Loksabha election 2019: पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ममता को छोड़ माकपा से मिलाएगी हाथ
प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से माकपा से गठबंधन की मंजूरी मिल गई है और माकपा के साथ बेहतर रिश्ते व गठजोड़ की पहल भी शुरू हो गई है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। एक ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र की मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपना समर्थन देते हैं तो वहीं दूसरी ओर राज्य की सियासत में उलट स्थिति देखने को मिलती है।
प्रदेश कांग्रेस के नेता खुलेआम सड़क से लेकर संसद तक ममता के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। इसी बीच विधानसभा के तर्ज पर ही एक बार फिर वाम दल के साथ गठबंधन की गांठ मजबूत कर कांग्रेस राज्य में लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयार में है।
प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से इस गठबंधन की मंजूरी मिल गई है और माकपा के साथ बेहतर रिश्ते व गठजोड़ की पहल भी शुरू हो गई है। लेकिन, इस बार गठबंधन के गणित में कुछ तब्दीलियां नजर आने वाली हैं, क्योंकि गठबंधन की गांठ के मध्य में फॉर्मूला 28-14 पर चर्चा सबसे अहम है।
साल 2016 के विधानसभा चुनाव के बाद माकपा-कांग्रेस गठबंधन की गांठ कमजोर होते नजर आई और दोनों पार्टियों ने विधानसभा, लोकसभा व नगरपालिकाओं के उपचुनाव में अलग-अलग उम्मीदवार भी उतारे। ऐसे में दोनों पार्टियों की स्थिति यह रही है राज्य की सियासत में इनका पायदान लगातार खिसकता गया। ऐसे में भाजपा नंबर दो पार्टी के रूप में उभर कर आई।
इस स्थिति से माकपा और कांग्रेस दोनों ही अवगत है। उन्हें पता है कि अगर दोनों पार्टियां लोकसभा चुनाव में साथ मिलकर लड़ते हैं तो उन्हें कुछ हद तक कामयाबी मिल सकती है। यही वजह है कि दोनों पार्टियां लोकसभा चुनाव में गठबंधन के लिए उत्सुक हैं।
उधर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से चर्चा के बाद मिली सहमति के बाद प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व की ओर से माकपा नेताओं से प्रारंभिक चर्चा शुरू हो गई है। लेकिन, इन सब के बीच अहम सवाल यह उठता है कि गठबंधन की धरातल आखिरकार क्या होगी?
सूत्रों की माने तो साल 2016 की विधानसभा के तर्ज पर लोकसभा में गठबंधन की संभावना नहीं के बराबर है। उधर, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि साल 2016 के विधानसभा में एक तो कम सीटें मिली व जो सीटें उन्हें दी गई, वहां जीत की संभावना न के बराबर थी। इसलिए लोकसभा में संख्या को आगे रखते हुए माकपा के साथ प्रदेश कांग्रेस गठबंधन करना चाहती है। राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में कांग्रेस 14 सीटें चाहती है, लेकिन माकपा इसके लिए तैयार नहीं है।
वाममोर्चा की माने तो दस सीटों से अधिक कांग्रेस को नहीं दी जा सकती हैं। इसी बीच उत्तर कोलकाता सीट पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार देना चाहती है। दोनों ही पार्टी के नेताओं का कहना है कि लोकसभा सीट पर जहां जिस पार्टी के सांसद रहे हैं, वहां उसी पार्टी के उम्मीदवार खड़े होंगे।
गौरतलब है कि साल 2014 में कांग्रेस ने उत्तर-दक्षिण मालदा, बहरामपुर और जंगीपुर सीट पर जीत हासिल की तो वहीं रायगंज और मुर्शिदाबाद सीट पर माकपा का कब्जा रहा। हालांकि, कांग्रेस रायगंज लोकसभा क्षेत्र से दीपा दासमुंशी को उम्मीदवार बनना चाहती है, लेकिन माकपा इस सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। क्योंकि, इस सीट से मोहम्मद सलीम ने साल 2014 में जीत दर्ज की है।
खैर, दोनों ही पार्टियों की ओर से सूची बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। हालांकि, शुरुआती बातचीत शुरू हो गई है, बावजूद इसके टेबल पर बैठने से पहले दोनों ही पार्टी के नेता सभी बिन्दुओं पर विचार कर रहे हैं। आगामी 21 फरवरी को कांग्रेस राज्य की कुल 42 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची के साथ बैठक में शामिल होगी और उसी दिन यह तय हो पाएगा कि आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और माकपा किन-किन सीटों पर साथ लड़ेंगे।