Lok Sabha Election 2019: परिणाम MP का आएगा, परीक्षा MLA की हो रही; पढ़ें Reality Check
Lok Sabha Election 2019.पहले चरण की तीन सीटों पर सांसद प्रत्याशियों के साथ ही विभिन्न पार्टियां विधायकों को भी परख रही हैं। कई विधायक दूसरे दलों के लिए सक्रियता दिखा रहे हैं।
रांची, [आशीष झा]। Lok Sabha Election 2019 - पहले चरण की तीन सीटों पर सांसद कौन होगा यह तो चुनाव परिणाम तय करेगा लेकिन इसी बहाने विधायकों की भी परीक्षा हो रही है। पार्टी यह आंकने में जुटी है कि किस इलाके में पार्टी उम्मीदवार को बढ़त मिलती है और किस इलाके में नहीं। बढ़त नहीं मिलने की स्थिति में कारणों की भी पड़ताल होगी।
झारखंड में पहले चरण में पलामू, चतरा और लोहरदगा का चुनाव है और इनमें से दो सीटों पर महागठबंधन और राजग का मुकाबला है जबकि चतरा में राजद, कांग्रेस और भाजपा की टक्कर। तीनों सीटों पर कुल मिलाकर 16 विधानसभा क्षेत्र आते हैं और यहां विधायकों की सक्रियता से आसार समझ में आने लगे हैं। पार्टी लाइन पर काम कर रहे विधायकों के बीच से विपक्षी पार्टियां सेंधमारी करने में लगे हैं और यही कारण है कि कुछ विधायकों ने अपने कार्यकर्ताओं को फ्री कर दिया है।
चतरा में भाजपा को 3-2 से बढ़त लेकिन पीठ पीछे मामला बराबरी का
चतरा संसदीय क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से भाजपा के तीन विधायक हैं और महागठबंधन के दो विधायक। भाजपा से सुनील सिंह, कांग्रेस से मनोज यादव और राजद से सुभाष यादव किस्मत आजमा रहे हैं। भाजपा के लिए दो विधायक खुलकर काम कर रहे हैं तो कांग्रेस उम्मीदवार के लिए भी दो विधायकों की सक्रियता दिखती है। राजद के लिए कोई विधायकअभी खुलकर काम नहीं कर रहा। भाजपा के एक विधायक अभी तक चुप्पी साधे हैं और उनके समर्थक कहीं न कहीं निर्दलीय प्रत्याशी राजेंद्र साव के लिए काम कर रहे हैं।
ये है विधायकों का हाल
सिमरिया (गणेश गंझू, भाजपा) - चुप्पी साधे हैं। समर्थकों की सक्रियता पार्टी के लिए कम दिख रही।
चतरा (जय प्रकाश सिंह भोक्ता, भाजपा) - सक्रियता से पार्टी प्रत्याशी के प्रचार में जुटे हैं।
मनिका (हरिकृष्ण सिंह, भाजपा) - सक्रिय हैं। इनके समर्थक भी भाजपा उम्मीदवार के लिए जुटे हुए हैं।
लातेहार (प्रकाश राम, झाविमो) - निलंबित हैं लेकिन महागठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध नहीं।
पांकी (देवेंद्र कुमार सिंह, कांग्रेस) - कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में काम कर रहे।
पलामू में 5-1 से आगे भाजपा लेकिन राजद कर रहा सेंधमारी
पलामू के छह संसदीय क्षेत्रों में से भाजपा के चार विधायक हैं जबकि एक निर्दलीय और एक बसपा के विधायक। निर्दलीय भानु प्रताप शाही का साथ भी भाजपा को मिल रहा है और इस प्रकार आंकड़ों में भाजपा मजबूत है लेकिन हकीकत यह है कि राजद सेंधमारी करने में सफल रहा है। भाजपा उम्मीदवार के रिश्तेदार होने के कारण विधायक राधाकृष्ण किशोर जी-जान से लगे हुए हैं जबकि किशोर से आहत मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी की सक्रियता कम है। भाजपा के आलोक चौरसिया पार्टी का विरोध नहीं कर रहे लेकिन उनके कई समर्थक और बिरादरी के लोग राजद के प्रति साफ्ट रुख रखे हैं। इस क्षेत्र में महागठबंधन ने सीट राजद को दी है और उसका कोई विधायक नहीं है।
ये है विधायकों का हाल
डालटनगंज (आलोक चौरसिया, भाजपा) पार्टी लाइन पर काम कर रहे हैं लेकिन समर्थक राजद के भी पक्ष में।
विश्रामपुर (रामचंद्र चंद्रवंशी, भाजपा) - बहुत एक्टिव नहीं लेकिन विरोध भी नहीं।
छतरपुर (राधाकृष्ण किशोर, भाजपा) - भाजपा उम्मीदवार के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं।
हुसैनाबाद (कुशवाहा शिवपूजन मेहता, बसपा)- महागठबंधन से दूर बसपा के लिए कार्यरत
गढ़वा (सत्येंद्रनाथ तिवारी, भाजपा) - भाजपा के खिलाफ बोलते नहीं लेकिन समर्थक राजद उम्मीदवार के पक्ष में
भवनाथपुर (भानु प्रताप शाही, निर्दलीय) - भाजपा के लिए सक्रिय हैं। कार्यक्रमों में भी पहुंचते हैं।
लोहरदगा में भाजपा के तीन तो महागठबंधन के दो विधायक
पहले चरण की तीन सीटों पर सीधा मुकाबला लोहरदगा में ही देखने को मिल रहा है। यहां के विधायक साथ हैं तो हैं और नहीं हैं तो नहीं हैं। कहीं पीछे से समर्थन और विरोध की बात नहीं है। भाजपा को इस प्रकार लोहरदगा क्षेत्र में 3-2 से बढ़त मिली हुई है। देखने की बात होगी कि इसका फायदा उम्मीदवार को कितना मिलता है। यहां पार्टियों में अंतर्कलह भी कम ही है। कांग्रेस ने अपने विधायक सुखदेव भगत को उम्मीदवार बनाया है तो भाजपा ने केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत को फिर से मौका दिया है। सीधी लड़ाई में अब देखने की बात होगी कि विधायकों से आम लोग कितना प्रभावित हैं और इनके कार्यों का जनता पर क्या असर पड़ता है।
ये है विधायकों का हाल
मांडर (गंगोत्री कुजूर, भाजपा) - पूरी तरह पार्टी लाइन पर काम कर रही हैं।
सिसई (प्रो. दिनेश उरांव, भाजपा) - पार्टी उम्मीदवार के लिए सक्रिय हैं।
गुमला (शिवशंकर उरांव, भाजपा) - भाजपा प्रत्याशी को मदद कर रहे हैं।
बिशुनपुर (चमरा लिण्डा, झामुमो)- नाराजगी थी, अब कांग्रेस की मदद कर रहे।
लोहरदगा (सुखदेव भगत, कांग्रेस) - खुद प्रत्याशी हैं। महागठबंधन का साथ मिल रहा है।