UP Lok Sabha Election Result 2019- Moradabad : गरीब के घर से उठी मोदी की आंधी को समझ न सका विपक्ष
UP Lok Sabha Election Result 2019- Moradabad प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर प्रचंड बहुमत हासिल कर राजनीतिक पंडितों को अचरज में डाल दिया है।
मुरादाबाद [संजय मिश्र]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर प्रचंड बहुमत हासिल कर न सिर्फ राजनीतिक पंडितों को अचरज में डाल दिया है, बल्कि सिर्फ जातीय आधार पर बनने वाले सियासी गठबंधनों को हासिये पर भी धकेल दिया है।
आम चुनाव में चले मोदी मैजिक ने देश की सियासत में नए बदलाव के संकेत दिए हैं। जाति के बजाय गरीबी ही अब सियासत का समीकरण बनने वाली है। मोदी सरकार की शानदार जीत यही संकेत दे रही है।
राजनीति के धुरंधरों को भी नहीं था अनुमान
नरेंद्र मोदी की सत्ता में वापसी इतने प्रचंड बहुमत से होगी, इसका अनुमान राजनीति के धुरंधरों को भी नहीं था। अधिकतर विशेषज्ञों ने मोदी को मजबूत तो माना था, पर इस बार भी उनकी आंधी चल रही है यह मानने को तैयार नहीं थे। गुरुवार को जब जनादेश सामने आया तो सब भौंचक थे। वे अंदाजा लगा रहे थे कि मोदी की इस ऐतिहासिक सफलता का राज क्या है। दरअसल इस शानदार जीत के पीछे जानकार लोकसंवाद की मोदी की शैली को सबसे बड़़ा कारण मान रहे हैं।
यह बड़ी सच्चाई है कि मोदी ने हर विरोध को गंभीरता से लिया और उसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दी। अपनी योजनाओं के जरिये राजनीति और समाज में हासिये पर माने जा रहे गरीबों के दिल में जगह बनाने में कामयाब रहे। लघु एवं सीमांत किसानों के खातों में दो हजार रुपये भेजना हो या गरीब महिलाओं के घर चूल्हा जलाने के लिए रसोई गैस का कनेक्शन देना हो, मोदी ने गरीबों से जुडऩे की हर कोशिश की। इस कोशिश में धर्म और जाति का बंधन नहीं रहा। मुस्लिम बहुल गांवों में भी मोदी की इन योजनाओं का लाभ लोगों को बिना सिफारिश के मिला।
योजनाओं के जरिए गरीबों के घर में दाखिल हुए मोदी
चुनाव अभियान के दौरान वोटों की जुगत में जुटा विपक्ष मंचों पर मोदी को घेर रहा था लेकिन, मोदी कहां है उसे पता तक नहीं चला। अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं के जरिये मोदी गरीबों के घरों में दाखिल हो चुुके थे लेकिन, विपक्ष गरीब के घर से उठ रही मोदी की आंधी से बेखबर था। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश की सियासत के जातीय समीकरण मोदी की आंधी बह गए। जातियों की गोलबंदी काम न आई तो बड़े बड़े कुनबे ढह गए। 2014 की प्रचंड मोदी लहर में अपने परिवार की सभी सीटें जीत लेने वाला मुलायम सिंह यादव का कुनबा तक इस बार ढह गया।
पहली बार ऐसा हुआ कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव सहित उनके परिवार के सदस्यों को बुरे दिन देखने पड़े। फिरोजाबाद एवं बदायूं में तो उन्हें जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा। अपने ही चाचा शिवपाल सिंह यादव के मैदान में डट जाने से अक्षय प्रताप जहां फिरोजाबाद सीट हार गए, वहीं मुलायम के भतीजे धर्मेद्र यादव भी बदायूं की सीट गवां बैठे। सपा-बसपा गठबंधन के बाद भी मुलायम सिंह यादव को वैसी जीत नहीं मिली जैसी उन्होंने उम्मीद पाल रखी थी। गठबंधन के शोर के बाद भी डिंपल यादव की हार अखिलेश यादव के लिए बड़ी चुनौती है।
अलबत्ता मुरादाबाद मंडल की छह सीटें गठबंधन के लिए थोड़ी राहत देने वाली रहीं। प्रदेश के राजनीति में जुबानी तीर चलाकर हंगामा खड़ा करने वाले आजम खां रामपुर की प्रतिष्ठापरक सीट जीतने में कामयाब हो गए। मुरादाबाद में सपा के डा. एसटी हसन, सम्भल से सपा के शफीकुर्रहमान बर्क एवं अमरोहा से बसपा के दानिश अली ने जीत दर्ज कर भाजपा संगठन के लिए चिंता की लकीरें गहरी की हैं। बिजनौर एवं नगीना में बसपा ने जीत दर्ज की। 2014 में इन सभी सीटों पर भाजपा का परचम लहराया था।
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