भी भाजपाई मानते हैैं कि मोदी का अंडर करंट है और वह जातियों की कडिय़ां तोड़ेगा। लेकिन डिंपल के समर्थक क्षेत्र उनके चुनाव को भावनात्मक रिश्तों से जोड़ते हैैं। जहां तक खुद डिंपल का सवाल है तो उनकी सादगी और सहजता यहां के लोगों को हमेशा पसंद आती रही है।
लोहिया के क्षेत्र कन्नौज डिंपल के लिए इसलिए भी साख का सवाल है क्योंकि खुद मुलायम सिंह यादव ने ही यहां पार्टी की नींव पुख्ता की है। कन्नौज में 1998 से ही सपा की साइकिल दौड़ रही है, तब प्रदीप यादव ने पार्टी को जीत दिलाई थी। 1999 में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव जीते। हालांकि एक साल बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया और सीट बेटे सपा अखिलेश यादव को सौंप दी जो लगातार तीन बार जीते। डिंपल ने परिवार की इसी श्रंखला को आगे बढ़ाया है।
जहां तक महिला सांसद चुने जाने का सवाल है डिंपल से पहले इस क्षेत्र से 1984 में कांग्रेेस की शीला दीक्षित जीत चुकी हैैं। तब के बाद 2012 के उप चुनाव में महिला के रूप में डिंपल यादव निर्विरोध चुनी गईं और 2014 में एक बार फिर उन्होंने जीत दर्ज की। इस बार उनके पास भी हैट्रिक लगाने का अवसर है। लेकिन, यह रिकार्ड बनाने न बने, इसके लिए भाजपा ने भी पूरी ताकत झोंक रखी है।
पिछला चुनाव
सपा- डिंपल यादव-489164
भाजपा- सुब्रत पाठक-469257