हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा लोकसभा सीट आनंद शर्मा के सामने बड़ी चुनौती, क्या काम आएगा कांग्रेस का ये सियासी दांव?
Lok Sabha Election 2024 हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है। हालांकि उनके पास प्रचार का समय कम बचा है। दरअसल 25 दिनों में निर्वाचन क्षेत्र की 17 विधानसभा सीटों पर पहुंचना है। उधर भाजपा प्रत्याशी राजीव भारद्वाज एक बार सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं।
दिनेश कटोच, धर्मशाला। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने अपने बड़े नेता आनंद शर्मा को प्रत्याशी बनाकर पहली बार ब्राह्मण कार्ड खेला है लेकिन आनंद की राह में चुनौती सीमित समय में सब तक पहुंचना है। पहली जून को मतदान है। तीन दिन पहले चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा। एक दिन नामांकन के लिए होगा।
शर्मा के पास 25 दिन प्रचार का समय
शुक्रवार को धर्मशाला पहुंचे कांग्रेस प्रत्याशी के पास प्रचार के लिए लगभग 25 दिन का समय है। 17 विधानसभा क्षेत्रों वाले कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में एक किनारे से दूसरे किनारे तक पहुंचने में एक दिन का समय लग जाता है। यदि आनंद शर्मा एक विधानसभा क्षेत्र में एक दिन का समय देते हैं तो उन्हें 17 दिन इसी में लग जाएंगे।
कांग्रेस के 11 विधायक यहां से
आनंद शर्मा के लिए सुखद स्थिति यह है कि सरकार ने संसदीय क्षेत्र में सम्मानजनक कैबिनेट पद आवंटित किए हैं। पार्टी के 11 विधायक भी यहां से हैं। संगठन भी सक्रिय है लेकिन नए व पुराने कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य बनाना और उन्हें साथ लेकर चलना बड़ा काम होगा।
यह भी पढ़ें: तीसरे चरण में मध्य प्रदेश में 14% दागी प्रत्याशी, सिंधिया सबसे रईस; बसपा उम्मीदवार पर 351 करोड़ की देनदारी
संसदीय क्षेत्र के तहत धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के कारण मुख्यमंत्री पिछले दिनों यहां का दौरा कर गए हैं लेकिन अभी तक यहां पर भी प्रत्याशी चयन न होने के कारण पार्टी में एकजुटता नहीं दिख रही है। दावेदार अपने लिए ही लोगों के बीच जा रहे हैं।
भाजपा प्रत्याशी पहली बार चुनाव मैदान में
उधर, भाजपा प्रत्याशी डॉ राजीव भारद्वाज भी पहली बार चुनाव मैदान में हैं लेकिन वह काफी समय से प्रचार में जुटे हैं। उन्होंने सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा पूरा कर लिया है। मंडल में पन्ना प्रमुख सम्मेलन और मोर्चों के कार्यक्रम संपन्न हो चुके हैं।
अब अन्य राज्यों के नियुक्त प्रभारी भी सक्रिय हो चुके हैं। भाजपा कार्यकर्ता मतदाताओं के बीच पहुंच कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 10 साल में किए गए कार्यों को गिना रहे हैं व राज्य सरकार की गारंटियों को पूरा न होने का प्रचार कर रहे हैं।
ब्राह्मण चेहरे से भाजपा को टक्कर
कांग्रेस ने पहली बार ब्राह्मण चेहरा उतार भाजपा को चुनौती दी है। पार्टी का मानना है कि आनंद शर्मा पार्टी के बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं। पूर्व में केंद्र सरकार में बड़ी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। पार्टी में भी बड़ा कद है। उधर, भाजपा में डॉ. राजीव भारद्वाज से पहले शांता कुमार व राजन सुशांत संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा ने अनुसूचित जनजाति वर्ग से किशन कपूर को टिकट दिया था और वह प्रदेश में सबसे अधिक मतों से जीते थे।
यह है जातीय समीकरण
कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में राजपूत, अन्य पिछ़ड़ा वर्ग व ब्राह्मण के मतदाता भी अधिक हैं। यहां 34 प्रतिशत राजपूत, 32 प्रतिशत ओबीसी, 20 प्रतिशत ब्राह्मण व 14 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति मतदाता हैं। पिछले चुनाव में यहां से भाजपा प्रत्याशी को रिकॉर्ड चार लाख से अधिक की लीड मिली थी।
इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन मिला था लेकिन अब स्थितियों में बदलाव आया है। विधानसभा व लोकसभा चुनाव के लिए मुद्दे भी अलग-अलग होते हैं और मतदाता भी इसे अलग-अलग तरीके से देखते हैं।
यह भी पढ़ें: तीसरे चरण में सात मई को 12 राज्यों की इन 95 सीटों पर मतदान, 1352 प्रत्याशियों की अग्निपरीक्षा