तमिलनाडु: लोकसभा चुनाव में होगा चतुष्कोणीय मुकाबला
तमिलनाडु की जातिवादी गुत्थियों में उलझे ये लोकसभा चुनाव कुछ नए कारणों से चतुष्कोणीय मुकाबले में तब्दील हो चुके हैं।
चेन्नई, आइएएनएस। तमिलनाडु की जातिवादी गुत्थियों में उलझे ये लोकसभा चुनाव कुछ नए कारणों से चतुष्कोणीय मुकाबले में तब्दील हो चुके हैं। राज्य में इन चार दिशाओं का प्रतिनिधित्व अन्नाद्रमुक के नेतृत्व वाली नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस अब भाजपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है।
अन्नाद्रमुक के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस के इस गठजोड़ के घटक दलों में भाजपा के अलावा, पट्टाली मक्कल काची, विजयकांत की देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कषगम और तीन अन्य दल शामिल हैं। वहीं द्रमुक और कांग्रेस के गठबंधन में वाइको की एमडीएमके, मुस्लिम लीग और वाम दल शामिल हैं। जबकि इस बार फिल्म अभिनेता कमल हासन ने फिल्म जगत से राजनीति में कदम रखते हुए अपनी नई पार्टी मक्कल निधि मायम और अन्नाद्रमुक से अलग होकर बनी टीटीवी दिनाकरण की भी पार्टी शामिल है।
सीएसडीएस के शोध के अनुसार वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में जाति और समुदाय के वोटिंग पैटर्न के मुताबिक अन्नाद्रमुक का ही बोलबाला रहा था। राज्य में 39 लोकसभा सीटों में से 37 अन्नाद्रमुक ने जीती थीं।
पिछले चुनाव में जयललिता के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक को 44 फीसद वोट मिले थे। इसमें पार्टी को थेवर समुदाय के 50 फीसद, उदयारों के 60 फीसद मत मिले थे। उसे वानियार समुदाय के 40 फीसद मत मिले थे। अन्नाद्रमुक को 44 फीसद मुदलियार, 49 फीसद अन्य ओबीसी और 42 फीसद मुस्लिम वोट मिले थे। पार्टी को यह फायदा ओबीसी मतों को अपनी तरफ करने से हुआ था।
दूसरी ओर, द्रमुक को अधिकतम 47 फीसद समर्थन उच्च जातियों जिसमें सर्वाधिक मुदलियर (34 फीसद) मिला था। जबकि 31 फीसद मुसलमानों ने वोट किया था। भारतीय जनता पार्टी ने सिर्फ कन्याकुमारी की सीट जीती थी। यहां से पुन राधाकृष्णन को 1.26 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल हुई थी। उन्हें सबसे अधिक समर्थन थेवरों और उदयार (35-35 प्रतिशत) मिला था। ईसाई मछुआरों और नादर जाति के अलावा, वान्नियार (40 फीसद) का भी समर्थन मिला था।