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विश्‍व का सबसे महंगा भारत का लोकसभा चुनाव, अमेरिका छूटा पीछे, जानिए- कितने रुपये हुए खर्च

नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के अनुसार सात चरणों में कराए जा रहे इस चुनाव का कुल खर्च 50 हजार करोड़ रुपये (सात अरब डॉलर) है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sun, 19 May 2019 05:00 PM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 08:17 AM (IST)
विश्‍व का सबसे महंगा भारत का लोकसभा चुनाव, अमेरिका छूटा पीछे, जानिए- कितने रुपये हुए खर्च
विश्‍व का सबसे महंगा भारत का लोकसभा चुनाव, अमेरिका छूटा पीछे, जानिए- कितने रुपये हुए खर्च

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का 17वां लोकसभा चुनाव दुनिया का सबसे खर्चीला चुनाव है। नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के अनुसार सात चरणों में कराए जा रहे इस चुनाव का कुल खर्च 50 हजार करोड़ रुपये (सात अरब डॉलर) है। ओपेन सीक्रेट. ओआरजी के अनुसार 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का खर्च इससे कम करीब 6.5 अरब डॉलर था।

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40 फीसद इजाफा
सीएमएस के अनुमान के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनाव का खर्च करीब 5 अरब डॉलर था। पांच साल बाद 2019 में हो रहे 17वें लोकसभा चुनाव में इस खर्च में 40 फीसद इजाफा हो चुका है।

प्रति वोटर आठ डॉलर खर्च
जिस देश की साठ फीसद आबादी तीन डॉलर प्रतिदिन पर गुजारा करती है, उसमें प्रति मतदाता औसतन आठ डॉलर का खर्च लोकतंत्र को मुंह चिढ़ाता है। सर्वाधिक खर्च सोशल मीडिया, यात्राएं और विज्ञापन के मद में किया जाता है। 2014 में सोशल मीडिया पर महज 250 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, इस बार यह खर्च बढ़कर पांच हजार करोड़ रुपये जा पहुंचा है।

विज्ञापन पर खर्च
जेनिथ इंडिया के अनुसार 17वें लोकसभा चुनाव में 26 अरब रुपये सिर्फ विज्ञापन के मद में खर्चे जा सकते हैं। चुनाव आयोग के अनुमान के मुताबिक 2014 में दोनों मुख्य पार्टियों ने विज्ञापन पर करीब 12 अरब रुपये खर्च किए थे।

खर्च सीमा
राज्यों के हिसाब से लोकसभा चुनाव में कोई प्रत्याशी 50 लाख से 70 लाख के बीच खर्च कर सकता है। अरुणाचल प्रदेश, गोवा और सिक्किम को छोड़कर कोई भी उम्मीदवार किसी भी प्रदेश में अपने चुनाव प्रचार में अधिकतम 70 लाख खर्च कर सकता है। ऊपर के तीनों राज्यों में खर्च सीमा 54 लाख है। दिल्ली के लिए यह सीमा 70 लाख जबकि अन्य संघ शासित प्रदेशों के लिए 54 लाख है। विधानसभा चुनावों के लिए यह सीमा 20 लाख से 28 लाख के बीच है। इनमें किसी भी उम्मीदवार के चुनाव प्रचार में शामिल कुल खर्च होता है चाहे वह उसका कोई समर्थक खर्च करे या फिर राजनीतिक दल। चुनाव के पूरा होने के बाद सभी उम्मीदवारों को अपने खर्च का विवरण 30 दिनों के भीतर चुनाव आयोग को देना होता है।

बढ़ता चुनाव खर्च
चुनाव आयोग के अनुसार पहले तीन लोकसभा चुनावों का खर्च 10 करोड़ रुपये से कम या उसके बराबर था। इसके बाद 1984-85 में हुए आठवें लोकसभा चुनाव तक कुल खर्च सौ करोड़ रुपये से कम था। 1996 में 11वें लोकसभा चुनाव में पहली बार खर्च में पांच सौ करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया। 2004 में 15वें लोकसभा चुनाव तक यह खर्च एक हजार करोड़ रुपये को पार कर गया। 2014 में खर्च 3870 करोड़ रुपये 2009 के खर्च से करीब तीन गुना अधिक था।

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