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Lok Sabha Election 2019: वोट बढ़ाने के टास्क से सहमे हैं विधायक

Lok Sabha Election 2019. सांसद चुनने की इस घड़ी में विधायकों की परीक्षा हो रही है। झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव भी होने हैं ऐसे में इनके टिकट पर आफत आ सकती है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 01 May 2019 03:39 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2019 03:39 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: वोट बढ़ाने के टास्क से सहमे हैं विधायक
Lok Sabha Election 2019: वोट बढ़ाने के टास्क से सहमे हैं विधायक

रांची, [प्रदीप सिंह]। Lok Sabha Election 2019 - झारखंड में लोकसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन का सिरदर्द तमाम प्रमुख दलों के विधायकों के मत्थे है। चुनाव में उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। संगठन का टास्क उनके मत्थे है। स्पष्ट संदेश दिया गया है कि विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में पिछले चुनाव की अपेक्षा कम वोट मत मिले तो टिकट से भी हाथ धोना पड़ सकता है। राज्य में इसी साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होगा। इसमें लोकसभा चुनाव में विधायकों का प्रदर्शन उनके राजनीतिक करियर के लिए अहम होगा।

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सबसे ज्यादा विधायकों की संख्या भाजपा की है। जाहिर है इस दल के विधायक ज्यादा टेंशन में हैं। नेतृत्व ने उन्हें ताकीद की है कि क्षेत्र संभाले। अगर अपने विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ गए तो टिकट से हाथ धोना पड़ सकता है। इस चेतावनी के बाद विधायकों के माथे पर बल पड़ गए हैं। वे अपने क्षेत्रों में डटे हैं और उनकी पूरी कवायद वोट बढ़ाने की है। वैसे विधायक कुछ ज्यादा दबाव में हैं जिनका प्रत्याशी से छत्तीस का रिश्ता है। एक विधायक ने कहा कि आलाकमान का निर्णय मानने की मजबूरी है। टिकट चाहिए तो क्षेत्र में वोट दिलाना ही होगा। ऐसा नहीं हुआ तो परेशानी हो सकती है। 

विधानसभा चुनाव का रिहर्सल
वोट बढ़ाने के टास्क से जहां कई विधायक सांसत में हैं वहीं ज्यादातर इसे विधानसभा का रिहर्सल मानते हुए सकारात्मक तरीके से ले रहे हैं। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव की भी तैयारी हो जाएगी। इसका फायदा विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा। 

दावेदारों के लिए भी मौका
विपक्षी महागठबंधन से जुड़े दलों के नेताओं के लिए यह विधानसभा चुनाव में दावेदारी ठोकने का बेहतर मौका है। तमाम विपक्षी दलों ने इसे ध्यान में रखते हुए विधानसभा स्तर पर जिम्मेदारी सौंपी है। लोकसभा चुनाव में मिले वोट के आधार पर ऐसे नेताओं की क्षमता का आकलन किया जाएगा। विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में इनकी दावेदारी ज्यादा मजबूत होगी जो अपने प्रभार वाले क्षेत्रों में प्रभावी होंगे और महागठबंधन के प्रत्याशी को बढ़त दिलाने में कामयाब होंगे।


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