झारखंडः दलबदल का फैसला आने पर तय होगी रणनीतिः बाबूलाल मरांडी
Babu Lal Marandi. झारखंड विकास मोर्चा के छह विधायकों के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने को लेकर झारखंड विधानसभा में चल रहे दलबदल मामले पर 20 फरवरी को फैसला आएगा।
रांची, राज्य ब्यूरो। दलबदल मामले में 20 फरवरी को आने वाले फैसले को लेकर राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री सह झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी आम जनता की ही तरह ऊहापोह में हैं। फैसला किसके पक्ष में आएगा, याचिकाकर्ता के रूप में उन्हें क्या उम्मीद है, बाबूलाल सिर्फ इतना कहते हैं, फैसला आने दीजिए। फैसला आने में भले ही देर हुई है, परंतु ट्रिब्यूनल (स्पीकर कोर्ट) पर भरोसा है। जागरण के सीनियर कॉरेस्पोंडेंट विनोद श्रीवास्तव से बातचीत में बाबूलाल ने दलबदल समेत अन्य मुद्दों पर खुलकर बात की। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के मुख्य अंश: -
गोड्डा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र को लेकर कांग्रेस और झाविमो के बीच जिच अब भी बरकरार है? इससे कहीं महागठबंधन के स्वरूप पर तो असर नहीं पड़ेगा?
- ऐसा कुछ नहीं होगा। पार्टी ने अपना स्टैंड पहले ही साफ कर दिया है। वक्तके साथ-साथ सबकुछ ठीक हो जाएगा।
2019 में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी होंगे, पार्टी जनता के बीच किस रणनीति के साथ जाएगी?
-झाविमो आम जनता के हितों को लेकर सड़क से सदन तक अपनी आवाज बुलंद करता आया है। झाविमो अपने आज तक के संघर्ष और अपनी नीतियों के साथ उनके बीच जाएगी। बहरहाल पार्टी का पूरा फोकस लोकसभा चुनाव पर है। इसके बाद विधानसभा चुनाव की तैयारियां चरणबद्ध तरीके से की जाएगी।
पिछले विधानसभा चुनाव के बाद झाविमो के छह विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो, क्या रणनीति है?
- देखिए राजनीति में आना-जाना लगा रहता है। कुछ लोग अति महत्वाकांक्षा में आदर्शों को ताक पर रख जाते हैं। ऐसे लोगों को भगवान ही सद्बुद्धि देंगे।
पार्टी के महासचिव बंधु तिर्की के सुर कुछ बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से भी मुलाकात की है? कहीं इसके कुछ खास मायने तो नहीं?
-देखिए सभी का अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व है। राजनीति में बहुत कुछ चलता है। लालू प्रसाद यादव देश के सर्वमान्य नेता हैं। वे अस्वस्थ चल रहे हैं। उनके मुलाकात के मायने-मतलब निकाला जाना ठीक नहीं है। वे पार्टी के कद्दावर नेता हैं।
सरकार के मौजूदा क्रियाकलापों के बारे में क्या कहेंगे?
- मौजूदा सरकार ने देश की संवैधानिक संस्थाओं तक पर अंकुश लगाने की कोशिश की है। पहले गरीबों का जन-धन खाता खुलवाया और अब कम बैलेंस होने की बात कहकर गरीबों से जुर्माना वसूल रही है। न महंगाई खत्म हुई, न काला धन वापस आया और न ही रोजगार मिला। झारखंड सरकार भी कमोबेश केंद्र के ही नक्शेकदम पर चल रही है। चार वर्षों में सरकार रिंग रोड तक नहीं बनवा सकी। रांची-जमशेदपुर मार्ग के भी वही हालात हैं। सरकार किसानों, गरीबों और बेरोजगारों के लिए नहीं, बल्कि कारपोरेट घरानों के लिए काम कर रही है। सरकार शराब की दुकान खोल रही है और स्कूल बंद कर रही है। जनता सब देख रही है, 2019 में माकूल जवाब देगी।
प्रधानमंत्री ने राज्य को तीन-तीन मेडिकल कालेज की सौगात दी है? क्या कहेंगे?
- देखिए सिर्फ बिल्डिंग तैयार कर देना काफी नहीं होता। आधारभूत संरचनाओं, चिकित्साकर्मियों, उपकरणों आदि की आवश्यकता बिल्डिंग से कहीं अधिक मायने रखती है। राज्य में पहले भी कई अस्पतालों के भवन बने हैं, परंतु उनमें से कितने सही रूप से संचालित हैं और आम जनता को उसका कितना लाभ मिल रहा है, कोई सर्वेक्षण करा ले।