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Election 2024: आत्मनिर्भर 'दीदियों' पर अब राजनीति निर्भर, देशभर में तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य

मोदी सरकार स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की आजीविका बढ़ाते हुए उन्हें लखपति दीदी बनाने के अभियान में जुटी है। अब मोदी ने देशभर में तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य तय किया है तो इसमें बिहार की महिलाओं की संख्या भी अच्छी होना स्वाभाविक है। इसका असर भी महिलाओं के मतदान पर दिखाई दे सकता है।

By Jagran News Edited By: Amit Singh Published: Wed, 13 Mar 2024 04:32 AM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2024 12:13 PM (IST)
2014 में 17 लाख थी दीदियों की संख्या मोदी राज में 1.30 करोड़ पहुंचा आंकड़ा

रमण शुक्ला, पटना। कभी घर की देहरी तक सीमित महिलाएं राजग सरकार की महिला केंद्रित योजनाओं से आत्मनिर्भर बनीं तो धीरे-धीरे राजनीति भी उन पर निर्भर होती चली जा रही है। बिहार में बड़े बदलाव की तस्वीर केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्रालय के ये आंकड़े दिखाते हैं कि 2014 से पहले राज्य में जीविका दीदियों की संख्या लगभग 17 लाख थी, जबकि 10 वर्षों में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी दीदियों की संख्या बढ़कर 1.30 करोड़ के पार पहुंच गई है। केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार में सक्षम हुईं, इन महिलाओं का असर ही माना जा सकता है कि 2015 विस चुनाव के बाद से मतदान में महिलाओं की हिस्सेदारी पुरुषों की तुलना में बढ़ती जा रही है।

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मोदी सरकार स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की आजीविका बढ़ाते हुए उन्हें लखपति दीदी बनाने के अभियान में जुटी है। अब मोदी ने देशभर में तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य तय किया है तो इसमें बिहार की महिलाओं की संख्या भी अच्छी होना स्वाभाविक है। इसका असर भी महिलाओं के मतदान पर दिखाई दे सकता है।

महिलाओं को लुभाने वाले विकास कार्यक्रम

बिहार आजीविका परियोजना के दायरे में जीविका कार्यक्रम, साइकिल एवं पोशाक योजना और महिलाओं के लिए पंचायत एवं नगर निकायों के चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण राजग सरकार की अहम रणनीति का हिस्सा रही है। इस पहल से लड़कियों के नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई । साथ ही माध्यमिक विद्यालयों में लिंगानुपात में कमी आई है।

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2014 में प्रति हजार पुरुषों की तुलना में 877 महिलाएं थीं। वह 2019 में बढ़कर 892 एवं 2024 में 909 हो गई हैं। अब असर यह है कि विकास प्रक्रिया एवं निर्णय लेने में इनकी भागीदारी ने न केवल महिलाओं को चारदीवारी से बाहर आने में सक्षम बनाया, बल्कि उन्हें सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त भी ।

40 हजार करोड़ रुपये का ऋण

बिहार में जीविका के किसान उत्पादक संघों के उत्पादों की ब्रांडिंग बड़ी कंपनियां कर रही हैं। महिलाएं डेयरी व फिशरीज से लेकर खेती-किसानी तक में भूमिका निभा रहीं।

विश्व बैंक से ऋण की पहल

ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने 2006-07 में विश्व बैंक से ऋण लेकर की थी। इसमें महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाकर उनके बैंक खाते खुलवाए गए और फिर उन्हें रोजगार के लिए सरकार से आर्थिक सहायता अब भी दी जा रही है। बिहार में जीविका की महत्ता इस बात से साबित होती है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर मंच से जीविका दीदियों के कामों की खूब प्रशंसा करते हैं।

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