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Lok Sabha Election 2024: दस साल में कितनी बदली मध्य प्रदेश की तस्वीर? जानिए कितना हुआ निवेश और कितनों को मिला रोजगार

Lok Sabha Election 2024 मध्य प्रदेश बीमारू से विकासशील राज्य बनने की ओर अग्रसर है। बीते सालों में प्रदेश ने औद्योगिक क्षेत्र में भी खूब प्रगति की है और लाखों करोड़ का निवेश हासिल किया है। इसके लिए सुधार के भी कई कार्यक्रम लागू किए गए हैं। जानिए किन सरकारी नीतियों का प्रदेश को हुआ फायदा और जनता को कैसे मिला इनसे लाभ।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Published: Sun, 17 Mar 2024 11:11 AM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2024 11:11 AM (IST)
Lok Sabha Election 2024: निवेशकों के लिए कई पैमानों पर मध्य प्रदेश खरा उतरा है।

सौरभ सोनी, भोपाल। मध्य प्रदेश ने बीते सालों में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय तरक्की हासिल की है। इनमें औद्योगिक विकास एक ऐसा क्षेत्र रहा, जिसमें सबसे ज्यादा ग्रोथ देखने को मिली है। हाल के वर्षों में निवेशकों के लिए प्रदेश पहली पसंद बनकर उभरा है। निवेश के लिहाज से उद्योगों के लिए बिजली, पानी और सड़क जैसी आधारभूत सुविधाएं बेहद जरूरी होती हैं। मध्य प्रदेश इन सभी पैमानों पर निवेशकों के लिए खरा उतरा है।

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प्रदेश में उद्योगों के अनुकूल माहौल बनाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए। सिंगल विंडो सिस्टम, बिना अनुमति उद्योग की स्थापना समेत उद्योग जगत से किए गए अन्य वादे भी पूरे किए गए हैं। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि पिछले 10 वर्षों में मध्य प्रदेश में तकरीबन तीन लाख करोड़ के उद्योग धंधे लगे। इन उद्योगों के माध्यम से आर्थिक प्रगति के साथ-साथ दो लाख युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिले।

हालांकि, परिस्थितियां अब भी पूरी तरह से दोषहीन नहीं हैं। कई समस्याएं अब भी हैं, जिनमें सुधार की गुंजाइश बनी हुई है। उद्योगों की स्थापना से जुड़े विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली इनमें से एक है। अगर बचे हुए सुधार भी शासन की ओर से लागू कर लिए जाते हैं तो सर्वाधिक निवेश के मामलों में मध्य प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो जाएगा।

एमएसएमई में हैं संभावनाएं

एमएसएमई यानी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम ऐसा क्षेत्र है, जिसमें अपार संभावनाएं हैं, क्योंकि इसमें कम लागत से बड़े काम किए जा सकते हैं और सर्वाधिक लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराने की क्षमता भी एमएमएमई में है। इसलिए जरूरी है कि सरकार प्राथमिकता से ले छोटे एवं मझोले उद्योगों के अनूकूल वातावरण बनाने के लिए काम करे।

सरकार ने इस दिशा में कदम भी बढ़ाया है, जिसके तहत केवल एमएसएमई के लिए 194 औद्योगिक क्षेत्र बनाए गए हैं। साथ ही प्रदेश के एमएसएमई सेक्टर में क्लस्टर बनाए गए हैं। सरकार का दावा है कि तीन लाख 54 हजार एमएसएमई इकाइयों को पंजीकृत किया गया है, जिनमें 18.33 लाख नौकरियां उत्पन्न करने की क्षमता है। इसके अलावा ग्रामीण कुटीर उद्योगों पर भी ध्यान दिए जाने की आवस्यकता है, क्योंकि स्थानीय स्तर पर इसे लेकर भी संभावनाएं अपार हैं।

3 लाख करोड़ रूपए से अधिक का निवेश

आंकड़ों की बात करें तो मध्य प्रदेश में बीते 10 सालों में निवेश के 13,388 प्रस्ताव आए, जिनके तहत 30,13,041.607 करोड़ रूपए निवेश की घोषणा की गई है। इसमें से 3,47,891.4039 करोड़ रूपए का निवेश किया जा चुका है। वहीं इन निवेशों से 2 लाख से भी अधिक युवाओं को रोजगार हासिल हुआ है। इसी तरह 2007 से लेकर अक्टूबर 2016 तक प्रदेश में इंवेस्टर्स समिट के आयोजन के लिए 50.84 करोड़ रुपये का खर्च किया गया, जिनमें 366 औद्योगिक इकाइयों को 1224 करोड़ रुपये की अनुदान राशि प्रदान की गई।

उत्पादों को जीआई टैग दिलाने के प्रयास

इसके अलावा मप्र सरकार की ओर से राज्य के छोटे-छोटे को जीआई टैग दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें आदिवासी इलाकों की पांरपरिक औषधियों से लेकर खाद्यान्न और कलात्मक वस्तुओं से जुड़े उत्पाद शामिल हैं। बता दें कि सबसे अधिक जीआई टैग प्राप्त उत्पाद दक्षिण भारत के हैं। वहीं, मध्य प्रदेश में अब तक 21 उत्पादों को जीआई टैग मिला है।

38 लाख से अधिक बेरोजगार

मध्य प्रदेश के रोजगार पोर्टल पर 38,93,149 युवा बेरोजगार के तौर पर पंजीकृत हैं। इनमें से 37,80679 शिक्षित एवं 1,12,470 आवेदक अशिक्षित के रूप में पंजीकृत हैं। सरकार ने राज्य विधानसभा में लिखित उत्तर में बताया है कि बीते तीन सालों में इनमें से केवल 21 बेरोजगारों को ही सरकारी या अर्द्धसरकारी कार्यालयों में रोजगार दिलाया गया है। हालांकि, यह भी बताया गया है कि निजी क्षेत्र की कंपनियों की ओर से बेरोजगार मेलों में 2,51,577 उम्मीदवारों को आफर लेटर दिए गए।

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प्रदेश में अब तक हुए औद्योगिक सुधार

- उद्योगों की स्थापना के लिए नियम एवं प्रक्रियाओं का सरलीकरण।

- इंस्पेक्टर राज को समाप्त करना, जिसके तहत उद्योगों के निरीक्षण की संख्या में कमी की गई।

- उद्योगों के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस की समिति का गठन।

- एक ही विंडो के माध्यम से विभिन्न विभागों की 46 सेवाओं की अनुमति।

- इन्वेस्टमेंट पोर्टल शुरू किया गया, जिसके माध्यम से विभिन्न विभागों की ओर से ऑनलाइन सुविधा/सहायता प्रदान की गई।

औद्योगिक विकास के लिए किए गए प्रयास

- इंडस्ट्रियल कारिडोर की स्थापना।

- विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र (एसईजेड) की स्थापना।

- निर्यात संवर्धन के लिए मप्र ट्रेड प्रमोशन काउंसिल का गठन।

- औद्योगिक केंद्रों को राष्ट्रीय राजमार्गों, महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शनों से जोड़ना।

- एक ही सेक्टर के उत्पादों के लिए क्लस्टर का विकास।

- बड़े उद्योगों के उद्योग परिसर तक सड़क, विद्युत एवं जल अधोसंरचना विकसित करने के लिए हुए व्यय की प्रतिपूर्ति की गई।

"इसमें कोई दो राय नहीं कि मध्य प्रदेश में औद्योगिक माहौल बेहतर हुआ है। अधोसंरचना विकास भी हुआ है, लेकिन अब भी व्यवस्था में सुधार करना होगा। मप्र से निर्यात की व्यवस्था बेहतर करनी होगी। इसके लिए सरकार को बंदरगाह (पोर्ट) तक जाने के लिए माल के भाड़े में सब्सिडी की की व्यवस्था करनी चाहिए। कुछ राज्यों ने इस दिशा में बेहतर काम किया है। टैक्स की दोहरी व्यवस्था बंद होनी चाहिए। अभी नगर निगम और एकेवीएन एक ही काम मेंटेनेंस के नाम पर टैक्स लेते हैं। औद्योगिक इकाइयों के लिए आवश्यक सामग्री जैसे गैस पर सबसे अधिक भारत में वेट है, इसे कम किया जाना चाहिए। कुछ बेसिक सुधार किए जाते हैं तो प्रदेश में औद्योगिक वातावरण और बेहतर होगा।"

राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष एसोसिएशन आफ आल इंडस्ट्रीज मंडीदीप।

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