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Lok Sabha Elections: चुनावी आहट का असर, अभिभाषण पर बहस में नहीं दिखी सांसदों की रुचि, लेकिन बदलने लगे समीकरण

संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल भाजपा सांसद निशिकांत दुबे से लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी कांग्रेस सांसद की बातों को रिकॉर्ड से हटाने के लिए सक्रिय दिखीं। गोगोई ने जब पिछले सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों के रिकॉर्ड संख्या में निलंबन और सत्ता पक्ष द्वारा संसद को राज दरबार की तरह बनाए जाने की बात उठाई तब भाजपा सांसदों के साथ स्पीकर ओम बिरला भी बिफर पड़े।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Published: Fri, 02 Feb 2024 11:30 PM (IST)Updated: Fri, 02 Feb 2024 11:30 PM (IST)
Lok Sabha Elections: चुनावी आहट का असर, अभिभाषण पर बहस में नहीं दिखी सांसदों की रुचि (Photo Credit ANI)

संजय मिश्र, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव का औपचारिक बिगुल बजने में भले ही कुछ सप्ताह की देरी हो मगर सांसदों की रुचि अब संसद की बहस में नहीं बल्कि चुनावी सियासत में है। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बजट सत्र के तीसरे ही दिन सदन खाली-खाली दिखने लगा। वर्तमान में लोकसभा में सांसदों की संख्या करीब सवा पांच सौ है, मगर अभिभाषण पर चर्चा के दौरान एक चौथाई सदस्य भी मौजूद नहीं थे।

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सरकार की उपलब्धियों का डंका

चुनावी अखाड़े में जाने को तैयार सत्ता पक्ष और विपक्ष ने बेशक बहस में एक दूसरे पर तीखे तंज और शब्दों के बाण चलाए मगर इस दौरान भी सदन में माननीयों की मौजूदगी का अधिकतम आकंडा 70-80 को पार करता नजर नहीं आया। लोकसभा में अभिभाषण पर चर्चा की शुरुआत भाजपा की हीना गावित ने की और सदन में सरकार की उपलब्धियों का डंका बजाते हुए क्रिकेट की भाषा में विपक्ष की गिल्लियां उड़ाने की कोशिश की। इस दौरान सदन में विपक्ष के 30-32 से ज्यादा सांसद मौजूद नहीं थे, तो सत्ता पक्ष के माननीयों का आंकड़ा भी 45 से ज्यादा नहीं था।

कांग्रेस-सपा और बसपा की सियासत पर प्रहार

स्वास्थ्य राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने सरकार की उपलब्धियों को न भूतो न भविष्यति के अंदाज में पेश किया। उन्होंने विपक्ष पर प्रहार करने के क्रम में राजीव गांधी जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों के खिलाफ अपमानजक टिप्पणी करने से भी गुरेज नहीं किया। इसको लेकर कांग्रेस के सदस्यों से कुछ नोकझोंक भी हुई। भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति का दांव साधने के साथ-साथ बघेल ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस-सपा और बसपा की सियासत पर प्रहार किया तो अगले चुनाव में अपने संसदीय क्षेत्र आगरा के लोगों को रिझाने का भी मौका नहीं छोड़ा। सदन के माहौल में सियासी गरमी लाने के लिए बघेल विपक्षी सदस्यों को कई बार उकसाने का प्रयास करते भी नजर आए। मगर विपक्ष ने छिटपुट आपत्ति और एक आध मौकों पर टोकाटाकी से ज्यादा मौका नहीं दिया।

विमान की खोज राइट बंधु से पहले द्वापर में हो गई

इसके बाद केंद्रीय मंत्री ने सड़क निर्माण पर सरकार की उपलब्धियां बताते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की तुलना ग्रैंड ट्रंक रोड बनाने वाले शासक शेरशाह सूरी से की। यह दावा करने से भी गुरेज नहीं किया कि विमान की खोज राइट बंधु से पहले द्वापर में हो गई। उनके अनुसार बुलेट फ्रूफ जैकेट का आविष्कार कर्ण ने किया, जो कवच के रूप में इसे पहनते थे। मार्कोनी द्वारा रेडियो का आविष्कार करने से पहले आकाशवाणी का उदय भारत में हो चुका था और कंस का वध उसकी बहन देवकी का पुत्र करेगा, सबसे पहले इसकी आकाशवाणी हुई थी।

फायर फ्रूफ जैकेट का आविष्कार भी भारत में हुआ

बेरोक-टोक दावे करने के क्रम में केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि फायर फ्रूफ जैकेट का आविष्कार भी भारत में हुआ जब प्रह्लाद ने पहली बार इसका इस्तेमाल किया। बेहद लंबे भाषण के बाद भी विपक्ष का खास प्रतिरोध नहीं दिखा। आसन पर बैठे पीठासीन अधिकारी राजेंद्र अग्रवाल को कई बार बघेल को अपनी बात खत्म करने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। विपक्ष की ओर से सदन में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने बहस की शुरुआत करते हुए सरकार और प्रधानमंत्री पर सियासी तीर चलाने शुरू किए, तो सत्ता पक्ष बेचैन होने लगा।

भाजपा सांसदों के साथ स्पीकर ओम बिरला भी बिफर पड़े

संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे से लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी कांग्रेस सांसद की बातों को रिकॉर्ड से हटाने के लिए सक्रिय दिखीं। गोगोई ने जब पिछले सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों के रिकॉर्ड संख्या में निलंबन और सत्ता पक्ष द्वारा संसद को राज दरबार की तरह बनाए जाने की बात उठाई तब भाजपा सांसदों के साथ स्पीकर ओम बिरला भी बिफर पड़े। स्पीकर ने कहा कि सदन के फैसलों पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। गोगोई ने इस पर कहा कि वह सत्ता पक्ष के प्रयासों की बात कर रहे हैं। जिस तरह विपक्षी सदस्यों को सदन में बार-बार बोलने से रोका जा रहा है, वह इसका प्रमाण है कि भारत के लोकतंत्र को राजतंत्र में परिवर्तित करने का प्रयास किया जा रहा है। मगर विपक्ष ऐसा होने नहीं देगा।

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