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Lok Sabha Election 2019 : दोटूक बातें, नाराजगी का खुला इजहार और मोदी की छाया

मऊ से बलिया के बेल्थरा रोड और फिर बड़हलगंज तक सड़क किनारे बसे गांव जैसे पूरे पूर्वांचल का प्रतिनिधित्व करते हों। एक तरफ मोदी का चेहरा है तो दूसरी ओर जातियों का गठजोड़।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 15 May 2019 05:09 PM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 05:09 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019 : दोटूक बातें, नाराजगी का खुला इजहार और मोदी की छाया
Lok Sabha Election 2019 : दोटूक बातें, नाराजगी का खुला इजहार और मोदी की छाया

लखनऊ [हरिशंकर मिश्र]। मऊ से लेकर बलिया के बेल्थरा रोड और फिर बड़हलगंज तक सड़क किनारे बसे गांव जैसे पूरे पूर्वांचल का प्रतिनिधित्व करते हों। चुनाव को लेकर मुखर और अपने तर्कों के साथ। एक तरफ मोदी का चेहरा है तो दूसरी ओर जातियों का गठजोड़। चौराहों पर जुटने वाली भीड़ में चुनाव पूरी तरह दो खेमों में बंटा नजर आता है। खास बात यह कि दोनों ही खेमों में वोटों के लिए जमकर रस्साकशी है और वे दो टूक बातें करते हैैं।

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मऊ शहर में विकास की बातें शुरू करें तो लोग सहज ही कल्पनाथ राय को याद करने लगते हैैं। साथ ही उनके कराये कामों पर उंगलियों पर गिनाने का क्रम शुरू हो जाता है। लेकिन, शहर से रसड़ा की ओर आगे बढऩे पर विकास की बातें कोई नहीं करता। शायद इसलिए कि सदर की सीमा छोड़ते ही जातियां लोगों के सिर चढ़कर बोल रही हैैं। रतनपुरा चौराहा रेलवे क्रासिंग पर पान की दुकान पर खड़े महेंद्र चुनावी माहौल पूछने पर अपनी जाति बताते हैैं-'हम तो यादव हैैं।' शायद वह कहना चाहते हैैं कि सरनेम से ही आप समझ जाइए कि वह किसके साथ हैैं।

जातियों का इतना मुखर होना शायद पूर्वांचल की पहचान है। इसीलिए थोड़ा आगे नदौली गांव में तीसरी बार प्रधान चुने गए जयराम भी साफ कहते हैैं कि वह दलित हैैं और वोट तो हाथी को ही देंगे। यह अलग बात है कि रसड़ा चौराहे तक पहुंचते-पहुंचते बात पाकिस्तान को उसकी औकात बता देने और मोदी के छप्पन इंच सीने की होने लगती है। 25 वार्ड वाली आदर्श नगरपालिका रसड़ा के प्यारे लाल चौराहे पर चाय की दुकान पर बैठे कुछ युवाओं में चल रही बहस कानों में गूंजती है-'वोट तो मोदी को देना है, फिर सांसद का नाम क्यों लें।' यह क्षेत्र बलिया जिले में है लेकिन संसदीय क्षेत्र घोसी है। भाजपा के प्रत्याशी हरि नारायण राजभर हैैं तो गठबंधन के तहत बसपा ने अतुल राय को खड़ा कर रखा है। चूंकि लोग खुलकर बात करते हैैं तो यह बताने में भी संकोच नहीं करते कि क्षेत्र में विधायक उमा शंकर सिंह का प्रभाव भी मायने रखेगा।

रसड़ा से आगे बेल्थरा रोड की ओर बढऩे पर फरसाटार गांव राजनीतिक रूप से जीवंत है। आबादी लगभग दस हजार की होगी। यहां चाय की दुकान पर गांव के सात-आठ लोगों का जमघट है जिनकी अगुवाई जफरुल हक (पप्पू भाई) कर रहे हैैं। वे कहते हैैं-'यह भी तो सोचा जाएगा कि सांसदजी ने क्या किया।' आरोप लगाते हैैं कि यहां के प्रधान ने कितनी गड़बडिय़ां की। लेकिन, शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। साथ बैठे अन्य लोगों में राजेंद्र गुप्ता, रिजवान अहमद, सुधार कुमार, कृष्ण कुमार, श्रीकृष्ण और अंबिका हैैं। विधानसभा चुनाव के बाद अब दूसरी बार मत देने जा रहे कृष्णकुमार कहते हैैं-'हमारे लिए तो देश के मायने हैैं। कौन शान बढ़ाएगा, वोट इस पर होगा।' एक ही तख्त पर अलग-अलग मतों के लोग बैठे हैैं और उन्हें अपनी बात कहने में कोई गुरेज नहीं।

बेल्थरा रोड नगर पंचायत में चेयरमैन दिनेश कुमार गुप्ता के आवास पर बभनौली गांव के ओम प्रकाश पांडेय से मुलाकात होती है। उनका गांव ब्राह्मणों का गांव कहलाता है। वे कहते हैैं-'सांसद से तो हम लोग भी नाराज हैैं लेकिन मोदी के नाम पर वोट करेंगे।' यह क्षेत्र सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है। भाजपा के रवींद्र कुशवाहा सांसद हैैं। बगले के घोसी संसदीय क्षेत्र और सलेमपुर में यह एक बड़ी समानता है। दोनों जगह मतदाता अपने सांसद के खिलाफ खुलकर नाराजगी जताते हैैं लेकिन मोदी की छाया ने उनका बचाव कर रखा है।

बिल्थरा रोड से मधुबन की ओर बढ़ते समय 16 किमी क्षेत्र में फैले ताल रतोय फतेहपुर में इस गरमी में भी पानी नजर आता है। इसी नाम के गांव में युवा माजिद दावा करते हैैं कि इस बार गठबंधन की सरकार बनेगी। कैसे? इस सवाल पर उनके पास सिर्फ इतना जवाब है कि क्योंकि यही मोदी को हरा सकता है। यानी मुद्दा फिर भी मोदी ही। यहां से दोहरी घाट की ओर बढऩे पर क्षेत्र और विकसित नजर आने लगता है लेकिन राजनीतिक विचारधाराएं संकीर्ण होकर जातियों में ही सिमटी हैैं। दरगाह सूरजपुर में महेश नामक एक युवा जातियों के आधार पर ही समीकरण बताता है-'इतने यादव हैैं...इतने मुसलमान हैैं....और इतने दलित...'

अब दोहरी घाट का पुल है। पुल के इधर मऊ सीमा में बड़ी-बड़ी दुकानें नजर आती हैैं तो उधर का इलाका बड़हलगंज किसी शहर का अहसास कराता है। घाघरा के किनारे अलग-अलग हैैं लेकिन राजनीति का प्रवाह एक जैसा ही है। बड़हलगंज कस्बा बांसगांव संसदीय क्षेत्र में है। यहां तिराहे पर किसी वाहन का इंतजार कर रहे श्याम कुमार कहते हैैं-'इधर तो बस मोदी...'  

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