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'नेहरू जी बनारसी बाबू आपके पीछे ही खड़े हैं ...', शरबत-भूंजा के साथ पैदल प्रचार; फिर बड़े नेताओं की बैठकी, कुछ ऐसे होते थे चुनाव

Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव के लिए तीन चरण  का मतदान हो चुका है और चौथे चरण की वोटिंग 13 मई को होगी। इस बीच चुनावी किस्‍सों की सीरीज में आज हम लाए हैं आपके लिए  1952 से अब तक हुए लोकसभा चुनावों के साक्षी रहे ज्ञानानंद झा के चौपाल पर सुनाए गए रोचक किस्‍से। वह कहते हैं कि पहले के चुनाव में इतना तड़क-भड़क नहीं था।

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Published: Fri, 10 May 2024 02:36 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2024 02:36 PM (IST)
Lok Sabha Chunav 2024 :पहले कैसे होता था चुनाव प्रचार?

 रामप्रवेश सिंह, हवेली खड़गपुर (मुंगेर)। बड़े-बुजुर्गों के पास कई दिलचस्प किस्से हैं। चुनावी माहौल में जरा सा उनका सानिध्य मिला नहीं कि किस्सों की पोटली खुल जाती है। गोनई गांव में ऐसे ही बुजुर्ग हैं ज्ञानानंद झा, जो 1952 से अब तक हुए चुनाव के साक्षी हैं। बैठकी जमने के साथ ही इनकी पोटली से रोचक कहानियां और प्रसंग निकलने लगते हैं। यह कि पहले के चुनाव में इतना तड़क-भड़क नहीं था। प्रत्याशी और कार्यकर्ता गुड़ का शर्बत और भूंजा खाकर पैदल प्रचार करते थे।

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 ज्ञानानंद झा बताते हैं कि मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से पहले सांसद के रूप में दिल्ली का सफर बनारसी प्रसाद सिंह ने तय किया था। यहां से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे बनारसी प्रसाद सिंह अपने समर्थक के साथ पैदल ही चुनाव प्रचार करने गोनई गांव पहुंचे थे। हवेली खड़गपुर से पैदल यहां पहुंचने में उनके पसीने छूट गए थे। झानानंद झा तब महज नौ वर्ष के ही थे।

वे बताते हैं कि उनके पिताजी गजाधर झा से बनारसी प्रसाद का अच्छा खासा लगाव था। उन्हें गुड़ का शर्बत पिलाया गया था। इसके बाद चावल, चना, मकई का भूंजा खिलाया गया। इस दौरान गांव में पेड़ के नीचे ग्रामीणों को एकत्रित कर बातें की और आगे प्रचार के लिए निकल पड़े। उन्होंने कहा कि इसके कई दशक बाद गांव में डीपी यादव, ब्रह्मानंद मंडल, जयप्रकाश नारायण यादव सहित अन्य सांसद पहुंचे थे।

साल  1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव के दौरान उनका सामना गिद्धौर स्टेट के राजा कुमार कालिका सिंह और सोशलिस्ट पार्टी के किशुन यादव से हुआ था। जिस दिन प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी इनके गांव में चुनाव प्रचार करने आते थे, बनारसी प्रसाद प्रचार के लिए जाने के बजाय बेसब्री से घर पर ही उनका इंतजार करते थे।

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नेहरू से श्रीकृष्ण सिंह ने कहा बनारसी बाबू आपके पीछे खड़े हैं

ज्ञानानंद झा बताते हैं कि बनारसी प्रसाद सिंह भी स्वतंत्रता सेनानी थे। आजादी के पूर्व स्वतंत्रता सेनानियों की हुई सभा को बनारसी प्रसाद सिंह ने संबोधित किया था, जिससे आधुनिक बिहार के निर्माता डॉ. श्रीकृष्ण सिंह काफी प्रभावित हुए थे। वर्ष 1934 में मुंगेर में आई विनाशकारी भूकंप से हुए तबाह लोगों की मदद के लिए बनारसी प्रसाद सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी।

इसके बाद यहां हुए सांप्रदायिक दंगों को शांत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी जानकारी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह ने जवाहरलाल नेहरू तक पहुंचाई थी। इसके बाद जवाहर लाल नेहरू मुंगेर पहुंचे तो वे बनारसी प्रसाद सिंह से मिलना चाहा। श्रीकृष्ण सिंह ने कहा कि बनारसी बाबू आपके पीछे खड़े हैं।

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