Lok Sabha Election 2019: शहर में जयंत, गांव में मोदी-बंटे विपक्ष ने अपनी जमीन ही खो दी; हाल-ए-हजारीबाग
Lok Sabha Election 2019. हजारीबाग में समस्याओं से दूर-दूर विपक्ष के पास वोट तो हैं लेकिन चेहरा नहीं आसान नहीं इस सीट पर विपक्षी महागठबंधन की जीत।
हजारीबाग से आशीष झा/उत्तम नाथ पाठक। हजारीबाग-गिरिडीह सीमा पर टाटीझरिया प्रखंड के सुदूर गांव पालमा, मोहरी, घाघरा, बेड़म, जुलमी में आपको पढ़े लिखे और स्कूल-कॉलेज से लौट चुके लोगों से अधिक संख्या फॉरेन रिटर्न (विदेश की यात्रा कर लौट चुके हैं) लोगों की है। शिक्षा के न्यूनतम स्तर पर इन्हें मजदूर और सुपरवाइजर का ही काम मिला लेकिन गांव का वातावरण बदल गया, झोपडिय़ां पक्के आवासों में बदल रहे हैं और कुओं की जगह पर घरों की छत पर टंकियां दिख रही हैं।
प्रखंड मुख्यालय से लगभग 10 किमी दूर गांव में पहुंचने के लिए वाहन भले न हो, फ्लाइट का अनुभव सैकड़ों लोगों के पास है। यहां के लोग विदेशों में फंसते भी हैं और उन्हें निकालने में मदद के लिए एक ही नाम है - सुषमा स्वराज। अनपढ़ महिलाओं तक की जुबां पर उनका नाम है। मोदी की भी चर्चा खूब करते हैं लेकिन सांसद और विधायक से कम वास्ता है।
कहने की बात नहीं कि बिखरे विपक्ष की जमीं यहां कमजोर है और लगभग दस दिनों पहले कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार का नाम घोषित किया है उन्हें सिर्फ बिरादरी वाले ही पहचानते हैं। कई विपक्षी पार्टियों की जमीन रह चुका यह क्षेत्र अब विपक्ष के किसी चमत्कारी चेहरे के इंतजार में हैं।
विस्थापन बड़ा मुद्दा : मुद्दे और भी हैं। कोयला कंपनियों के कारण बड़े पैमाने पर ग्रामीणों का विस्थापन हुआ है और सत्ता पक्ष इसे विकास का असर कहता है तो विपक्ष विरोध का कोई मौका नहीं छोड़ता। उग्र विरोधों में कई लोगों की जान तक जा चुकी है। बड़कागांव में एनटीपीसी के लिए भू-अधिग्रहण के बाद माहौल में आया तनाव अभी भी प्रशासन के लिए चुनौती है। केरेडारी भी इन्हीं कारणों से अशांत है।
रामगढ़ के कोलफिल्ड घाटो, भुरकुंडा आदि में रह-रहकर यह मुद्दा तूल पकड़ता है। ग्रामीण सुरेंद्र साव के अनुसार कांग्रेस उम्मीदवार गोपाल साहू के लिए यही विरोधी मुद्दे ऑक्सीजन का काम कर रहे हैं तो सीपीआइ के भुवनेश्वर मेहता भी इसी मुद्दे में हिस्सेदारी तलाश रहे हैं। भाजपा इसे रोजगार और विकास से जोड़ती है। सैकड़ों लोगों को काम मिला है तो भूमि अधिग्रहण के बाद इलाके के नव धनाढ्य पार्टी के दावों को मजबूती देते हैं। कोलियरी क्षेत्रों में जनसुविधाएं बढ़ाने की मांग लगातार जारी है।
कैंट एरिया : रामगढ़ इलाके में कैंट एरिया में कम विकास अहम मुद्दा है। यहां यादव ढाबे पर सुजीत सिंह सरकार और प्रशासन को कोसते मिलते हैं। सांसद जयंत सिन्हा ने पिछले चुनाव में बदलाव का वादा किया था लेकिन मुद्दे जस के तस हैं। उन्होंने छावनी परिषद के आकार को छोटा करने और नगर परिषद के क्षेत्र को बढ़ाने की भी बात कही थी लेकिन हुआ कुछ नहीं। प्रतिबंधित क्षेत्र में बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन नहीं हुआ है जिससे जी प्लस वन के बाद नक्शा पास नहीं हो पा रहा है।
रेलवे : हजारीबाग क्षेत्र में लोगों ने इन पांच वर्षों में ट्रेन की पटरियों को बिछते देखने से लेकर रेलगाड़ी का परिचालन तक देखा लेकिन उम्मीदें दिनोंदिन बढ़ रही हैं। लंबी दूरी की एक्सप्रेस ट्रेनों का इंतजार है ताकि दिल्ली का सफर आसान हो सके। केंद्रीय मंत्री होने की वजह से कई ट्रेनों को देखने का आसरा था लेकिन हुआ कुछ नहीं। पीटीसी चौक के रामेश्वर पंडित कहते हैं कि अब हजारीबाग से ट्रेनें नहीं मिलीं तो सांसद का विरोध होगा।
जलापूर्ति योजनाएं : कोनार सिंचाई और जलापूर्ति योजनाओं का इंतजार लोगों को वर्षों से है। सिंचाई परियोजना चार दशकों से पूर्ण नहीं हो सकी है। इसके बन जाने से खेती में क्रांतिकारी बदलाव आने की संभावना है। वहीं शहरी जलापूर्ति योजना के पूरा होने में अभी पांच वर्षों का समय लग सकता है। इसके अलावा शहरी क्षेत्र में कचरा निस्तारण एक बड़ा मुद्दा है वहीं एयरपोर्ट के लिए लोगों को वर्षों से इंतजार है। यहां से नियमित तौर पर महानगरों की ओर जाने-आने वाले लोगों की संख्या सैकड़ों में है।
मुद्दे जिनपर होगा आरपार
सुलझे मुद्दे : सड़कें दुरुस्त हुईं, रेल लाइन और स्टेशन का निर्माण हुआ, मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार, रामगढ़ में महिला इंजीनियरिंग कॉलेज तैयार, देश का दूसरा कृषि अनुसंधान केंद्र बरही में बना, चुरचू जैसे उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास की नई उम्मीद दिखी, रजरप्पा मंदिर क्षेत्र का विकास हुआ, हजारीबाग को नगर निगम का दर्जा मिला और लगे हाथ चुनाव भी हो गया।
अनसुलझे मुद्दे : विस्थापितों की समस्या का निदान नहीं, गिद्दी, घाटो व केरेडारी में कोयला ढुलाई से होनवाले प्रदूषण का निदान नहीं, हजारीबाग-बड़कागांव सड़क की बदहाली, रामगढ़ और हजारीबाग में स्थायी डंपिंग यार्ड नहीं बना, रामगढ़ छावनी क्षेत्र का दायरा कम करना, हजारीबाग से लंबी दूरी की ट्रेनें ना शुरू होना, रामगढ़ में विधि-व्यवस्था अनियंत्रित, ग्रामीण क्षेत्रों में बदहाल बिजली।