Lok Sabha Elections 2019 : पेश है दूसरे लोकसभा चुनाव से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी
494 सीटों में से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 371 सीटें जीती थीं। वहीं सीपीआइ ने 27 सीटों और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने 19 सीटों पर कब्जा किया। भारतीय जनसंघ ने केवल चार सीटें जीतीं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। यह देश के लिए एक कठिन दौर में हुआ चुनाव था, जिसमें जवाहरलाल नेहरू अपनी पार्टी के भीतर दक्षिणपंथी, और कम्युनिस्टों और उसके बाहर के समाजवादियों से लड़ रहे थे। चुनाव उस समय हुए थे, जब हिंदू पर्सनल लॉ सुधारों पर चर्चा चल रही थी।
शीत युद्ध के दौरान 1955 के बांडुंग सम्मेलन में नेहरूवादी गुटनिरपेक्षता की शुरुआत हुई थी। देश भाषायी विवादों से घिर था। राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया था। यह वह समय था जब उच्च शिक्षा योजनाओं, विशेष रूप से आइआइटी सामने आई थी। पंचवर्षीय योजनाओं को महत्व दिया गया था और बड़े बांधों और बड़ी परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाई गई थी। भोजन की असुरक्षा एक बड़ा मुद्दा था। पेश है दूसरे लोकसभा चुनाव से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी:
कुल सीटें : 494
बहुमत के लिए : 248
चुनाव की तारीख
24 फरवरी 1957 से 9 जून 1957 के बीच संपन्न हुआ था दूसरा आम चुनाव।
किसको कितनी सीटें मिलीं
494 सीटों में से, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 371 सीटें जीती थीं। वहीं सीपीआइ ने 27 सीटों और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने 19 सीटों पर कब्जा किया। भारतीय जनसंघ ने केवल चार सीटें जीतीं। एक बार फिर, निर्दलियों ने कांग्रेस के बाद सबसे अधिक 41 सीटें जीतीं। इस चुनाव में 55 फीसद मत पड़े थे।
नेहरू फिर बने प्रधानमंत्री
प्रचंड बहुमत प्राप्त करने के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। एम.अनंथसायनम आयंगर को सर्वसम्मति से दूसरी लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया।
तीन निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़े अटल जी
इस चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ा था। लखनऊ में वे हार गए थे, मथुरा में उनकी जमानत जब्त हो गई थी, लेकिन बलरामपुर से वह जीत गए थे।
बूथ कैप्र्चंरग
भारत में बूथ कैप्र्चंरग का पहला मामला इसी चुनाव में बेगूसराय के मटिहानी विधानसभा सीट के रचियाही में दर्ज किया गया था।