Lok Sabha Election 2019: राज्य में सत्ता गंवाने के बाद क्या राजनांदगांव में इज्जत बचा पाएंगे रमन सिंह
Lok Sabha Election 2019 में लोगों की निगाहें छत्तीसगढ़ पर हैं और राजनांदगांव लोकसभा सीट इस बार रमन सिंह के लिए नाक का सवाल बन गई है।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। Lok Sabha Election 2019: दूसरे चरण में छत्तीसगढ़ की जिन हॉट सीटों पर वोटिंग पर मतदान संपन्न हुआ उसमें से एक है छत्तीसगढ़ का राजनांदगांव। राजनांदगांव का सीधा संबंध पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता डॉ. रमन सिंह से है। भाजपा को लगातार तीन बार प्रदेश की सत्ता तक पहुंचाने वाले रमन सिंह राजनांदगांव विधानसभा सीट से विधायक हैं। भाजपा के लिए गढ़ माने जाने वाले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने भूपेश बघेल के नेतृत्व में बड़ी सेंध लगाई। अब लोकसभा में लोगों की निगाहें छत्तीसगढ़ पर हैं और राजनांदगांव लोकसभा सीट इस बार रमन सिंह के लिए नाक का सवाल बन गई है।
बेटे अभिषेक का कटा टिकट
राजनांदगांव में 2014 लोकसभा में रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह दो लाख से अधिक मतों से जीतकर लोकसभा पहुंचे, लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। भाजपा ने इस बार संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले प्रदेश महामंत्री संतोष पांडेय को टिकट दिया है। पार्टी ने इस बार छत्तीसगढ़ में सत्ता विरोधी लहर कम करने के लिए सभी 10 सांसदों के टिकट काट दिए थे। वहीं, कांग्रेस लगातार अभिषेक के सहारे रमन सिंह पर भ्रष्ट्राचार के आरोप लगा रही है। इसलिए माना जा रहा है कि अभिषेक का टिकट कट गया और आरएसएस से आने वाले संतोष ने बाजी मार ली। संतोष के खिलाफ कांग्रेस ने यहां से खुज्जी विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक भोलाराम साहू को चुनावी मैदान में उतारा है।
राजनांदगांव में पिछड़े वर्ग की बहुलता को देखते हुए कांग्रेस ने भोलराम पर दांव खेला है। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी ने रविता लकरा (ध्रुव), शिवसेना ने अजय पाली उर्फ बाबा, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ने डॉ. गोजुपाल, रिपब्लिकन पक्ष (खोरिपा) ने प्रतिमा संतोष वासनिक, फॉर्वर्ड डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी ने महेंद्र कुमार साहू, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने विश्वनाथ सिंह पोर्ते और अंबेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया ने बैद्य शेखू राम वर्मा भी चुनावी मैदान में हैं।
कांग्रेस और भाजपा का रहा दबदबा
इस लोकसभा सीट पर आजादी के बाद से अब तक कुल 16 चुनाव हो चुके हैं। राजनांदगांव निर्वाचन क्षेत्र में 1952 से लेकर 1999 तक 13 बार चुनाव हुए, जिनमें से ज्यादातर नतीजे कांग्रेस के ही पक्ष में रहे हैं। 1999 के बाद से 2007 के उपचुनावों के अलावा सभी चुनावों (1999, 2004, 2009, 2014) में बीजेपी ने सीट पर कब्जा करने में कामयाब रही है। राजनांदगांव से कांग्रेस के दिग्गज नेता मोती लाल वोहरा भी संसद जा चुके हैं। ऐसे में यहां कांग्रेस और भाजपा में आमने सामने की टक्कर देखी जा सकती है।
विधानसभा चुनावों के हिसाब से देखें तो राजनांदगांव लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की कुल आठ सीटें आती हैं। इनमें खैरागढ़, डोंगरगढ़ (अनुसूचित जाति), राजनांदगांव, डोंगरगांव, खुज्जी, मोहला-मानपुर (अनुसूचित जनजाति), कवर्धा और पंडरिया शामिल हैं। वर्तमान में आठ विधानसभा सीटों में से छह पर कांग्रेस और एक-एक सीट पर भाजपा-जोगी कांग्रेस का कब्जा है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन राजनांदगांव सीट से विधायक हैं।