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LS Election 2019: प्रियंका गांधी व चंद्रशेखर की मुलाकात से BSP मुखिया मायावती में बेचैनी

पश्चिमी उप्र में दलित राजनीति का केंद्र बन चुके सहारनपुर जिले में यूं तो बसपा का दबदबा रहा है परंतु गत लगभग तीन-चार वर्ष से भीम आर्मी की सक्रियता बढऩे से परिदृश्य तेजी से बदला है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 01:14 PM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 03:50 PM (IST)
LS Election 2019: प्रियंका गांधी व चंद्रशेखर की मुलाकात से BSP मुखिया मायावती में बेचैनी
LS Election 2019: प्रियंका गांधी व चंद्रशेखर की मुलाकात से BSP मुखिया मायावती में बेचैनी

लखनऊ, जेएनएन। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद का कुशलक्षेम पूछने कल अचानक कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत अन्य प्रमुख नेताओं का अचानक मेरठ अस्पताल पहुंचना पार्टी के दलित जोड़ो अभियान का हिस्सा माना जा रहा है। प्रियंका गांधी भले ही इसे राजनीति से नहीं जोडऩे की बात कहें परंतु इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि कांग्रेस अपने पुराने वोट बैंक दलितों की वापसी के लिए हर दांव आजमाने का तैयार है।

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कांग्रेस नेतृत्व मान रहा है कि दलित और मुस्लिम वोट की वापसी होने पर ही प्रदेश में कांग्रेस के अच्छे दिन आ सकेंगे। कल प्रियंका-चंद्रशेखर की मुलाकात से प्रदेश में बड़े राजनीतिक बदलाव की उम्मीद लगायी जा रही है। वहीं, कांग्रेस और बसपा के रिश्तों में तल्खी बढऩे से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

अब बसपा अमेठी और रायबरेली में उम्मीदवार न उतराने के फैसले पर भी पुनर्विचार कर सकती है। लखनऊ में कल मायावती के आवास पर अखिलेश यादव के अचानक पहुंचने को भी इसीसे जोड़ कर देखा जा रहा है। कांग्रेस चंद्रशेखर को बिजनौर जिले की नगीना सीट से उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है। नगीना से मायावती के चुनाव लडऩे की चर्चा भी है।

भीम आर्मी की लोकप्रियता से उड़ी नींद

पश्चिमी उप्र में दलित राजनीति का केंद्र बन चुके सहारनपुर जिले में यूं तो बसपा का दबदबा रहा है परंतु गत लगभग तीन-चार वर्ष से भीम आर्मी की सक्रियता बढऩे से परिदृश्य तेजी से बदला है। दलित युवाओं में चंद्रशेखर की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है और प्रदेश की सीमाएं भी लांघने लगी है। भीम आर्मी की दलितों में बढ़ती पकड़ से बसपाइयों में भी बेचैनी है।

मायावती भी भीम आर्मी को भाजपा की मददगार बताकर अपनी नाराजगी जता चुकी है। चंद्रशेखर की गत दिनों महाराष्ट्र में हुई सफल सभाओं ने जहां बसपा की नींद उड़ा दी है वहीं कांग्रेस को भीम आर्मी के सहारे दलितों में पैठ बढ़ाने की आस जगी है। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर की प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष इमरान मसूद से नजदीकियां किसी से छिपी नहीं है।

सहारनपुर अब बना कांग्रेस का गढ़

गत लोकसभा व विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो सहारनपुर में कांग्रेस का दबदबा सिद्ध होता है। दलित- मुस्लिम गठजोड़ का लाभ बसपा को मिलने के बजाए कांग्रेस को मिल रहा है। 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी रहे इमरान मसूद को इसी समीकरण के बूते 34.14 प्रतिशत वोट मिले थे और मामूली अंतर से पराजय हुई थी।

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दो विधायक जीते थे और बसपा मन मसोस कर रह गई थी। सहारनपुर ही ऐसा जिला था जहां पर कांग्रेस के दो विधायक निर्वाचित हुए। प्रदेश में कांग्रेस विधायकों की संख्या सात है जिसमें से दो नरेश सैनी और मसूद अख्तर सहारनपुर से है। इसी समीकरण को देखते हुए कांग्रेस ने इमरान मसूद को सहारनपुर सीट से उम्मीदवार घोषित किया है। 


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