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Lok Sabha Election 2019: गुरुजी के दरवाजे पर शगुन बनकर खड़ी है संघर्ष की साक्षी जीप

गुरुजी ने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दौर 1979 में ही एक जीप ली थी जो उनके संघर्ष की साक्षी है। आज भी यह जीप उनको बेहद प्रिय है।

By SunilEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 08:28 AM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 08:28 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: गुरुजी के दरवाजे पर शगुन बनकर खड़ी है संघर्ष की साक्षी जीप
Lok Sabha Election 2019: गुरुजी के दरवाजे पर शगुन बनकर खड़ी है संघर्ष की साक्षी जीप

दुमका, जेएनएन। महाजनी के खिलाफ लड़ाई लड़ते-लड़ते शिबू सोरेन की जमीनी ताकत इतनी मजबूत हो गई कि 1980 में राजनीति की दहलीज पर कदम रख वे राष्ट्रीय फलक पर चमक गए। इतिहास के झरोखे में झांकें तो पाएंगे कि अस्सी के दशक में शिबू सोरेन का जलवा ऐसा था कि कांग्रेस ने तब उनके साथ कदम बढ़ाने का फैसला लिया था। गुरुजी ने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दौर 1979 में ही एक जीप ली थी जो उनके संघर्ष की साक्षी है। आज भी यह जीप उनको बेहद प्रिय है। उनके दरवाजे पर खड़ी है। शिबू सोरेन के करीबी बताते हैं कि वह इस जीप को शगुन मानते हैं।

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उस समय कांग्रेस नेता ज्ञानरंजन ने कांग्रेस के साथ गुरुजी के गठबंधन का रास्ता तैयार किया था। लोकसभा चुनाव में तो बात नहीं बनी पर तब विधानसभा चुनाव आते आते दोनों के बीच गठबंधन हो गया। ज्ञानरंजन ने कांग्रेस आलाकमान को यह बता दिया था कि संताल में शिबू सोरेन का जलवा है। आज एक बार फिर कांग्रेस संताल और झारखंड में अपनी जमीन को बचाने के लिए झामुमो के साथ खड़ी है। वह सामने विधानसभा चुनाव देख रही है। गुरुजी ने कांग्रेस से ही दुमका की सीट छीनी थी। पृथ्वीचंद किस्कू को पराजित किया था। वह भी महज 3,513 मत से उन्होंने कांग्रेस के इस किले को ध्वस्त कर दिया था।

दरअसल जल, जंगल, जमीन से पहले महाजन प्रथा के खिलाफ और फिर अलग झारखंड राज्य का संघर्ष जिस तरह शिबू सोरेन ने किया उसने उनको दिशोम गुरु बना दिया। जनता की ताकत ने ही उनको आठ बार सांसद बनाया। फर्श से अर्श पर जाने के बावजूद गुरुजी अपनी शगुन वाली जीप को आज भी सहेज कर रखे हैं। इसे वह शगुन ही नहीं संघर्ष में साथ देने वाला सारथी भी मानते हैं। बताते हैं कि यह जीप नई नहीं ली गई थी। उसे बनवाया गया था। इस जीप का गुरुजी बेहद ख्याल रखते हैं। अब उसे फिर से रंग रोगन कर नया कर दिया गया है। अब उस पर सवारी नहीं हो रही है लेकिन बीते दिनों की साक्षी यह जीप गुरुजी के संघर्ष की कहानी आज भी सुना रही है। पहली दफा जब गुरुजी सांसद बने थे तो डब्ल्यूजेजे 8381 नंबर की जीप से ही दिल्ली के लिए ट्रेन पकडऩे मधुपुर गए थे। 1974 से गुरुजी के साथ साथ चलने वाले और उनके प्रतिनिधि विजय कुमार सिंह कहते हैं कि 1980 में टार्च की रोशनी में गुरुजी दीवार लेखन कर प्रचार प्रसार करते थे। और तो और मिट्टी के रंग बनाकर दीवार पर लिखते थे। उनकी टार्च का रंग भी हरा था। चलिए बात चुनाव प्रचार की चल रही है तो यह भी बता दें कि एक समय था जब शिबू के रणनीतिकारों में सूरज मंडल, साइमन मरांडी, डेविड मुर्मू, प्रो. स्टीफन मरांडी, विजय कुमार सिंह मुख्य रूप से थे। तब दुमका के हेमलता गेस्ट हाउस में चुनावी टीम रणनीति बनाती थी।

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