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महासमर-2019: क्‍या प. बंगाल में होंगे चौकाने वाला परिणाम, कांटे की टक्कर में बूथ पर सबकी नजर

आम चुनाव में सीटों की संख्या बढ़ाने की जुगत में जुटी भाजपा बंगाल में जिलेवार सियासी समीकरण तैयार कर बूथों तक अपनी पहुंच बनाने में काफी हद तक कामयाब नजर आ रही है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 03:33 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 03:33 PM (IST)
महासमर-2019: क्‍या प. बंगाल में होंगे चौकाने वाला परिणाम, कांटे की टक्कर में बूथ पर सबकी नजर
महासमर-2019: क्‍या प. बंगाल में होंगे चौकाने वाला परिणाम, कांटे की टक्कर में बूथ पर सबकी नजर

कोलकाता, प्रकाश पांडेय। आम चुनाव में सीटों की संख्या बढ़ाने की जुगत में जुटी भाजपा बंगाल में जिलेवार सियासी समीकरण तैयार कर बूथों तक अपनी पहुंच बनाने में काफी हद तक कामयाब नजर आ रही है। और उसके इस मिशन को सफल बनाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरीखे कई संगठन बतौर सहयोगी कस्बा व ग्राम स्तर पर जनसंपर्क में लगे हुए हैं।

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इतना ही नहीं राज्य के प्रत्येक जिले के संघ सांगठनिक शाखा के कार्यवाहकों व बौद्धिक प्रमुखों को इससे जोड़ा गया है, जो अपने अन्य संघ साथियों की मदद से इलाकेवार लोगों से जनसंपर्क कर उन्हें भाजपा के समर्थन में मतदान के लिए प्रेरित करने का काम कर रहे हैं।

नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर एक प्रचारक ने बताया कि राज्य के ज्यादातर जिलों में संघ की सक्रियता बढ़ने से स्थानीय लोगों का झुकाव भाजपा की ओर बढ़ा है, जिसका प्रमाण 23 मई को चुनाव परिणाम आने के बाद सामने आएगा।

इधर, भाजपा के मंडल व बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं की मानें तो 2014 की तुलना में स्थिति काफी हद तक बेहतर हुई है। आज स्वेच्छा से लोग पार्टी में शामिल हो रहे हैं और शामिल होने वालों में उन लोगों की संख्या कहीं ज्यादा है, जो कभी सत्ताधारी दल के स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं के खौफ से सामने आना तो छोडि़ए, आवाज तक नहीं निकालते थे।

एक अन्य पार्टी पदाधिकारी ने बताया कि मोदी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्य की एक समुचित सूची तैयार कर ग्राम व कस्बा स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को सौंपा गया है और उन्हें सख्त निर्देश दिया गया है कि वे घर-घर जा केंद्रीय योजनाओं से लोगों को अवगत कराए।

इधर, प्रचार संरचना व सटीक बूथ पकड़ के बाबत उन्होंने बताया कि प्रदेश भाजपा की तरफ से राज्य के तमाम जिला अध्यक्षों को सूची सौंप दी गई। जिसे जिला अध्यक्षों ने मंडल, इलाका व ग्राम कमेटियों के पार्टी कार्यकर्ताओं को दे दिया व उन्हें प्रचार-प्रसार में लगा दिया गया है। हालांकि 2019 के आगाज के साथ ही जनसंपर्क व केंद्रीय योजनाओं से लोगों को अवगत कराने का काम शुरू कर दिया गया था। लेकिन चुनाव सिर पर होने की वजह से अब यह काम युद्ध स्तर पर जारी है।

संघ के लोगों का भी भरपूर साथ मिल रहा है। वहीं वामो की तर्ज पर इलाकावार क्लबों को साध राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस अपने स्थानीय पार्षदों व कार्यकर्ताओं का टारगेट फिक्स किए हुए हैं। जिसके पॉजिटिव प्रदर्शनकर्ताओं को पार्टी चुनाव परिणाम के उपरांत सम्मानित करेगी। जिसमें अर्थ सम्मान से लेकर पार्षदी टिकट तक शामिल है।

हालांकि प्रचार और बूथ पकड़ के मामले में राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्र्रेस भाजपा से कहीं आगे है। चुनाव की तारीख के घोषणा होने के महज दो दिन बात उम्मीदवारों की सूची का एलान कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने समय की अहमियत को समझते हुए प्रचार-प्रसार पर खासा जोर दिया है। प्रचार में जुटे तृणमूल उम्मीदवार व पार्टी नेताओं ने केंद्र की योजनाओं को जनविरोधी करार दिया है।

इधर, राज्य के उत्तर व दक्षिण बंगाल के मुस्लिम बहुल जिलों में भाजपा हिन्दू मतदाताओं के ध्रुवीकरण पर जोर दे रही है। 2014 व 2019 के आम चुनाव में खास अंतर यह है कि 2014 के आम चुनाव में भाजपा का बूथ स्तर पर कई जिलों में पहुंच तक नहीं बन सकी थी। लेकिन इस बार परिदृश्य थोड़ा बदला नजर आ रहा है और कार्यकर्ताओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि इसी ओर इशारे भी कर रहे हैं।

वहीं वामफ्रंट व कांग्रेस राज्य की कुछ सीटों तक ही सिमट कर रह गई है। क्योंकि भाजपा में शामिल होने वाले लोगों में ज्यादातर माकपा व उसके सहयोगी दलों के ही लोग है। कई सियासी जानकारों का मानना है कि अगर दोनों के बीच गठबंधन हो जाता तो यहां लड़ाई त्रिकोणीय होने की संभावना थी। लेकिन मौजूदा परिदृश्य में यह भाजपा बनाम तृणमूल है। राज्य में 10 ऐसे भी संसदीय क्षेत्र हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 प्रतिशत से भी अधिक है। ऐसे में भाजपा का इन सीटों पर जीत हासिल करना मुश्किल हो सकता है। 

हर पार्टी की अलग-अलग नीति

तृणमूल कांग्रेस : स्थानीय स्तर पर प्रचार की जिम्मेदारी पार्षदों व इलाका कमेटी के अध्यक्षों व सचिवों को सौंपी गई है। जो अपने कायरें का लेखाजोखा जिला अध्यक्ष व जिला कमेटी के पदाधिकारियों को दे रहे हैं। इलाकों की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी स्तर कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया गया है।

भाजपा : प्रचार नीति थोड़ी भिन्न नजर आ रही है। क्योंकि पार्टी कार्यकर्ता स्थानीय स्तर पर लोगों से जनसंपर्क के लिए तकनीक के इस्तेमाल पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। जिसमें फेसबुक व वाट्सएप अहम है। जनसंपर्क के लिए महिलाओं की टीम तैयार की गई है, जो घर-घर जा लोगों को मोदी सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के साथ ही स्थानीय स्तर की समस्याओं पर भी लोगों से चर्चा कर रही है।

इन संसदीय सीटों पर है 30 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता

लोकसभा सीट मुस्लिम मतदाता

 रायगंज लोकसभा सीट - 47.36 प्रतिशत

मालदह उत्तर - 49.73 प्रतिशत

मालदह दक्षिण - 53.46 प्रतिशत

जंगीपुर - 63.67 प्रतिशत

मुर्शिदाबाद - 58.33 प्रतिशत

बहरामपुर - 63.67 प्रतिशत

डॉयमंड हार्बर - 33.24 प्रतिशत

बीरभूम - 33.24 प्रतिशत

जयनगर - 33.24 प्रतिशत

मथुरापुर -33.24 प्रतिशत


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