मिशन 2019: अपने छोड़ रहे कुशवाहा का साथ, बड़ा सवाल: क्या महागठबंधन में पड़े अकेले!
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के सहयोगी एक-एक कर उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं। इसका असर उनकी सियासी हैसियत पर भी पड़ता दिख रहा है। क्या है मामला, जानिए इस खबर में।
By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 10 Feb 2019 01:08 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 10:11 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। क्या बिहार की राजनीति में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा अकेले पड़ते जा रहे हैं? एक-एक कर उसके सहयोगी साथ छोड़ते जा रहे हैं। साथ छोड़ने वालों में अंतिम कड़ी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि का है। रविवार को पार्टी छोड़ने का ऐलान करते हुए उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा पर गंभीर आरोप लगाए। इन घटनाओं को विरोधी कुशवाहा के घटते जनाधार से जोड़ रहे हैं। इस बीच उपेंद्र कुशवाहा बुधवार से अपना चुनावी अभियान शुरू कर रहे हैं।
राजग छोड़ने के साथ शुरू हुआ संकट
कुशवाहा का संकट उनके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) छोड़ने के दौर से शुरू माना जा सकता है। रालोसपा के विधायक ललन पासवान इस मुद्दे पर बागी हो गए। उन्होंने न केवल उपेंद्र कुशवाहा से नाता तोड़ा, बल्कि रालोसपा पर भी दावा कर दिया है। ललन पासवान ने कहा कि सांसद राम कुमार शर्मा और विधायक सुधांशु शेखर भी उनके साथ हैं। फिलहाल यह विवाद चुनाव आयोग में है। इसके पहले उपेंद्र कुशवाहा के करीबी रहे अरुण कुमार भी साथ छोड़ चुके थे। .
एक-एक कर साथ छोड़ रहे सहयोगी
सांसद राम कुमार शर्मा, अरुण कुमार तथा विधायक ललन पासवान व सुधांशु शेखर के साथ छोड़ने के बाद कुशवाहा पार्टी पर पकड़ मजबूत करने के साथ जनाधार बए़ाने की रणनीति पर चल ही रहे थे कि कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि ने भी झटका दे दिया। नागमणि ने पार्टी छोड़ने की स्पष्ट घोषणा कर दी है।
नागमणि ने छोड़ी पार्टी, लगाए गंभीर आरोप
नागमणि ने सोमवार को पार्टी छोउ़ने की घोषणा करते हुए उपेंद्र कुशवाहा पर मोतिहारी लोकसभा सीट आरएस गुप के अधिकारी माधव आनंद को नौ करोड़ रुपये में बेंचने का आरोप लगाया।
घायल कुशवाहा को देखने नहीं गए राहुल-तेजस्वी
साथियों के साथ छोड़ने का सियासी असर भी दिख रहा है। घटनाक्रम बता रहे हैं कि घटते जनाधार के कारण अब उन्हें महागठबंधन में पहले वाला महत्व नहीं मिल रहा है। हाल ही में पुलिस लाठीचार्ज में घायल होने के कारण वे राहुल गांधी की पटना के गांधी मैदान में हुई रैली में शामिल नहीं हो सके। तब अस्पताल में भर्ती कुशवाहा को देखने राहुल गांधी नहीं गए। महागठबंधन के प्रमुख घटक दल राजद के तेजस्वी यादव ने भी उन्हें देखने जाना मुनासिब नहीं समझा।
राजद का दावा: जनता कुशवाहा के साथ
हालांकि, राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि रालोसपा का महागठबंधन में अहम स्थान है। उनके अनुसार कुछ नेताओं ने मलाई खाने के लिए कुशवाहा का साथ छोड़ा है, जनता तो कुशवाहा के साथ ही है।
कल से चुनावी अभियान शरू कर रहे कुशवाहा
बहरहाल, कुशवाहा चुनाव को लेकर जनता से संपर्क का अभियान जारी रखे हुए हैं। वे नहीं मानते कि नेताओं के पार्टी छोड़ने का असर पार्टी के जनाधार पर पड़ा है।
वे 11 फरवरी को काराकाट से अपनी चुनावी मुहिम शुरू करने जा रहे हैं। उनकी रणनीति अन्य दलों से हटकर दिख रही है। अन्य दलों की तरह पहले वे पटना में बड़ी रैली करने फिर जिला एवं प्रखंड स्तर पर सम्मेलन करने की नीतिपर नहीं चल रहे। वे अपना चुनावी अभियान पंचायत से आरंभ कर प्रखंड, फिर जिला और वहां से आगे राज्य स्तर पर बढऩे की कोशिश है।
राजग छोड़ने के साथ शुरू हुआ संकट
कुशवाहा का संकट उनके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) छोड़ने के दौर से शुरू माना जा सकता है। रालोसपा के विधायक ललन पासवान इस मुद्दे पर बागी हो गए। उन्होंने न केवल उपेंद्र कुशवाहा से नाता तोड़ा, बल्कि रालोसपा पर भी दावा कर दिया है। ललन पासवान ने कहा कि सांसद राम कुमार शर्मा और विधायक सुधांशु शेखर भी उनके साथ हैं। फिलहाल यह विवाद चुनाव आयोग में है। इसके पहले उपेंद्र कुशवाहा के करीबी रहे अरुण कुमार भी साथ छोड़ चुके थे। .
एक-एक कर साथ छोड़ रहे सहयोगी
सांसद राम कुमार शर्मा, अरुण कुमार तथा विधायक ललन पासवान व सुधांशु शेखर के साथ छोड़ने के बाद कुशवाहा पार्टी पर पकड़ मजबूत करने के साथ जनाधार बए़ाने की रणनीति पर चल ही रहे थे कि कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि ने भी झटका दे दिया। नागमणि ने पार्टी छोड़ने की स्पष्ट घोषणा कर दी है।
नागमणि ने छोड़ी पार्टी, लगाए गंभीर आरोप
नागमणि ने सोमवार को पार्टी छोउ़ने की घोषणा करते हुए उपेंद्र कुशवाहा पर मोतिहारी लोकसभा सीट आरएस गुप के अधिकारी माधव आनंद को नौ करोड़ रुपये में बेंचने का आरोप लगाया।
घायल कुशवाहा को देखने नहीं गए राहुल-तेजस्वी
साथियों के साथ छोड़ने का सियासी असर भी दिख रहा है। घटनाक्रम बता रहे हैं कि घटते जनाधार के कारण अब उन्हें महागठबंधन में पहले वाला महत्व नहीं मिल रहा है। हाल ही में पुलिस लाठीचार्ज में घायल होने के कारण वे राहुल गांधी की पटना के गांधी मैदान में हुई रैली में शामिल नहीं हो सके। तब अस्पताल में भर्ती कुशवाहा को देखने राहुल गांधी नहीं गए। महागठबंधन के प्रमुख घटक दल राजद के तेजस्वी यादव ने भी उन्हें देखने जाना मुनासिब नहीं समझा।
राजद का दावा: जनता कुशवाहा के साथ
हालांकि, राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि रालोसपा का महागठबंधन में अहम स्थान है। उनके अनुसार कुछ नेताओं ने मलाई खाने के लिए कुशवाहा का साथ छोड़ा है, जनता तो कुशवाहा के साथ ही है।
कल से चुनावी अभियान शरू कर रहे कुशवाहा
बहरहाल, कुशवाहा चुनाव को लेकर जनता से संपर्क का अभियान जारी रखे हुए हैं। वे नहीं मानते कि नेताओं के पार्टी छोड़ने का असर पार्टी के जनाधार पर पड़ा है।
वे 11 फरवरी को काराकाट से अपनी चुनावी मुहिम शुरू करने जा रहे हैं। उनकी रणनीति अन्य दलों से हटकर दिख रही है। अन्य दलों की तरह पहले वे पटना में बड़ी रैली करने फिर जिला एवं प्रखंड स्तर पर सम्मेलन करने की नीतिपर नहीं चल रहे। वे अपना चुनावी अभियान पंचायत से आरंभ कर प्रखंड, फिर जिला और वहां से आगे राज्य स्तर पर बढऩे की कोशिश है।
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