Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2024: पक रही प्रकाश आंबेडकर और ओवैसी की खिचड़ी, महाराष्ट्र की इस सीट में दिलचस्प होगा मुकाबला

Lok Sabha Election 2024 महाराष्ट्र की छत्रपति संभाजी महाराज नगर लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प हो गया है। अब यहां एक बार फिर प्रकाश आंबेडकर और असदुद्दीन ओवैसी करीब आते दिख रहे हैं। पिछली बार इस सीट से एआईएमआईएम प्रत्याशी जीता था। संभाजी नगर को शिवसेना का गढ़ माना जाता रहा है लेकिन 2019 में एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील ने जीत दर्ज की थी।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Published: Fri, 10 May 2024 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 10 May 2024 08:06 AM (IST)
लोकसभा चुनाव 2024: प्रकाश आंबेडकर और असदुद्दीन ओवैसी। (फाइल फोटो)

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने इस लोकसभा चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) से हाथ नहीं मिलाने का फैसला किया था। हालांकि, अब छत्रपति संभाजी नगर (पूर्व नाम औरंगाबाद) से अपने ही घोषित उम्मीदवार अफसर खान को ‘ए’ और ‘बी’ फार्म न देकर उन्होंने एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर कुछ खिचड़ी पकाने के संकेत दे दिए हैं। इससे संभाजी नगर में मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है।

loksabha election banner

यह भी पढ़ें: कंगना रनौत के खिलाफ उतरे विक्रमादित्य के पास है इतनी संपत्ति, डेढ़ करोड़ रुपये की देनदारी भी

शिवसेना का गढ़ रहा है संभाजी नगर

संभाजी नगर को शिवसेना का गढ़ माना जाता रहा है। 1989 में पहली बार मोरेश्वर सावे शिवसेना के टिकट पर जीते थे। 1991 में भी सावे ही जीते। फिर 1996 में शिवसेना के टिकट पर प्रदीप जायसवाल जीते। बीच में 1998 में कांग्रेस के रामकृष्ण पाटिल सिर्फ एक साल के लिए यहां कांग्रेस के सांसद रहे। फिर 1999 से लगातार चार लोकसभा चुनाव शिवसेना के चंद्रकांत खैरे यहां से जीतते रहे, लेकिन 2019 में उन्हें एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील ने 4500 से भी कम मतों से हरा दिया।

2019 में एआईएमआईएम और वंचित बहुजन आघाड़ी में हुआ था गठबंधन

इम्तियाज जलील की यह जीत अप्रत्याशित थी, लेकिन यह जीत 2019 में एआईएमआईएम और प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी के बीच हुए गठबंधन का परिणाम थी। उस चुनाव में प्रकाश आंबेडकर ने सिर्फ एक, औरंगाबाद की सीट ओवैसी के देकर महाराष्ट्र के शेष 47 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।

सोलापुर और अकोला से प्रकाश आंबेडकर उतरे

वह खुद दो स्थानों, सोलापुर एवं अकोला से चुनाव लड़े थे, लेकिन वह खुद अपनी दोनों सीटों सहित, महाराष्ट्र की सभी 47 सीटें हार गए और ओवैसी के उम्मीदवार इम्तियाज जलील औरंगाबाद की सीट जीत गए।

इससे प्रकाश आंबेडकर को लगा कि उनके वंचित वर्ग के वोट तो औरंगाबाद में ओवैसी की पार्टी को मिल गए, लेकिन ओवैसी समर्थक मुस्लिम वोट उन्हें कहीं नहीं मिले। यहां तक कि उनकी अपनी सीट सोलापुर एवं अकोला में भी नहीं।

इस वजह से ओवैसी से बना ली थी दूरी

दोनों जगहों से अपनी हार से खिन्न आंबेडकर ने छह माह बाद ही हुए विधानसभा चुनाव में ओवैसी से दूरी बना ली। यहां तक कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी ओवैसी से कोई घोषित गठबंधन नहीं किया, लेकिन इस बार सिर्फ एक सीट अकोला से चुनाव लड़े प्रकाश आंबेडकर के सामने कांग्रेस ने कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं दिया।

क्या यहां शिफ्ट होगा मुस्लिम वोट

वहां भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने मराठा उम्मीदवार दिए। इससे आंबेडकर को मुस्लिम वोट अपनी तरफ आने की उम्मीद बंधी। दूसरी ओर संभाजी नगर में इम्तियाज जलील को भी मुस्लिमों के साथ-साथ वंचित वोटों की जरूरत थी, क्योंकि शिवसेना में विभाजन के बाद मुस्लिम वोट बड़ी संख्या में शिवसेना (उद्धव गुट) के पाले में जाते दिखाई दे रहे हैं।

दरअसल, उन्हें लगता है कि शिवसेना (उद्धव गुट) ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से टक्कर ले रही है। इसके लिए संभाजी नगर के मुस्लिम संगठन खुलकर शिवसेना (उद्धव गुट) के उम्मीदवार चंद्रकांत खैरे को समर्थन देते दिख रहे हैं।

ओवैसी ने की समर्थन की अपील

मुस्लिमों के इस रुख से चिंतित ओवैसी ने कुछ दिनों पहले खुद अपनी तरफ से ही अकोला में प्रकाश आंबेडकर को समर्थन देने की अपील कर दी। साथ ही सार्वजनिक रूप से यह भी कहा कि प्रकाश आंबेडकर को भी संभाजी नगर में एआईएमआईएम उम्मीदवार इम्तियाज जलील का समर्थन करना चाहिए।

‘ए’ और ‘बी’ फार्म देने का इरादा टाला

ओवैसी की इस अपील से पहले ही प्रकाश आंबेडकर संभाजी नगर से वहां के पूर्व सभासद अफसर खान को अपनी पार्टी वीबीए का उम्मीदवार घोषित कर चुके थे, लेकिन ओवैसी की ओर से अपने लिए समर्थन की घोषणा होते आंबेडकर ने संभाजी नगर के अपने घोषित उम्मीदवार को ‘ए’ और ‘बी’ फार्म देने का इरादा टाल दिया।

क्या निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे अफसर खान?

अफसर खान औरंगाबाद (पूर्व नाम) नगरपालिका में पांच पर सभासद रहने के साथ-साथ विपक्ष के नेता रह चुके हैं। उनका कहना है कि उन्हें संभाजीनगर के वंचितों एवं पिछड़ों का भी समर्थन है। इसलिए वह अब चुनाव मैदान से हटने के बजाय निर्दलीय ही चुनाव लड़ेंगे।

मुस्लिम मतों का विभाजन-किसे लाभ और किसे नुकसान

अब अगर अफसर खान पूरी ताकत से चुनाव लड़े, तो संभाजीनगर के मुस्लिम मतों का विभाजन उनमें, इम्तियाज जलील में, और शिवसेना (उद्धव गुट) के उम्मीदवार चंद्रकांत खैरे के बीच होगा।

दूसरी ओर अब तक अविभाजित शिवसेना के साथ हमेशा एकजुट रहे हिंदू मतदाता भी उसकी ओर मुस्लिमों का रुझान देखकर अपना विचार बदलने पर बाध्य हो सकते हैं। इसका लाभ शिवसेना (शिंदे गुट) के उम्मीदवार एवं राज्य सरकार में वरिष्ठ मंत्री संदीपन भुमरे को मिल सकता है।

चतुष्कोणीय है लड़ाई

इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली छह में से पांच सीटें भाजपा एवं शिंदे गुट के विधायकों के पास हैं। सिर्फ एक सीट पर शिवसेना (उद्धव गुट) का विधायक है। ये समीकरण भी उद्धव गुट के पक्ष में जाता नहीं दिखता, लेकिन सारे समीकरणों के बीच लड़ाई चतुष्कोणीय ही होती दिख रही है।

यह भी पढ़ें: पंजाब में अक्षय तृतीया पर चढ़ेगा सियासी पारा, ये प्रत्याशी कल दाखिल करेंगे अपना नामांकन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.