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'प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने बड़ा शस्त्र दे दिया, हैदराबाद को न्याय दिलाकर रहूंगी', पढ़िए ओवैसी के खिलाफ लड़ रही Madhavi Latha का बेबाक इंटरव्यू

Madhavi Latha Interview हैदराबाद से बीजेपी के टिकट पर लड़ रहीं प्रत्याशी माधवी लता ने जागरण को दिए इंटरव्यू में असदुद्दीन ओवैसी पर कड़ा हमला बोलो। उन्होंने कहा कि ओवैसी परिवार 40 साल से हैदराबाद पर कब्जा करके बैठा हुआ है। यही कब्जा तोड़ने आई हूं। चार दशकों में कोई तोड़ नहीं पाया। दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता अरविंद शर्मा से उन्होंने लंबी बातचीत की।

By Arvind Sharma Edited By: Deepak Vyas Published: Wed, 08 May 2024 12:01 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2024 12:01 PM (IST)
Madhavi Latha Interview: माधवी लता हैदराबाद लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी हैं।

चुनाव डेस्क, नई दिल्ली। हैदराबाद की सियासत को चार दशकों से लगातार अपनी मुट्ठी में रखने वाले ओवैसी परिवार को पहली बार कड़ा संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। एआईएमआईएम प्रत्याशी असदुद्दीन ओवैसी की राह रोकने भाजपा प्रत्याशी माधवी लता खड़ी है। पहली बार चुनाव लड़ रही हैं, किंतु कुशलता, मेहनत एवं वाकपटुता में अपने विरोधियों पर भारी पड़ती दिख रही है। दिन-रात पसीना बहा रही हैं। अपने अति व्यस्त क्षणों में भी माधवी ने दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता अरविंद शर्मा से लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है इसके प्रमुख अंशः-

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प्रश्न: भाजपा ने कहां से आपको खोज लिया?

उत्तर: यह सवाल तो आपको प्रधानमंत्री से करना चाहिए कि उन्होंने मुझे क्यों चुना? मैं तो घर में बैठकर टीवी देख रही थी। जब मेरा नाम आने लगा तो चौंक गई। मुझे लगता है कि मेरे काम को किसी ने ऊपर तक पहुंचा दिया। मैं सिर्फ काम से मतलब रखती हूं। चुनाव लड़ने के लिए सोचा भी नहीं था।

प्रश्न: ओवैसी परिवार के चार दशकों के तिलिस्म को कैसे तोड़ पाएंगी? पिछली बार भाजपा प्रत्याशी को ओवैसी ने 2.82 लाख वोटों से हराया था। क्या इतने बड़े फर्क को पार कर पाएंगी?

उत्तर: मेरा नाम मालूम है आपको? पिछली बार भाजपा से कौन प्रत्याशी था, क्या यह भी आपको पता है? यही फर्क है। ओवैसी परिवार 40 साल से हैदराबाद पर कब्जा करके बैठा हुआ है। यही कब्जा तोड़ने आई हूं। चार दशकों में कोई तोड़ नहीं पाया। मैं अपने प्रयासों को अंजाम तक पहुंचाने आई हूं। जनता मौका देती है काम करने के लिए, कब्जा करने के लिए नहीं। मुझे इस जीवन से प्यार नहीं है। कोई मारे तो मारे, लेकिन यह कब्जा इस बार टूटेगा।

प्रश्न: ओवैसी का आरोप है कि माधवी लता हिंदू-मुस्लिम कर रही हैं। मस्जिद की तरफ तीर चलाने का संकेत का उदाहरण दिया जा रहा है।

उत्तर: बार-बार एक ही रट कि मस्जिद की तरफ तीर चलाने का संकेत क्यों किया? उन्हें अपने गिरेबान में भी झांकना चाहिए। अपने मोबाइल में ओवैसी के सनातन से जुड़े पुराने विवादित बयानों की फेहरिस्त है। ओवैसी को सिर्फ तीर की बात ही क्यों याद है? वे खुद क्या प्यार की बात बोलते हैं? दूसरे धर्म के देवी-देवताओं के बारे में गंदी बातें बोलने वाले को क्या इंसान कहा जा सकता है? मेरी जुबान पर कभी नहीं आती ऐसी बातें। ओवैसी ने हमेशा लोगों में रार पैदा की। आपस में लड़ाकर उनकी जमीन पर कब्जा किया। अब यहां भी दंगा करवाना चाह रहे हैं।

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प्रश्न: अब तो आप स्टार हो गईं। आपका इंतजार बनारस समेत उत्तर भारत को भी है। प्रचार के लिए जाएंगी क्या?

उत्तर: माधवी-(हंसती हुई) मैं शैतान हूं। मुझे काम चाहिए। मुझे खाली नहीं रखना चाहिए। हैदराबाद में मतदान के अगले दिन 14 मई से खाली हो जाऊंगी। पूरा भरोसा है कि मुझे बनारस भी बुलाया जाएगा। फिर मैं उत्तर भारत समेत वैसी सारी जगहों पर जाऊंगी, जहां नेतृत्व की मेरी जरूरत होगी।

प्रश्न: अगर आप जीत जाती हैं तो हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने के लिए क्या करेंगी?

पहले जीतने तो दीजिए। फिर देखना कैसे करती हूं। कभी इस जगह का नाम हैदराबाद से पहले भाग्यनगर था। एक हिंदू बंजारन लड़की से यहां के नबाब को प्यार हो गया। उसने जिद्द पकड़ ली कि इसी लड़की से शादी करूंगा। कर भी ली। अच्छा हुआ। उसने अपनी पत्नी भाग्यमती के नाम पर इस जगह का नाम भाग्यनगर कर दिया, लेकिन कट्टरपंथियों ने भाग्यमती का नाम बदलकर हैदर कर दिया। फिर इस जगह का नाम हैदराबाद कर दिया। मेरा मानना है कि प्यार करना गलत नहीं था। शादी कर ली वह भी अच्छा था। किंतु लड़की का नाम क्यों बदला? हमारी बेटी उनके घर की बहू थी। भाग्यमती नाम से उसके पति को दिक्कत नहीं थी, फिर कट्टरपंथियों ने नाम क्यों बदला? तब नहीं मिला था न्याय। अब तो मिलेगा।

प्रश्न: आंकड़े बताते हैं कि हैदराबाद में मुस्लिम वोट 59 प्रतिशत है। ऐसे में आपको परेशानी महसूस तो होगी ही? भाजपा की राजनीति हिंदू मुस्लिम लाइन पर है।

उत्तर: गलत आरोप। हम मजहब में दरार नहीं डालते। प्यार पैदा करते हैं। फिर भी कुछ लोगों ने बदनाम किया। आप बताइए कि भाजपा की केंद्र सरकारों ने कभी ऐसा विभाजनकारी बयान दिया। चाहे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार हो या नरेन्द्र मोदी की। दोनों सबको साथ लेकर चले। भाजपा को झूठा बदनाम किया जाता है। कांग्रेस का इसमें बड़ा हाथ है। उसकी विचारधारा वामपंथी है। उसकी सरकार में हमारी सनातन संस्कृति का इतिहास बदल दिया गया। अभी जो बचा है उसे भी तहस-नहस करना चाहती है। कौन देश अपना स्वर्णिम इतिहास को भुला देना चाहेगा।

प्रश्न: तो किसी की सोच को आप कैसे बदल देंगी?

उत्तर: यह गलत राजनीति है। इसे बदलना होगा। हम बदलेंगे। जिस मुगल ने हमारी ऐतिहासिक इमारतें तोड़ी। मंदिर तोड़े। उसे हम हीरो कैसे मान लेंगे? मुगलों को अगर भारत से प्यार होता तो हमारे मंदिर नहीं तोड़ते। हमने किसी मस्जिद को नहीं तोड़ा। बाबरी मस्जिद को गलत सोच के साथ हिदुत्व को खत्म करने की नीयत से बनाया गया। उसी मस्जिद के मुद्दे को उठाकर ओवैसी आवाम को हड़काते हैं। यह देशद्रोह है। उनके बहकावे में नौजवान हाथापाई कर लेते हैं। क्या यही पॉलिटिक्स है? हम बदलकर दिखाएंगे ऐसी राजनीति को।

प्रश्न: सवाल तो अभी भी वही है कि आप कैसे बदलेंगी ऐसे हालात को?

उत्तर: सीधा फंडा है। चार दशकों की सच्चाई को बाहर निकालना होगा। निकाल भी रही हूं। मुस्लिम के नाम पर वोट मांगने वाले ओवैसी ने केसीआर की सरकार में दो मस्जिद तोड़कर सचिवालय बनवा दिए। इसके पहले एयरपोर्ट बनवाते समय भी एक मस्जिद टूटी थी। तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। ओवैसी चुप रहे, चुप हैं। बाबरी मस्जिद पर हल्ला कर रहे हैं, लेकिन हैदराबाद की मस्जिदों पर मुंह बंद है। पहले इसकी बात करो न।

वक्फ बोर्ड की एक हजार एकड़ जमीन पर आज भी कब्जा जमाए बैठे हैं। बीआरएस से मिलकर क्या-क्या किए हैं सारे सबूत मेरे पास हैं। हैदराबाद में 55-56 मंदिर हैं, जिसमें ताले पड़े हुए हैं। मैं सारी सच्चाई बाहर लाऊंगी तो सोच कैसे नहीं बदलेगा। सच को साबित करने के लिए कुछ भी करूंगी। मैं डरती नहीं। मेरे आदर्श भगत सिंह हैं। उन्हें भी जीवन से प्यार नहीं था। मुझे भी नहीं है।

प्रश्न: रेवंत रेड्डी ने केसीआर के डीएनए को बिहारी डीएनए बताया था। आपके पूर्वज भी बिहार से तो नहीं आए थे न?

उत्तर: प्रधानमंत्री ने मुझे एक क्षेत्र की जिम्मेवारी सौंपी है। मेरा डीएनए भारत का डीएनए है। पूरे 28 राज्य और आठ केंद्र शासित प्रदेशों से मिलता-जुलता है। हम किसी को मानते हैं तो संपूर्णता में मानते हैं। हैदराबाद अपने में पूरा भारत है। यहां 12 भाषाएं बोलने वाले लोग हैं। सबकी सेवा करनी है।

प्रश्न: अगर परिणाम अनुकूल नहीं आया तो क्या करेंगी? मेरा मतलब संगठन में जाएंगी या अपने पेशे में लौट आएंगी?

उत्तर: नेगेटिव क्यों सोचूं। कुछ नहीं होगा। संभावनाओं में भी बात नहीं करती। जो भी होना है, चार जून को होगा। उसी दिन देखा जाएगा। आज क्यों सोचूं। मेरा कर्तव्य है लड़ना। युद्ध करना। परिणाम भगवान के हाथ में है। वो कर रहे होंगे। ईश्वर का काम भी मैं ही करने लगूंगी तो वे क्या करेंगे?

प्रश्न: हिंदुओं को प्रभावित करने के लिए ओवैसी को पहली बार मंदिरों में भी घूमते देखा जाने लगा है। तेलुगु में गाना निकाला गया है, जिसमें धर्म-निरपेक्ष छवि दिखाई गई है। यह क्या है?

उत्तर: यह धर्मनिरपेक्षता नहीं, बैरिस्टर साहब का डर है। सबको पता है कि वह धर्म-निरपेक्ष नहीं हैं। पहले मंदिर नहीं जाते थे। 40 सालों तक तेलुगु की अहमियत नहीं समझे। अब डरने लगे तो तेलुगु में गाना भी गाने लगे हैं। यह प्यार नहीं है-डर है। हार दिखने लगी है तो मंदिर जाने लगे हैं। पहले कभी क्यों नहीं गए। अगर इंसान को सेकुलर रहना है तो व्यक्तित्व से रहना चाहिए। मौके के हिसाब से रंग नहीं बदलना चाहिए। जिस भगवा को मजाक उड़ाया। उसी के आगे अब सर झुका रहे हैं।

प्रश्न: दलित-मुस्लिम एकता की बात कर ओवैसी अपना वोट बैंक बढ़ाना चाहते हैं। आपको दिक्कत नहीं होगी?

उत्तर: दलितों को मजहब में मत बांटिए। सभी धर्मों में दलित हैं। हिंदू में भी और मुस्लिम में भी। अभावों में जी रहे हैं। उनका पेट खाली है। आप उन्हें भी बांटने लग गए हैं। ऊपर वाले का डर तो होना चाहिए। पैसे वालों से राजनीति करिए, लेकिन गरीबों से राजनीति न करिए।

प्रश्न: चुनाव आयोग ने पांच लाख से अधिक वोटरों को मतदाता सूची से बाहर किया है। ये सब फर्जी ही होंगे?

उत्तर: फर्जी होंगे क्या-फर्जी ही हैं। एपिक नंबर पर अभी भी सुबूत हैं। एक ही व्यक्ति के तीन-तीन जगह नाम हैं। छह लाख से ज्यादा वोटर फर्जी हैं। देशभर में आवाज उठी। मैंने चुनाव आयोग को चार पत्र लिखे। मुस्लिम संगठनों द्वारा इन फर्जी वोटरों को फरमान जारी किया जाता था कि कहां किसे वोट करना है।

प्रश्न: चुनाव आयोग ने क्या कार्रवाई की?

उत्तर: राज्य का चुनाव आयोग भी कांग्रेस से मिला हुआ है। सबको पता है कि वह भी कांग्रेस का है। उन्हें मैंने पेन ड्राइव देकर बताया। फिर क्यों नहीं एक्शन लिया? पांच लाख 41 हजार को तो बाहर किया न? तो पूछा क्यों नहीं कि इतने सारे फर्जी वोटर बनाए कैसे गए। कौन जिम्मेवार है और जो कई चुनावों में फर्जी वोट पड़े हैं, जीत-हार का परिणाम बदला है। उसका क्या हुआ?

प्रश्न: बनारस से हैदराबाद को कैसे कनेक्ट करेंगी?

उत्तर: कनेक्ट क्या करना। यह तो पहले से है। बनारस वाले भी हर-हर महादेव बोलते हैं और हम लोग भी हर हर महादेव बोलते हैं। इससे ज्यादा क्या चाहिए दक्षिण को उत्तर से जोड़ने के लिए।

प्रश्न: आपके विरोधी पक्ष का राज्य की सत्ता के साथ समझौता है क्या?

उत्तर: बिल्कुल। अरब भाइयों का 1998 से एक प्राइवेट कॉलेज है। राज्य सरकार से मिलकर उसे बंद करवा दिया। कोई किसी की नहीं सुन रहा। इन्हीं (ओवैसी) की गुंडागर्दी चलती है। और की बात तो छोड़िए। ओवैसी ने अपनी ही बुआ की चार एकड़ जमीन कब्जा ली है। कोई न्याय देने के लिए तैयार नहीं है।

प्रश्न: विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का आरोप था कि बीआरएस, भाजपा और मजलिस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। अब आपको ऐसा लगता है कि ओवैसी को कांग्रेस का समर्थन मिल रहा है?

उत्तर: मेरे विरोधी में अकेले का दम नहीं है। पहले भी मिलकर लड़ रहे थे। आज भी मिलकर लड़ रहे। विधानसभा चुनाव के दौरान तेलंगाना में बीआरएस की सरकार थी तो मिलकर लड़ रहे थे। अब कांग्रेस की सरकार है तो उनके साथ खड़े हैं। जो सत्ता में रहता है उसी की चापलूसी करने लग जाते हैं। खुद को मुस्लिम वोट का ठेकेदार मान बैठे हैं। इस बार ऐसा नहीं होगा। मैं दिखा दूंगी।

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