Move to Jagran APP

Loksabha Election 2019 :बदायूं से भाजपा प्रत्याशी डॉ. संघमित्रा मौर्य का अल्टीमेटम, नहीं तो गुंडी बन जाएगी संघमित्रा

बदायूं से भाजपा उम्मीदवार डॉ. संघमित्रा मौर्य ने गुन्नौर और बबराला में सभाएं कीं। उन्होंने कहा अगर आप के बीच कोई गुंडागर्दी करने आता है तो उन से बड़ी गुंडी संघमित्रा बन जाएगी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 28 Mar 2019 11:11 AM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 03:28 PM (IST)
Loksabha Election 2019 :बदायूं से भाजपा प्रत्याशी डॉ. संघमित्रा मौर्य का अल्टीमेटम, नहीं तो गुंडी बन जाएगी संघमित्रा
Loksabha Election 2019 :बदायूं से भाजपा प्रत्याशी डॉ. संघमित्रा मौर्य का अल्टीमेटम, नहीं तो गुंडी बन जाएगी संघमित्रा

बदायूं, जेएनएन। मैनपुरी के बाद यादवों का गढ़ माने जाने वाले बदायूं से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी डॉ. संघमित्रा मौर्य ने कल यहां पर चुनाव प्रचार के दौरान अपना तेवर दिखा दिया है। योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री डॉ. संघमित्रा मौर्य ने सांसद धर्मेंद्र यादव तथा पूर्व सासंद कांग्रेस प्रत्याशी सलीम इकबाल शेरवानी के खिलाफ अपना प्रचार अभियान तेज कर दिया है।

loksabha election banner

बदायूं सीट से भाजपा उम्मीदवार डॉ. संघमित्र मौर्य ने कल गुन्नौर और बबराला में सभाएं कीं। उन्होंने इस सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने गुन्नौर के दीनानाथ इंटर कालेज की सभा में कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ईमानदारी के साथ काम कर रही है। अब जनता को किसी से भी डरने की जरूरत है। यहां पर सब लोग बेखौफ होकर अपना काम करें। उन्होंने कहा कि आप लोग अपना आशीर्वाद मुझे दें। अगर आप सभी के बीच कोई भी गुंडागर्दी करने आता है तो उन गुंडो से बड़ी गुंडी संघमित्रा बन जाएगी। अगर आपके स्वाभिमान या सम्मान के साथ किसी ने भी खिलवाड़ करने की कोशिश की तो मैं सबसे बड़ी गुंडी हूं।

उन्होंने कहा मैंने मैनपुरी से चुनाव लड़ा तो समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव को आजमगढ़ से चुनाव लडऩा पड़ गया। अब मैं बदायूं में हूं तो उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव से किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है। पुत्री के प्रचार में पहुंचे कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि एक बार फिर केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनेगी। इसको कोई रोक नहीं सकता।

एमबीबीएस डॉक्टर संघमित्रा मौर्य ने बदायूं सीट पर दस्तक दे दी है। तीन दशक से यहां जीत के लिए मशक्कत कर रही भाजपा में अतीत के सहारे भविष्य संवारने की कोशिश की जा रही है। मौर्य-शाक्य वर्ग में स्वामी प्रसाद मौर्य प्रभावशाली नेताओं के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। उन्होंने बसपा में उनका लंबा समय गुजरा है। सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट सपा के खाते में गई है, इसलिए बसपाइयों से पुराने संबंधों के दम पर बसपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी कर अपनी बेटी को संसद तक पहुंचाने की जुगत में हैं।

सपा-बसपा गठबंधन से सपा के मौजूदा सांसद धर्मेंद्र यादव पहले से मैदान में दहाड़ रहे हैं। बदायूं से पांच बार सांसद रह चुके सलीम इकबाल शेरवानी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। अब चुनावी समर में त्रिकोणीय मुकाबला साफ दिखाई देने लगा है।

भाजपा ने बदायू से मौर्य वोटों को ध्यान में रखते हुए संघ मित्रा मौर्य को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा प्रत्याशी संघमित्रा राजनीति में नई नहीं हैं लेकिन बदायूं वालों के लिए वह 'नया चेहरा' हैं। इस लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो वर्ष 1962 में यहां से भारतीय जनसंघ से ओंकार सिंह विजयी हुए थे। पांच वर्ष बाद उन्होंने फिर जीत हासिल की। इसके बाद 1991 में भाजपा ने बदायूं से स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती को मैदान में उतारा था। उन्होंने जनता दल के शरद यादव को पराजित कर पहली बार बदायूं में कमल खिलाया था, लेकिन इसके बाद कोई भी भाजपा प्रत्याशी बदायूं से संसद में नहीं पहुंचा।

लोकसभा चुनाव 2014 में जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी, तब भी पार्टी यहां कोई कमाल नहीं दिखा सकी। भाजपा प्रत्याशी वागीश पाठक यहां दूसरे नंबर पर रहे थे। वह सपा के धर्मेंद्र यादव से हार गए थे। इस बार भाजपा ने यहां से संघमित्रा मौर्य को टिकट दिया है। राजनीति पंडितों का कहना है कि लोकसभा क्षेत्र में मौर्य (शाक्य) मतदाता बड़ी संख्या में हैं। इसके अलावा भाजपा का अपना वैश्य व अन्य बिरादरी का वोट है। इसी को ध्यान में रखते हुए। इनका टिकट फाइनल हुआ। विदित हो कि संघमित्रा बदायूं के प्रभारी मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं।

जातिगत वोट (लगभग)

सवर्ण-

ब्राह्मण- एक लाख

वैश्य- एक लाख 20 हजार

ठाकुर- एक लाख 25 हजार

कायस्थ- 30 हजार

मुस्लिम- तीन लाख 50 हजार

यादव- चार लाख

मौर्य-शाक्य- दो लाख 70 हजार

लोध- 60 हजार

पाली- 40 हजार

नाई- 20 हजार

अनुसूचित जाति- दो लाख

कौन हैं संघमित्रा

संघमित्रा प्रदेश में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं। स्वामी प्रसाद पर इस समय बदायूं के प्रभारी मंत्री का भी दायित्व है। प्रतापगढ़ जनपद की मूल निवासी डॉ. संघमित्रा एटा में वर्ष 2010 में जिला पंचायत सदस्य चुनी गयीं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी से प्रत्याशी के रूप में समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव लड़ीं लेकिन हार गईं। अब भाजपा ने उन्हें बदायूं से टिकट दिया है। बदायूं सीट पर वर्ष 1996 से सपा का कब्जा चला आ रहा है।

ये रही है पार्टी की स्थिति

- वर्ष 1991 में स्वामी चिन्मयानंद के चुनाव जीतने के बाद बदायूं फिर से यह सीट नहीं जीत पाई। हालांकि इससे पहले ओंकार सिंह ने वर्ष 1962 व 67 में चुनाव जीता था, लेकिन तब वह भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े थे। 1991 के बाद भाजपा कभी दूसरे तो कभी तीसरे नंबर पर रही। 1996 में भाजपा के प्रेमपाल सिंह तीसरे स्थान पर, 1998 के चुनाव तथा 1999 के उपचुनाव में भाजपा की शांतीदेवी दूसरे स्थान पर, 2004 में ब्रजपाल सिंह दूसरे स्थान पर तथा 2014 के चुनाव में बागीश पाठक दूसरे स्थान पर रहे थे। वर्ष 2009 में यह सीट भाजपा-जदयू के गठबंधन के कारण जद-यू के खाते में चली गई थी। तब यहां से चुनाव लड़े जद-यू के डीके भारद्वाज को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। वह चौथे स्थान पर रहे थे।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.