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Lok sabha Election 2024: किसी भी प्रत्याशी का नामांकन लेते समय क्यों खड़े नहीं होते रिटर्निंग अधिकारी, ये है वजह

Lok Sabha Candidate Nomination Rules लोकसभा चुनाव जारी है। चुनाव प्रचार नामांकन मतदान की तस्वीरें आप सभी देखते हैं। क्या आपने नामांकन के समय की उन तस्वीरों को देखा है जिसमें प्रत्याशी अपने दस्तावेज देने के लिए रिटर्निंग अधिकारी के दफ्तर पहुंचते हैं। रिटर्निंग अधिकारी के सामने कितना भी बड़ा राजनेता क्यों न हो वह अपनी कुर्सी से उठता नहीं है। आखिर इसकी वजह क्या है? पढ़िए यह रिपोर्ट

By Jagran News Edited By: Deepak Vyas Published: Tue, 07 May 2024 01:36 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2024 03:07 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: नॉमिनेशन फाइल करते समय प्रत्याशियों के सामने रिटर्निंग अफसर सीट से खड़े नहीं होते।

Lok sabha Election 2024: इस बार लोकसभा चुनाव सात चरणों में संपन्न होगा। हर चरण के कुछ दिनों पहले प्रत्याशी लोकसभा सीट के लिए निर्धारित पीठासीन अथवा रिटर्निंग अधिकारी के दफ्तर में जाकर अपना नामांकन दस्तावेज जमा करते हैं। चुनाव के दौरान आपने ऐसी अनेक तस्वीरें देखी होंगी जिसमें राजनेता एवं प्रत्याशी नामांकन दाखिल करने पहुंचे होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह गौर किया है कि नामांकन संबंधी दस्तावेज स्वीकारते समय रिटर्निंग अपनी सीट पर बैठा ही रहता है। उसके सामने कितना भी बड़ा नेता क्यों न आ जाए, वह अपनी कुर्सी पर बैठकर ही उनसे दस्तावेज स्वीकारता है।

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ऐसी तस्वीरें देखकर आपके मन में कभी यह सवाल आया है क्या, कि आखिर क्यों यह अधिकारी बैठे हुए ही सभी दस्तावेज लेते हैं। इस सवाल का जवाब हमने देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी से जाना। आइए आपको बताते हैं इसका कारण:

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 19 अप्रैल को गांधीनगर से नामांकन पत्र दाखिल किया।

इस प्रोटोकॉल के बारे में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी जागरण से खास बातचीत में बताते हैं कि 'नियमानुसार चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता लागू होते ही कोई भी राजनेता या मंत्री हो, उसे वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता है। ये आयोग के स्पष्ट निर्देश होते हैं। दरअसल, भारत में चुनाव एक बड़ी टास्क होती है। ऐसे में इसे सुचारु रूप से संपन्न कराने के लिए सभी पॉवर हटा दिए जाते हैं।

नामांकन के समय रिटर्निंग अफसर क्यों खड़े नहीं होते?

पूर्व चुनाव आयुक्त कुरैशी के अनुसार नामांकन पत्र ​दाखिल करते समय कोई कितना ही बड़ा राजनेता, मंत्री क्यों न हो, वह उस समय मात्र एक प्रत्याशी होता है। प्रोटोकॉल के अनुसार एक प्रत्याशी को नामांकन के समय 'वीआईपी ट्रीटमेंट' नहीं दिया जा सकता।

वर्ष 2019 के चुनाव के दौरान वाराणसी सीट से नामांकन पत्र दाखिल करते पीएम मोदी।

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जब सीट से खड़ी हो गई थीं डीएम, फिर क्या हुआ था?

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि एक बार ऐसा प्रसंग हुआ था जब एक डीएम जो कि उस समया नामांकन पत्र लेते समय रिटर्निंग अफसर थीं, वो प्रत्याशी के सामने नामांकन पत्र 'रिसीव' करते समय अपनी सीट से खड़ी हो गई थीं। इस पर काफी हंगामा हो गया था और उस महिला रिटर्निंग अफसर की आलोचना हुई थी।

केंद्रीय मंत्री राजना​थ सिंह ने 29 अप्रैल को लखनऊ से नामांकन पत्र दाखिल किया।

क्या होती है रिटर्निंग अफसर की ताकत?

एसवाई कुरैशी बताते हैं कि जिस तरह कोर्ट में डिस्ट्रिक्ट जज के सामने कितना भी बड़ा राजनेता या मंत्री हो, जज कभी अपनी सीट से खड़ा नहीं होता है। वैसे ही रिटर्निंग अफसर नामांकन के समय कभी खड़ा नहीं होता है। वह नियमानुसार 'लीगल अथॉरिटी' होता है। उसकी पॉवर को सुप्रीम कोर्ट भी रिप्लेस नहीं कर सकता है। कानून और प्रोटोकॉल में यही नियम है। इस नियम की य​ही गरिमा है।

रायबरेली से नामांकन पत्र दाखिल करते कांग्रेस नेता राहुल गांधी।

'डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट भी रिटर्निंग अफसर को नहीं दे सकते आदेश'

कुरैशी के मुताबिक रिटर्निंग अधिकारी 'इंडिपेंडेंट ​लीगल अथॉरिटी' है, नामांकन के समय उसे कोई आदेशित नहीं कर सकता है। यहां तक कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट भी उसे ऑर्डर नहीं कर सकते हैं। हां, यदि वह नियम से परे कोई काम होगा, तो निलंबन की प्रक्रिया जरूर प्रावधान में रहती है। लेकिन सामान्यत: रिटर्निंग अफसर को कोई उसके काम में उस समय आदेशित नहीं किया जाता है।

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