मोदी मैजिक से अजय की जय, हरीश रावत को ले डूबी गुटबाजी, जानें जीन हार के कारण
उत्तराखंड की सबसे हॉट सीट नैनीताल पर दो बड़े नेताओं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी।
आशुतोष सिंह, हल्द्वानी : उत्तराखंड की सबसे हॉट सीट नैनीताल पर दो बड़े नेताओं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों नेताओं को पराजय का सामना करना पड़ा था और उसकी वजह से दोनों लगातार पार्टी के प्रदेश स्तरीय नेताओं के निशाने पर थे। ऐसे में इस चुनाव में दोनों के सामने करो या मरो जैसे हालात थे। अजय भट्ट के लिए तो मोदी मैजिक वरदान साबित हुई और उन्होंने इस सीट पर ऐतिहासिक जीत हासिल कर ली, लेकिन हरीश रावत इस बार भी गुटबाजी के शिकार हो गए।
नैनीताल सीट पर पहले भाजपा से भगत सिंह कोश्यारी, यशपाल आर्य, गजराज बिष्ट, पुष्कर सिंह धामी और बंशीधर भगत का नाम चल रहा था तो कांग्रेस से नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश सबसे बड़ी दावेदार मानी जा रही थीं। हरीश रावत की रुचि उस समय हरिद्वार में अधिक थी, लेकिन जैसे ही इस सीट पर भाजपा से अजय भट्ट का नाम घोषित हुआ, हरीश रावत ने नैनीताल सीट पर दावेदारी ठोक दी। यहां से रावत की दावेदारी के पीछे दो वजह थी। पहली यह कि वह लगातार इस संसदीय क्षेत्र में सक्रिय रहे थे और दूसरी यह कि अजय भट्ट का इस क्षेत्र से सीधा कोई संबंध नहीं था, लिहाजा भट्ट को पराजित करना उन्हें अधिक आसान लग रहा था। राष्ट्रीय स्तर का कद होने के नाते प्रदेश कांग्रेस कमेटी, प्रदेश प्रभारी और नेता प्रतिपक्ष को नजरंदाज कर हरीश रावत को टिकट मिल भी गया, लेकिन रावत के चुनाव लडऩे का ढर्रा विधानसभा चुनाव की तरह ही रहा। संसदीय क्षेत्र में अपनी टीम तैयार कर पाने और पार्टी में राजनीतिक विरोधियों को मना पाने में वह पूरी तरह नाकाम रहे। हरीश रावत के ओवर कांफिडेंस का सबसे बड़ा नमूना यही है कि उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल या राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका की एक भी रैली आयोजित करना उचित नहीं समझा। कार्यकर्ताओं द्वारा बड़े नेताओं की रैली कराने के सुझाव को भी रावत ने यही कहकर टाल दिया कि वह स्वयं बड़े नेता हैं और स्टार प्रचारक हैं।
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रुद्रपुर में महज एक ही रैली ने अजय भट्ट के पक्ष में ऐसा माहौल बनाया कि उसे तोड़ पाना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो गया। मोदी ने उस रैली में राष्ट्रवाद के मुद्दे के साथ ही चारधाम तक ऑल वेदर रोड, वन रैंक वन पेंशन, सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और सैनिक धाम का ऐसा दांव चला कि चुनाव के नतीजे ऐतिहासिक हो गए। अजय भट्ट उत्तराखंड में सबसे अधिक मतों से विजयी हुए। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अजय भट्ट ने विधानसभा चुनाव में हुई अपनी हार की न सिर्फ भरपाई कर ली, बल्कि केंद्रीय स्तर पर और बड़ी जिम्मेदारी के लिए अपनी दावेदारी भी पक्की कर ली। मोदी मैजिक तो 2014 में भी थी, लेकिन उस चुनाव में भगत सिंह कोश्यारी करीब पौने तीन लाख मतों से विजयी हुए थे, जबकि इस चुनाव में अजय भट्ट तीन लाख से भी अधिक मतों के अंतर से विजयी हुए हैं।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप