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Loksabha Election 2019: समाजवादी पार्टी के गढ़ आजमगढ़ में आसान नहीं अखिलेश यादव की राह

अखिलेश यादव के साथ इस बार न ही कुनबा है और न ही नेता जी के पुराने हमराही ही। समाजवादी पार्टी से शिवपाल के हटने से पार्टी दो धड़ों में यहां भी बंटी हुई है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 05:05 PM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 05:05 PM (IST)
Loksabha Election 2019: समाजवादी पार्टी के गढ़ आजमगढ़ में आसान नहीं अखिलेश यादव की राह
Loksabha Election 2019: समाजवादी पार्टी के गढ़ आजमगढ़ में आसान नहीं अखिलेश यादव की राह

आजमगढ़, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पिता मुलायम सिंह यादव की विरासत संभालने आजमगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। आज अखिलेश यादव के आजमगढ़ से चुनाव लडऩे की आधिकारिक घोषणा हो गई है। सियासत के गलियारे में अब अटकलों पर विराम लग चुका है।

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समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव 2014 के आम चुनाव में मैनपुरी व आजमगढ़ संसदीय सीट से सांसद चुने गए थे। उन्होंने आजमगढ़ को दिल की धड़कन बताते हुए अपनी प्रिय मैनपुरी सीट से इस्तीफा दे दिया था। आजमगढ़ सदर सीट से मुलायम सिंह यादव भले ही चुनाव में विजयी रहे लेकिन जीत सुनिश्चित करने के लिए उनका पूरा कुनबा लगा हुआ था।

सभी यहां डेरा डाले। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी के सभी विंग व कद्दावार नेताओं को पसीना बहाना पड़ा था। सपा की सरकार भी थी। इसके बाद भी उनकी भाजपा के रमाकांत यादव से 70 हजार मतों के अंतर से जीत सुनिश्चित हुई थी। मुलायम स्वयं इस जीत से खुश नहीं दिखे थे। कई बार उनका दर्द अखबारों की सुर्खियां भी बनी। ऐसे में अखिलेश के लिए भी चुनावी राह आसान नहीं होगी। 

अखिलेश यादव के साथ इस बार न ही कुनबा है और न ही नेता जी के पुराने हमराही ही। समाजवादी पार्टी से शिवपाल के हटने से पार्टी दो धड़ों में यहां भी बंटी हुई है। इसके अलावा कुछ लोगों ने पहले ही समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ दिया है। ऐसे में अखिलेश को जमीन मजबूत करने की पहल नए सिरे से करनी होगी। हालांकि बसपा का साथ उन्हें कुछ ऊर्जा दे सकती है लेकिन इससे राह आसान नहीं होगी।

अब बहुत कुछ भाजपा के ऊपर भी निर्भर करेगा। मसलन वह इस सीट पर किसे उतरती है। कांग्रेस से वॉकओवर मिलना लगभग तय माना जा रहा है। अभी इस तरह की घोषणा पार्टी की ओर से नहीं हुई है। अखिलेश के चाचा यानी शिवपाल यादव की पार्टी यहां से चुनाव लड़ेगी कि नहीं अभी तय नहीं है। फिलहाल सपा युवा जोश पर भरोसा कर सकती है लेकिन वोट में यह कितना तबदील होगा यह तो वक्त ही बताएगा।

पूर्वांचल साधने को नरेंद्र मोदी के मुकाबले मुलायम ने ठोंकी थी ताल

वाराणसी सीट से भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्मीदवार घोषित होने के बाद यहां सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ संसदीय सीट से ताल ठोंकी थी। इसके पीछे उनका ही नहीं समाजवादी पार्टी और उनके कद्दावर सिपहसलारों का यही दावा था कि पूर्वांचल की सभी सीटों पर जीत दर्ज करेंगे। साथ ही मोदी से अधिक मतों के अंदर से जीत दर्ज करेंगे लेकिन बड़ी मुश्किल से मुलायम सिंह यादव अपनी ही सीट बचा पाए थे। नरेंद्र मोदी बड़ोदरा से पांच लाख 70 हजार वोटों से तो बनारस संसदीय सीट से भी तीन लाख 71 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी।

विधायकों की जमीनी जुड़ाव भी तय करेगी भविष्य

आजमगढ़ सदर संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। इसमें गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ सदर व मेंहनगर सुरक्षित सीट शामिल है। इसमें तीन सीट यानी गोपालपुर, आजमगढ़ सदर व मेंहनगर सुरक्षित समाजवादी पार्टी के खाते में है। सगड़ी के साथ मुबारकपुर विधानसभा सीट बसपा के हिस्से में है। ऐसे में इन क्षेत्रों में विकास कार्य व विधायकों का जनता से जुड़ाव भी सपा को संजीवनी प्रदान कर सकता है। यह अलग बात है कि इसको वहां के लोग कितना महसूस कर रहे हैं।

कांटे की हुई थी टक्कर

2014 लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सदर संसदीय सीट से 18 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई थी। जिसमें मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव और भाजपा के रमाकांत यादव के बीच रहा। मुलायम को 3,40,306 (35.4') वोट मिले जबकि रमाकांत को 277,102 (28.9') वोट से ही संतोष करना पड़ा था। बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली 266,528 (27.8') मत हासिल कर तीसरे और कांग्रेस के अरविंद कुमार जयसवाल 17,950 (1.9 फीसदी) वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे।

आजमगढ़ सदर संसदीय क्षेत्र

कुल मतदाता- 17 लाख 70 हजार 635

पुरुष मतदाता - 9 लाख 62 हजार 890

महिला मतदाता-8 लाख सात हजार 668

अन्य मतदाता- 77  


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