कर्नाटक में कुमारस्वामी को सत्ता बचाना मुश्किल, पूर्व पीएम देवगौड़ा भी हारे चुनाव
पूर्व पीएम देवेगौड़ा पौत्र के साथ-साथ अपनी सीट भी नहीं बचा पाए हैं। कर्नाटक के चुनाव परिणाम पहले से डगमग चल रही कुमारस्वामी सरकार के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं।
बेंगलुरु, जेएनएन। लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा भी भाजपा की प्रचंड लहर में धराशायी होते दिखाई दिए। राज्य के मुख्यमंत्री व बेटे एचडी कुमारस्वामी के पुत्र निखिल के साथ-साथ वह अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। कर्नाटक के चुनाव परिणाम वहां पहले से डगमग चल रही कुमारस्वामी सरकार के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं।
कर्नाटक को भाजपा दक्षिणी राज्यों के लिए अपना प्रवेशद्वार मानती रही है। वहां वह पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा दल बनकर उभरी भी, लेकिन कुछ सीटें कम रह जाने के कारण सरकार नहीं बना सकी। तब दूसरे स्थान पर रही कांग्रेस ने तीसरे स्थान पर रहे जेडीएस को समर्थन देकर सरकार बनवा दी थी। तब मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके भाजपा नेता बीएस येद्दयुरप्पा को त्यागपत्र देना पड़ा था।
अब लोकसभा चुनाव में सूबे की 28 में से 26 सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा ने अपना हिसाब बराबर कर लिया है। इनमें से 25 सीटों पर तो भाजपा खुद जीती है, जबकि एक सीट पर उसके समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार जीता हैं। पूर्व प्रधानमंत्री एवं जेडीएस अध्यक्ष एचडी देवेगौड़ा को तुमकुर सीट पर और उनके एक पौत्र निखिल को मांड्या सीट पर करारी शिकस्त मिली है। मांड्या से निखिल कुमारस्वामी को हरानेवाली सुमलता अमरीष भाजपा के समर्थन से बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में थीं। देवेगौड़ा के दूसरे पौत्र प्रवल रेवन्ना जरूर अपने दादा की परंपरागत हासन सीट से जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं।
खड़गे, मोइली समेत कई दिग्गज कांग्रेसी हारे
प्रदेश में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट हासिल हुई है। पिछली सरकार के दौरान लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी परंपरागत कलबुर्गी सीट नहीं बचा सके। इसी प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय कानून मंत्री रहे वीरप्पा मोइली चिक्कबल्लापुर से चुनाव हार गए हैं। कर्नाटक में पिछले साल कांग्रेस के सहयोग से एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बन जरूर गए हैं, लेकिन वहां कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के साथ-साथ कांग्रेस संगठन में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद कर्नाटक में कांग्रेस के समर्थन से चल रही कुमारस्वामी की सरकार के लिए भी संकट खड़ा हो सकता है।
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