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कश्मीर में गहमागहमी: चर्चा एग्जिट पोल की और नजर चुनाव परिणाम की ओर

राज्य के छह संसदीय क्षेत्रों में से तीन कश्मीर घाटी के हैं। इन तीनों सीटों पर दस प्रतिशत के आसपास ही मतदान हुआ है। इसके बावजूद घाटी के लोगों की उत्सुकता चुनाव परिणामों को लेकर है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 04:32 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 04:32 PM (IST)
कश्मीर में गहमागहमी: चर्चा एग्जिट पोल की और नजर चुनाव परिणाम की ओर
कश्मीर में गहमागहमी: चर्चा एग्जिट पोल की और नजर चुनाव परिणाम की ओर

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर घाटी में बेशक संसदीय चुनावों में 100 में 10 लोग ही वोट डालने पहुंचे हों, लेकिन अब 100 में 90 पूछ रहे हैं कि अगला पीएम कौन होगा। कश्मीर से दिल्ली में उनकी नुमाइंदगी कौन करेगा। अगली सरकार कैसी होगी, राज्य के हालात पर उसका रुख कैसा होगा, यह सवाल हर आम और खास की जुबान पर है। आम लोगों से लेकर राजनीतिक दलों से जुड़े लोग बेसब्री से 23 मई का इंतजार कर रहे हैं। चुनाव बहिष्कार का एलान करने वाला अलगाववादी खेमा भी चुनाव परिणामों की ओर देख रहा है।

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राज्य के छह संसदीय क्षेत्रों में से तीन कश्मीर घाटी के हैं। इन तीनों सीटों पर दस प्रतिशत के आसपास ही मतदान हुआ है। इस सबके बावजूद घाटी के लोगों की उत्सुकता चुनाव परिणामों को लेकर है। एग्जिट पोल ने जिज्ञासा को और भी बढ़ाया है। श्रीनगर के रेस्तरां हों या बारामुला में ङोलम किनारे स्थित इको पार्क या फिर आतंकियों का गढ़ कहलाने वाले दक्षिण कश्मीर का त्राल, जवाहर सुरंग से लेकर उत्तरी कश्मीर में एलओसी तक सटे कुपवाड़ा तक हर जगह लोग एग्जिट पोल पर बहस करते नजर आ रहे हैं। कश्मीर के वह बुद्धिजीवी जो मतदान केंद्र तक नहीं पहुंचे और अलगाववादियों की तर्ज पर चुनाव बहिष्कार को सही ठहराते हुए कहते थे कि दिल्ली में सरकार से हमें कोई सरोकार नहीं है, वह भी चुनाव परिणामों से खुद का सरोकार जुड़ा बता रहे हैं।

एग्जिट पोल मैनुपलेट होते हैं: अक्सर टीवी चैनलों पर होने वाली बहस में कश्मीर की आजादी का पक्ष लेने वाले एक युवा पत्रकार व कथित कश्मीर विशेषज्ञ ने कहा कि भाजपा को बहुमत मिलेगा, इसकी उम्मीद नहीं है। एग्जिट पोल मैनुपलेट होते हैं। अगर यह सही भी हों तो भाजपा की सरकार दोबारा नहीं बननी चाहिए, क्योंकि वह धारा 370 और 35ए को समाप्त करने का कदम उठा सकती है। वह कश्मीर के लिए ही नहीं हिंदुस्तान के लिए भी खतरा है। भाजपा ने देश में सांप्रदायिक ताकतों को बढ़ावा दिया है।

23 मई का दिन कश्मीर के लिए अधिक अहम: कालेज लेक्चरार गुलशन अहमद ने कहा कि 23 मई बेशक पूरे मुल्क के लिए अहम है, लेकिन यह कश्मीर के लिए किसी अन्य राज्य से ज्यादा अहम है। केंद्र में जो सरकार बनेगी, उसकी नीतियां ही कश्मीर का मुस्तकबिल तय करेंगी। वह कहते हैं कि भाजपा कहती है अगले दो तीन सालों में हमारा विशेष दर्जा समाप्त कर दिया जाएगा। यहां तो भाजपा नहीं जीतेगी, लेकिन मुल्क के अन्य हिस्सों के बारे में हम कुछ नहीं कह सकते। एग्जिट पोल ने कई शंकाएं पैदा की है। अलगाववादी भी दबे मुंह अपने जान-पहचान के लोगों के साथ एग्जिट पोल और चुनाव परिणाम की चर्चा कर रहे हैं।

कश्मीर से नेकां-कांग्रेस के उम्मीदवार दिल्ली जाएंगे: कट्टरपंथी हुर्रियत से जुड़े एक नेता जो दक्षिण कश्मीर से ताल्लुक रखते हैं, ने कहा कि एग्जिट पोल को कितना सही माना जाए, यहां बहुत से ऐसे आंकड़े और दावे हैं। अगर मोदी दोबारा आए तो मुझे नहीं लगता कि कश्मीर मुददे पर बातचीत होगी। उनका यह रवैया कश्मीर के लिए ठीक नहीं है। यहां कश्मीर से लगता है कि नेकां और कांग्रेस के उम्मीदवार दिल्ली जाएंगे। इस बार पीडीपी के चुनाव जीतने की उम्मीद अधिक नहीं है।

कश्मीर के अहम हैं परिणाम: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के उपाध्यक्ष अब्दुल रहमान वीरी ने कहा कि कौन जीतेगा कौन हारेगा और किसकी सरकार बनेगी, इस पर अभी बात करने का फायदा नहीं है। आप वीरवार का इंतजार करेंगे। एक बात तय है कि यह चुनाव परिणाम कश्मीर को लेकर बहुत अहम हैं। नेकां के प्रांतीय प्रधान नासिर असलम वानी ने कहा कि अगर भाजपा जीतेगी तो हम कुछ नहीं कर सकते। लेकिन हम उसे राज्य के विशेष दर्जे के साथ छेडख़ानी नहीं करने देंगे।

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