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अवध में दिग्गजों के बीच चुनाव से गायब स्थानीय मुद्दे, पीएम मोदी हैं चर्चा का विषय

लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के अवध में स्थानीय चुनावी मुद्दे गायब हैं। अगर कोई मुद्दा है भी तो सिर्फ और सिर्फ जाति धर्म के वोट बैंक और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 27 Apr 2019 10:55 AM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2019 10:55 AM (IST)
अवध में दिग्गजों के बीच चुनाव से गायब स्थानीय मुद्दे, पीएम मोदी हैं चर्चा का विषय
अवध में दिग्गजों के बीच चुनाव से गायब स्थानीय मुद्दे, पीएम मोदी हैं चर्चा का विषय

गोंडा, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। उत्तर प्रदेश में अवध क्षेत्र का चुनाव प्रचार अपने चरम को छू रहा है। राजनीतिक दलों के नेताओं के चुनावी दौरों से पूरे क्षेत्र में घमासान मचा हुआ है। आसमान में हेलीकॉप्टर और सड़कों पर दौड़ते वाहनों के काफिलों ने समूचे अवध क्षेत्र को मथना शुरू कर दिया है। राजनीतिक दलों के चुनावी शोर में स्थानीय मुद्दे खो से गये हैं, जिन्हें लेकर लोगों में कोफ्त है। हां, प्रत्याशियों की छवि को लेकर गंभीर चर्चाएं हो रही हैं।

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अवध क्षेत्र के सवा तीन करोड़ मतदाता यहां की कुल 17 लोकसभा सीटों के लिए मतदान करेंगे। ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से बेहद समृद्ध अवध क्षेत्र ने देश को कई प्रधानमंत्री दिये हैं, जिनमें इंदिरा गांधी, वीपी सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी प्रमुख हैं। चुनावी संग्राम में जहां तीन वीआइपी सीटों पर सबकी नजर है, वहीं दूसरे संसदीय क्षेत्रों पर भी कब्जा जमाने को लेकर लड़ाई तेज हो गई है। कांग्रेस ने अपने तुरुप के पत्ते प्रियंका वाड्रा का रोड शो लखनऊ और अवध क्षेत्र की राजधानी अयोध्या में कराया है। इससे इस पूरे क्षेत्र में सुस्त पड़ी कांग्रेस में जान आ गई है।

चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि कृषि की अर्थव्यवस्था पर आधारित अवध क्षेत्र में इस बार चुनाव में कृषि संकट अथवा किसानों की मुश्किलों पर भी कोई बात नहीं कर रहा है। बेरोजगारी और यहां की नदियों के प्रदूषण पर हर घड़ी शोर मचाने वाले सामाजिक व गैर सरकारी संगठनों की चुप्पी भी न जाने क्या कहना चाहती है। अगर कोई मुद्दा है भी तो सिर्फ और सिर्फ जाति, धर्म के वोट बैंक और प्रत्याशियों की छवि। जिस पर लोग खुलकर बोल रहे हैं। 

प्रत्याशियों से ज्यादा चर्चा प्रधानमंत्री पद के दावेदारों पर हो रही है, जिसमें ‘मोदी एक बार और होना चाहिए,’ ‘पाकिस्तान में घुसकर मारा जैसे जुमले आम हैं।’ अवध क्षेत्र की तीन सीटों पर चुनाव 29 अप्रैल को है, जबकि बाकी 14 सीटों पर मतदान मई के पहले और दूसरे सप्ताह में है। अवध क्षेत्र की दो सीटों अमेठी और रायबरेली को छोड़कर बाकी 15 सीटों पर भाजपा का कब्जा है, जिसे बचाना पार्टी के लिए चुनौती है।

इसके लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य ने कई बार इन सीटों पर दौरा किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा अवध के एक छोर पर एक मई को होने वाला है। जबकि उसी दिन सपा-बसपा गठबंधन के नेता अखिलेश यादव और मायावती भी अवध के दूसरे छोर पर रैली को संबोधित करेंगे।

स्थानीय पत्रकार उमेश का कहना है कि अवध क्षेत्र को ‘अन्न का भंडार’ भी कहा जाता है, जिसका हृदय स्थल अयोध्या है। यहां के किसानों की मूलभूत जरूरतों पर दलों को बोलना होगा। संयुक्त अवध प्रांत की राजधानी अयोध्या पर राजनीतिक कब्जा करने को लेकर संग्राम है। फैजाबाद संसदीय क्षेत्र में भाजपा के सांसद लल्लू सिंह का मुकाबला सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी आनंद सेन यादव और कांग्रेस के निर्मल खत्री से है। खत्री सपा-बसपा गठजोड़ को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिसका फायदा भाजपा को सीधे तौर पर मिल सकता है।  


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