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खास रसायनों से संरक्षित होगा संसद भवन, नवनिर्वाचित सदस्यों के स्वागत की तैयारी जोरों पर

Lok Sabha Election 2019 सत्रहवीं वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के स्वागत की तैयारियों के बीच संसद को संरक्षित करने की तैयारियों ने भी जोर पकड़ लिया है।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 10:55 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 10:55 PM (IST)
खास रसायनों से संरक्षित होगा संसद भवन, नवनिर्वाचित सदस्यों के स्वागत की तैयारी जोरों पर
खास रसायनों से संरक्षित होगा संसद भवन, नवनिर्वाचित सदस्यों के स्वागत की तैयारी जोरों पर

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। सत्रहवीं वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के स्वागत की तैयारियों के बीच भारतीय लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर (संसद) को संरक्षित करने की तैयारियों ने भी जोर पकड़ लिया है। इस दिशा में जो अहम कदम उठाए गए है, उनमें संसद भवन को गर्मी, बारिश और प्रदूषण के साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए यूवी (अल्ट्रा वाइलेट) प्रोटेक्शन प्रदान करना है। फिलहाल इसे लेकर काम शुरू हो गया है। पहले चरण में संसद भवन में मौजूद सभी गुंबदों को इससे संरक्षित किया जा रहा है। भवन में मौजूदा समय में सेंट्रल हाल सहित लोकसभा, राज्यसभा और लाइब्रेरी हाल को मिलाकर कुल चार गुंबद है।

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संसद भवन को मौसम के दुष्प्रभावों से बचाने के इस क्रम में सेंट्रल हाल के गुंबद (डोम) को यूवी प्रोटक्शन दे दिया गया है। जबकि राज्यसभा के गुंबद को इस कवच से लैस किया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक इसके बाद लोकसभा व लाइब्रेरी हाल के गुंबद को ही ऐसी ही संरक्षण दिया जाएगा। इसके तहत गुंबदों को इस खास तरह की अल्ट्रा वायलेट कोटिंग प्रदान की जाती है। जिसमें वह किसी भी बाहरी प्रभाव से पूरी से तरह बचा रहता है।

संसद भवन के संरक्षण को लेकर यह तेजी उस समय दिखाई जा रही है, जब इस ऐतिहासिक भवन को बने हुए करीब सौ साल पूरे होने वाले है। रिपोर्ट के मुताबिक इस भवन का निर्माण 1921 में शुरु किया गया था, जबकि इसे 1927 में खोला गया था। इस भवन का निर्माण खास किस्म के पत्थरों से किया गया है। इस बीच भवन के कई पत्थर खराब पड़ने लगे है। हाल ही में संरक्षण के दौरान भवन में लगे ऐसे सभी पत्थरों को चिंहित कर उसकी जगह ठीक उसी तरह के पत्थर लगाए जा रहे है।

क्या होती है यूवी प्रोटेक्टिव कोटिंग
दुनिया में हेरीटेज भवनों को संरक्षित करने के लिए अपनायी जा रही यह एक नई तकनीक है। इसके तहत भवन पर एक खास किस्म के रसायनों का लेप किया जाता है, जिसके चलते उन पर गर्मी, बरसात और प्रदूषण सहित जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को असर नहीं पड़ता है। इनकी आयु बढ़ जाती है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में राष्ट्रीय महत्व के हेरिटेज भवनों को इससे संरक्षित किया गया है। फिलहाल संसद भवन के संरक्षण का यह सारा काम सीपीडब्लूडी के एक विशेष टीम की देखरेख में किया जा रहा है। मौजूदा समय में यूवी प्रोटेक्शन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल चश्में में इस्तेमाल होने लेंस के क्षेत्र में होता है।

पहली बार चमकाने की हुई कोशिश
संसद भवन के निर्माण के बाद पहली बार इसे फिर से पुराने लुक में लाने की कवायद ने जोर पकड़ा है। इसके तहत पिछले दिनों इसे साबुन के घोल और गर्म पानी के तेज प्रेशर से धुला गया था। जिसके बाद भवन के बदरंग हो रहे पत्थरों की चमक फिर से लौटी है। हालांकि अभी इसको संवारने का काम किया जा रहा है। इनमें भवन के सीवर लाइन को भी दुरुस्त किया गया है। पिछले कुछ सालों में सीवर लाइनों को केबिल लाइन के रुप में तब्दील कर दिया था।

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