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Bhopal Lok Sabha Seat: 'कांग्रेस बिजली के खंभे को टिकट दे तो वह भी जीत जाएगा', तब भोपाल ने जनसंघ को चुना; 35 साल से BJP का राज

Bhopal Lok Sabha Chunav 2024 updates देश के राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में आपको अपनी लोकसभा सीट और अपने सांसद के बारे में जानना भी जरूरी है ताकि इस बार किसको जिताना है यह तय करने में कोई दुविधा न आए। पढ़िए आज हम आपके लिए लाए हैं भोपाल लोकसभा सीट भोपाल के सांसदों के बारे में पूरी जानकारी...

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Published: Wed, 07 Feb 2024 07:29 PM (IST)Updated: Wed, 07 Feb 2024 07:29 PM (IST)
Bhopal Lok Sabha Seat: 'कांग्रेस बिजली के खंभे को टिकट दे तो वह भी जीत जाएगा', तब भोपाल ने जनसंघ को चुना; 35 साल से BJP का राज
Bhopal Lok Sabha Chunav 2024: कांग्रेस के दौर में भी जनसंघ के साथ खड़ा होता रहा भोपाल।

 संजय मिश्र, भोपाल। Bhopal Lok Sabha Election 2024 latest news: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के शुरुआती दशक में विभिन्न चुनावों में कांग्रेस के सामने जब बड़े राजनीतिक दल पानी मांगते थे, तब भोपाल संसदीय क्षेत्र में राष्ट्रवादी विचारधारा के दल दमदारी से उसका मुकाबला करते थे। भोपाल में भले ही 1984 तक के अधिकतर चुनावों में कांग्रेस जीतती रही, लेकिन बीच-बीच में उसे झटका भी लगता रहा।

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नवाबों के शासन में हिंदू जनता के साथ हुए उत्पीड़न से ऐसी भावभूमि तैयार हुई थी कि हिंदूवादी संगठनों की जड़ें यहां गहरी होती गईं। हिंदू महासभा और बाद में जनसंघ ने जनता का दर्द बांटा तो लोगों की संवेदना भी उनसे जुड़ती गई। हिंदू महासभा ने उत्पीड़न और उपेक्षा के खिलाफ जनमानस बनाया तो जनसंघ ने साल 1967 का लोकसभा चुनाव जीतकर लोकतांत्रिक तरीके से मजबूती साबित कर दी।

तब से लेकर जनसंघ और फिर भाजपा ने ऐसी जमीन तैयार की कि अब यहां कांग्रेस को ठौर नहीं मिल रहा। वर्ष 1984 के बाद से अब तक भाजपा यहां जमी हुई है। भोपाल में जनता से भाजपा के गहरे जुड़ाव का ही कमाल है कि साल 2019 में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को भी अकल्पनीय हार मिली।

35 साल से भाजपा का कब्जा

प्रदेश की राजधानी भोपाल की स्थापना 11वीं शताब्दी में परमार राजा भोज ने की थी। बाद में यहां नवाबों ने राज किया, इसलिए इसे नवाबों का शहर भी कहा जाता है। भोपाल लोकसभा सीट पर लगभग 35 साल से भाजपा का कब्जा है। वर्ष 1957 से 1984 तक 27 साल तक कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन इस बीच जनसंघ और लोकदल से कांग्रेस को हार भी मिली।

साल 1984 में भोपाल गैस त्रासदी के बाद हुए चुनावों से कांग्रेस यहां कभी नहीं जीत पाई। गैस त्रासदी के एक महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के केएन प्रधान ने जीत दर्ज की थी, लेकिन उसके बाद भाजपा ने इस सीट पर एकछत्र कब्जा कर लिया। साल 1989 से 1998 के तक लगातार चार चुनावों में भाजपा के सुशील चंद्र वर्मा ने जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस को उबरने का मौका ही नहीं दिया।

स्टारडम के दम पर उतरे नवाब पटौदी को भी मिली हार

राष्ट्रवादी विचार के मतदाताओं की एकजुटता का आलम यह था कि अपने जमाने के प्रख्यात क्रिकेटर और पूर्व भोपाल रियासत के वारिस पटौदी के नवाब मंसूर अली खान की लोकप्रियता भी काम नहीं आई। वर्ष 1991 के चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया। उनकी पत्नी और मशहूर अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के रोड शो और सभाओं के बावजूद पटौदी हार गए।

चुनाव जीतकर बड़ी नेता बन गईं उमा भारती

वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उमा भारती को मैदान में उतारा। उमा उन दिनों भगवा वस्त्र एवं जोशीले भाषणों के कारण चर्चा में थीं। उनका मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी से था। गांधी परिवार के करीबी पचौरी नई नेता उमा भारती के सामने टिक न सके।

इस जीत के साथ उमा भारती का राजनीतिक कद काफी ऊंचा हुआ। बाद में उन्हें प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बना दिया गया। उन्होंने भाजपा की ऐसी जमीन तैयार की कि दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में लगातार दस वर्ष तक सत्ता में रही कांग्रेस चारों खाने चित्त हो गई।

दिग्विजय को मिली सबसे करारी हार

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तो इस सीट की चर्चा देशभर में हुई। भाजपा ने यहां से मालेगांव बम विस्फोट में आरोपित साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर दांव लगाया था। गांव-गांव प्रचार के बाद भी उन्हें बड़े अंतर से हार मिली। यह उनके राजनीतिक जीवन की सबसे बड़े अंतर की हार थी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा जीते भी, हारे भी

भोपाल में पहले लोकसभा की दो सीटें रायसेन और सीहोर हुआ करती थीं। वर्ष 1957 में पहली बार भोपाल लोकसभा सीट पर चुनाव हुआ। तब कांग्रेस की मैमूना सुल्तान ने जीत हासिल की थी। वर्ष 1932 में जन्मी मैमूना सुल्तान स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी थीं और भोपाल को राज्य की राजधानी बनाने के लिए संषर्घ करने वालों में शामिल थीं।

साल 1962 के चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर जीती थीं। हालांकि, 1967 के चुनाव में भारतीय जनसंघ ने जेआर जोशी को मैदान में उतारा और उन्होंने कांग्रेस की जीत का सिलसिला तोड़ दिया। वर्ष 1971 में कांग्रेस ने पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति) को अपना उम्मीदवार बनाया।

उन्होंने फिर इस सीट को कांग्रेस की झोली में डाल दिया, लेकिन आपातकाल के बाद वर्ष 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर के चलते शंकरदयाल शर्मा हार गए। जनता दल के आरिफ बेग को जीत मिली। 1980 में फिर शंकर दयाल शर्मा और 1984 में कांग्रेस के ही केएन प्रधान ने जीत दर्ज की।

आजादी के बाद देश में कांग्रेस की तूती बोलती थी। लोग कहते थे कि कांग्रेस बिजली के खंभे को भी टिकट दे देगी तो वह भी चुनाव जीत जाएगा। ऐसे दौर में भी भोपाल में हिंदू महासभा कांग्रेस को टक्कर दे रही थी।

महासभा के कार्यकर्ता विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लंबे समय तक नवाबी शासन में दोयम दर्जे के नागरिक जैसा जीवन जी रहे लोगों के मन में दबे अपमान को कुरेदकर उन्हें जाग्रत कर रहे थे। जनसंघ की मेहनत की इसी नींव पर भाजपा का अभेद्य किला तैयार हुआ, जो 37 साल से अपराजेय बना हुआ है।

भोपाल लोकसभा क्षेत्र में अब तक की जीत-हार

वर्ष जीत हार
1957 मैमूना सुल्तान (कांग्रेस) हरदयाल देवगन (हिंदू महासभा)
1962 मैमूना सुल्तान (कांग्रेस) ओमप्रकाश (हिंदू महासभा)
1967 जेआर जोशी (जनसंघ) मैमूना सुल्तान (कांग्रेस)
1971 डॉ. शंकर दयाल शर्मा (कांग्रेस) भानुप्रकाश सिंह (जनसंघ)
1977 आरिफ बेग (लोकदल) डॉ. शंकर दयाल शर्मा (कांग्रेस)
1980 डॉ. शंकर दयाल शर्मा (कांग्रेस) आरिफ बेग (जनता पार्टी)
1984 केएन प्रधान (कांग्रेस) लक्ष्मीनारायण शर्मा (भाजपा)
1989 सुशील चंद्र वर्मा (भाजपा) केएन प्रधान (कांग्रेस)
1991 सुशील चंद्र वर्मा (भाजपा) मंसूर अली खान पटौदी (कांग्रेस)
1996 सुशील चंद्र वर्मा (भाजपा) कैलाश अग्निहोत्री (कांग्रेस)
1998 सुशील चंद्र वर्मा (भाजपा) आरिफ बेग (कांग्रेस)
1999 उमा भारती (भाजपा) सुरेश पचौरी (कांग्रेस)
2004 कैलाश जोशी (भाजपा) साजिद अली (कांग्रेस)
2009 कैलाश जोशी (भाजपा) सुरेंद्र सिंह ठाकुर (कांग्रेस)
2014 आलोक संजर (भाजपा)पीसी शर्मा (कांग्रेस) पीसी शर्मा (कांग्रेस)
2019 साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (भाजपा) दिग्विजय सिंह (कांग्रेस)

भोपाल लोकसभा सीट: कौन-कौन से क्षेत्र आते हैं?

भोपाल लोकसभा क्षेत्र में भोपाल जिले के बैरसिया, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, हुजूर, भोपाल उत्तर, भोपाल मध्य, नरेला व गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र और सीहोर जिले का एक विधानसभा क्षेत्र सीहोर आते हैं।

भोपाल लोकसभा क्षेत्र

  • कुल मतदाता- 23,08, 558 (23 लाख 8 हजार 558)
  • पुरुष मतदाता- 11,86, 811 (11 लाख 86 हजार 558)
  • महिला मतदाता- 11, 21, 568 (11 लाख 21 हजार 568)
  • थर्ड जेंडर- 179

    (स्रोत : निर्वाचन आयोग)

(माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान के संस्‍थापक एवं वरिष्ठ पत्रकार विजयदत्त श्रीधर से बातचीत)

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