एटा चुनाव परिणाम2019: जानिए किसने किया यहां की जनता के दिल पर राज, क्या रहा परिणाम
राजवीर सिंह ने 5.45 लाख वोट हासिल कर एटा लोकसभा सीट पर भगवा परचम लहराया और दोबारा एटा के सांसद बन गए हैं।
एटा, जेएनएन। मोदी लहर की लहर पर सवार होकर राजवीर सिंह ने पिछले लोकसभा चुनाव का इतिहास दोहरा दिया। 5.45 लाख वोट हासिल कर एटा लोकसभा सीट पर भगवा परचम लहराया और दोबारा एटा के सांसद बन गए हैं। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी गठबंधन प्रत्याशी देवेंद्र सिंह यादव पिछले चुनाव की अपेक्षा अच्छा प्रदर्शन करके भी भाजपा की लहर से पार न पा सके।
एटा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा हैं। एटा और मारहरा विधानसभा क्षेत्र की गणना एटा की मंडी समिति में कराई गई। जबकि कासगंज, पटियाली और अमांपुर विधानसभा क्षेत्र की मतगणना कासगंज स्थित मंडी समिति में हुई। सुबह 8 बजे से शुरू हुई मतगणना के पहले राउंड से ही राजवीर सिंह ने बढ़त बना ली। यह बढ़त समय बढऩे के साथ अगले चक्रों में और बढ़ती गई। दोपहर बाद रुझान मजबूत होना शुरू हुए, जिनमें भाजपा की जीत का संदेश मिलने लगा। शाम होने तक मतगणना पूरी हुई तो भाजपा के खाते में 545297 वोट आए। ये पिछले विधानसभा चुनाव में मिले मतों से करीब तीन फीसद ज्यादा थे। वहीं, गठबंधन को 422219 वोट हासिल हुए। पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा इसमें करीब 13 फीसद मतों का इजाफा हुआ। यह प्रदर्शन शानदार रहा। लेकिन देवेंद्र सिंह अपनी हार नहीं बचा सके। वे 123078 मतों के अंतर से परास्त हो गए और राजवीर सिंह के सिर पर फिर से ताज सज गया।
शुरुआती में रही कश्मकश
अंतिम नतीजों में भले ही जीत का अंतर बड़ा लग रहा है। लेकिन जब मतगणना शुरू हुई तो मुकाबला कश्मकश भरा था। शुरू के लगभग दर्जन भर राउंड तक देवेंद्र सिंह कड़ी टक्कर दे रहे थे। खासतौर से कासगंज जिले की विधानसभाओं से आने वाले नतीजों में उनकी स्थिति मजबूत थी और भाजपाई खेमे में बेचैनी बढ़ा रही थी। हालांकि, जब राउंड आगे बढ़े तो भाजपा की बढ़त का सिलसिला बढ़ता गया और अंतर घटता गया। जिससे भाजपाइयों की मुस्कान लंबी होती गई।
विधानसभावार दोनों प्रत्याशियों की स्थिति
पार्टी एटा मारहरा कासगंज पटियाली अमांपुर
भाजपा 101514 105376 130964 94633 111729
सपा 87313 84804 85471 97205 66802
2014 का रीप्ले बन गया 2019
पांच साल पहले लोकसभा का ही चुनाव था। जिसमें 11 प्रत्याशी मैदान में उतरे। लेकिन मुख्य रूप से टक्कर भाजपा प्रत्याशी राजवीर सिंह और सपा प्रत्याशी देवेंद्र सिंह यादव के बीच थी। उस समय प्रदेश और जिले में भाजपा की स्थिति काफी कमजोर थी। जबकि प्रदेश में सपा सरकार थी, जो इससे पहले वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में दमदार प्रदर्शन करते हुए बहुमत लेकर आई थी। लेकिन मोदी लहर ने बदलाव की आंधी का काम किया और देवेंद्र सिंह को बड़े अंतर से मात खानी पड़ी। उन्हें 2.73 लाख मत मिले। वोट शेयर 29.58 फीसद रहा। वहीं राजवीर सिंह को 4.74 लाख वोट मिले। उनका वोट शेयर 51.28 रहा था। कड़वे अनुभव को भुलाकर इस बार गठबंधन के साथ सपाई पूरे उत्साह में थे। उन्हें यह भी उम्मीद थी कि पांच साल की सरकार और सांसद के विरोध में बनने वाली आम धारणा का लाभ भी उन्हें मिलेगा। लेकिन नतीजे आए थे, तो ये सब उम्मीदें चूर हो गईं। मतगणना स्थल पर लाउडस्पीकर, चुनाव आयोग की वेबसाइट और सोशल मीडिया पर दौड़ती खबरें जो कहानी बयां कर रही थीं, उसे देख लग रहा था कि यह 2014 का ही रीप्ले बन गया है। सपा के लिए कुछ तसल्ली की बात थी तो पिछले चुनाव के मुकाबले उनका वोट शेयर भाजपा से ज्यादा बढ़ा। इस बार भाजपा को 54.58 फीसद तो सपा को 42.26 फीसद वोट मिले।
यह रहा अंतर
पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले यदि इस बार कोई अंतर रहा तो बसपा प्रत्याशी की गैर मौजूदगी। पिछले चुनाव में बसपा से नूर मुहम्मद खान चुनाव लड़े थे। जिन्हें 137127 वोट मिले। इस बार चुनाव से पहले ही सपा-बसपा का गठबंधन हो गया था। गठबंधन के तहत एटा लोकसभा की सीट सपा के खाते में थी। जिसके चलते बसपा का कॉलम खाली रह गया।
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