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Lok Sabha Election: अंडमान की शोम्पेन जनजाति के लोगों ने पहली बार किया मतदान, देश में कई जगहों पर हुआ वोटिंग का बहिष्कार

अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में पहली बार विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) शोम्पेन जनजाति के सात सदस्यों ने इस केंद्र शासित प्रदेश की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वहीं छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के 56 गांवों में लोगों ने पहली बार मतदान किया। उनके लिए मतदान केंद्र उनके गांवों में ही बनाए गए थे।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Published: Sat, 20 Apr 2024 04:00 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2024 04:00 AM (IST)
अंडमान की शोम्पेन जनजाति के लोगों ने पहली बार किया मतदान

पीटीआई, पोर्ट ब्लेयर। अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में पहली बार विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) शोम्पेन जनजाति के सात सदस्यों ने इस केंद्र शासित प्रदेश की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग किया। शोम्पेन जनजाति के सदस्यों ने न सिर्फ 'शोम्पेन हट' नामक मतदान केंद्र पर अपने मताधिकार का प्रयोग किया बल्कि चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए एक कटआउट पर सेल्फी भी ली जिस पर लिखा था, 'मतदान जरूर करें।'

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जनजाति के लोगों की 'माथियास' (एक निकोबारी आदिवासी युवा) के रूप में जाने जाने वाले दुभाषिये ने उनकी भाषा में मदद की। मुख्य निर्वाचन अधिकारी बीएस जगलान ने बताया कि इन लोगों को पहले एक प्रशिक्षक के जरिये ईवीएम और वीवीपेट का प्रशिक्षण दिया गया था। यह देखकर अच्छा लगा कि उन्होंने जंगल से बाहर आकर पहली बार मतदान किया। उन्होंने बताया कि 98 शोम्पेन मतदाताओं में से पहली बार इन सात ने मतदान किया है। 2011 की जनगणना में इस जनजाति के 229 लोग थे।

बस्तर के 56 गांवों में भी पहली बार मतदान

छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के 56 गांवों में लोगों ने पहली बार मतदान किया। उनके लिए मतदान केंद्र उनके गांवों में ही बनाए गए थे।

अरुणाचल में मतदान केंद्र पर सिर्फ एक मतदाता

अरुणाचल प्रदेश के चीन से सटे अन्जा जिले में मालोगाम मतदान केंद्र पर सिर्फ एक महिला मतदाता सोकेला तयांग थी, लिहाजा उसके मतदान करने से वहां शत प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ। 44 वर्षीय तयांग के लिए चुनाव कर्मचारियों ने दुर्गम इलाके में 40 किलोमीटर पैदल चलकर मतदान केंद्र स्थापित किया था।

भारत-बांग्लादेश सीमा पार कर 2,500 ने किया मतदान

त्रिपुरा में वोट डालने के लिए लगभग 2,500 मतदाताओं ने शुक्रवार को भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़बंदी को पार किया। दरअसल, ऐतिहासिक कारणों से त्रिपुरा में बड़ी संख्या में मतदाताओं को कांटेदार बाड़ के उस पार रहना पड़ा है। जो लोग अब मतदान की उम्र के हो चुके हैं, वे त्रिपुरा की मतदाता सूची में शामिल हैं। लिहाजा उनकी सुविधा के लिए सुबह ही सीमा पर गेट खोल दिए गए थे।

दुनिया की सबसे छोटी महिला ने नागपुर में डाला वोट

दुनिया की सबसे छोटी महिला ज्योति किशनजी आम्गे (62.8 सेंटीमीटर) ने नागपुर में मतदान किया। भीड़ से बचने के लिए उनके परिजन उन्हें गोद में लिए हुए थे। आम्गे ने बताया कि उन्होंने दूसरी बार लोकसभा चुनाव में मतदान किया है।

मतदान का किया बहिष्कार

बुनियादी सुविधाओं, आधारभूत ढांचे और विकास कार्यों के अभाव के कारण बिहार के औरंगाबाद जिले में नेहुटा गांव और तमिलनाडु के डिंडिगुल जिले के उरालिपट्टी के लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया।

'मूक गांव' ने की वोटिंग

जम्मू-कश्मीर में बड़ी मूक-बधिर आबादी के कारण 'मूक गांव' के रूप में जाने जाने वाले धडकाही के निवासियों ने भी मतदान किया। उन्हें उम्मीद है कि अब गांव को सड़क, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी।


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