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परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा देती 'जेडीएस', पोतों को स्थापित कर रहे देवेगौड़ा

1999 में देवेगौड़ा ने जनता दल सेक्यूलर पार्टी का गठन किया। पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा अब दोनों पोतों को लोकसभा में भेजकर परिवार को कर्नाटक की सियासत में स्थापित करना चाहते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 09:34 AM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 09:34 AM (IST)
परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा देती 'जेडीएस', पोतों को स्थापित कर रहे देवेगौड़ा
परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा देती 'जेडीएस', पोतों को स्थापित कर रहे देवेगौड़ा

बेंगलुरू, ओमप्रकाश तिवारी। देवेगौड़ा की पार्टी जनतादल (सेक्युलर) का राजनीतिक चरित्र दक्षिण भारत में कमोबेश वही है, जो उत्तर प्रदेश में मुलायमसिंह यादव की समाजवादी पार्टी और बिहार में लालूप्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनतादल का है। यानी परिवार ही पार्टी है। परिवार ही प्राथमिकता है। इस बार तो लोकसभा चुनाव में इस परिवार के लिए चुनौतियां और बड़ी हैं। देवेगौड़ा ने हासन छोड़कर मध्य कर्नाटक की ही तुमकुर सीट से लड़ते हुए परिवार की तीसरी पीढ़ी को स्थापित करने का बीड़ा उठा लिया है।

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अब तक एच.डी.देवेगौड़ा के अलावा उनके दो पुत्र और दो बहुएं ही राजनीति में थीं। अब दोनों पुत्रों के एक-एक पुत्रों को भी लोकसभा में भेजकर परिवार को सूबे की सियासत में स्थापित करना चाहते हैं। देवेगौड़ा इन दिनों पूरी ताकत से इसी मुहिम में लगे हैं और कांग्रेस से कोई भी समझौता करने को तैयार हैं। पिछले चुनाव में राज्य की सभी 28 सीटों पर लड़ी जनतादल (एस) के लिए इस बार देवेगौड़ा ने सिर्फ आठ सीटें रखी हैं। शेष 20 सीटें कांग्रेस को दे दी हैं। दरअसल पिछले लोकसभा चुनाव में भी जनतादल (एस) कुल दो सीटें ही जीत सकी थी। इसलिए इस बार भी देवेगौड़ा बहुत ज्यादा उम्मीद पालकर नहीं बैठे हैं। आकांक्षा है तो बस इतनी की तुमकुर से स्वयं जीत जाएं एवं क्रमश: हासन और मंड्या से दोनों पोते प्रज्ज्वल और निखिल।

प्रज्जवल रेवन्ना एच.डी.देवेगौड़ा के बड़े बेटे एच.डी.रेवन्ना के पुत्र हैं। एच.डी.रेवन्ना स्वयं कर्नाटक में जद(स) के विधायक एवं अपने छोटे भाई एच.डी.कुमारस्वामी की कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री हैं। उनकी पत्नी भवानी रेवन्ना भी हासन जिला पंचायत की सदस्य हैं। अपने बेटे के लिए चुनाव प्रचार शुरू कर चुकीं भवानी का कहना है कि उनका बेटा बिना किसी अनुभव के राजनीति में नहीं उतर रहा है। वह अपने दादा, पिता और चाचा को राजनीति में देखता आया है। पार्टी के सभी बड़े लोगों का दिल जीतने के कारण ही पार्टी के वरिष्ठजनों ने उसे लोकसभा चुनाव लड़वाने का निर्णय किया है।

देवेगौड़ा के दूसरे पोते निखिल मंड्या लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं। वह देवेगौड़ा के छोटे बेटे एच.डी.कुमारस्वामी के पुत्र हैं। कुमारस्वामी ही इस समय कांग्रेस- जद(स) की साझा सरकार में मुख्यमंत्री हैं। निखिल कुमारस्वामी एवं उनकी पहली पत्नी अनिता के पुत्र हैं। बता दें कि कुमारस्वामी की दूसरी पत्नी कन्नड़ फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री राधिका भी कर्नाटक विधानसभा की सदस्य हैं।

अब कुमारस्वामी अपने पुत्र निखिल को भी राजनीति में लाना चाहते हैं। 29 वर्षीय निखिल भी अभिनेता हैं। मंड्या 2014 में जद(स) द्वारा जीती गई दो सीटों में से एक है। यहां से सी.एस.पुट्टाराजू सांसद हैं। दूसरे स्थान पर रहीं कांग्रेस उम्मीदवार राम्या सिर्फ 5.5 हजार से हारी थीं। इस बार कांग्रेस से सीटों के समझौते में यह सुरक्षित सीट देवेगौड़ा ने अपने दूसरे पौत्र के लिए झटक ली है। ताकि उनकी तीसरी पीढ़ी राजनीति का ककहरा सीधे लोकसभा की दो सीटों पर बैठकर सीख सके।


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