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Lok Sabha Election 2019: आदिवासियों पर अब तक नहीं चढ़ा चुनावी बुखार

यह इलाका राजमहल लोकसभा क्षेत्र में आता है्।शाम के लगभग साढ़े पांच बज रहे हैं। हाट पूरे शवाब पर है।

By SunilEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 03:37 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 03:37 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019:  आदिवासियों पर अब तक नहीं चढ़ा चुनावी बुखार
Lok Sabha Election 2019: आदिवासियों पर अब तक नहीं चढ़ा चुनावी बुखार

साहिबगंज, जेएनएन। साहिबगंज जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर बांझी बाजार पार करने व कई गांवों से गुजरने के बाद साहिबगंज-गोविंदपुर रोड से कुछ दूरी पर बोरियो हाट है। यह इलाका राजमहल लोकसभा क्षेत्र में आता है्।शाम के लगभग साढ़े पांच बज रहे हैं। हाट पूरे शवाब पर है। हाट के एक किनारे आदिवासी कला एवं सांस्कृतिक केंद्र का भवन दिखता है जिसके ताले पर धूल की परत जमी हुई है। यानी यह लंबे समय से खुला ही नहीं है।
ग्राम पंचायत भवन एवं बोरियो डाक बंगला दूसरी ओर दिखता है। हाट के परिसर में ही बोरियो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जहां वाहन लगे हैं। कुछ नर्स चहलकदमी कर रही हैं। राजमहल लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार प्रारंभ हो गया है। प्रत्याशी घर घर जाकर चुनाव प्रचार पर भले ही जोर दे रहे हैं परंतु मतदाताओं में खामोशी है। हाट में खरीदारी करने पहुंचे कुछ आदिवासियों ने पूछने पर कहा कि गांव में बैठक करेंगे। तब विचार करेंगे कि किस प्रत्याशी को वोट डालेंगे। हाट में पोचई शराब पीने वालों की भीड़ है, पर चुनाव का नशा अभी तक चढ़ा नहीं है। यहां सामान खरीदने के लिए बोआरीजोर व तीनपहाड़ तक से आदिवासी पहुंचते हैं।

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हाट में प्रवेश करने पर होपना हेम्ब्रम मिल जाते हैं जो माइसोल गांव से हर हाट में आकर महुआ से बनी पोचई शराब बेचते हैं। उनके पास ही बनगामा की बिटी सोरेन भी पोचई बेचती हैं। जब पूछा गया कि महुआ शराब क्यों बेचते हैं तो बताते हैं कि साहब गरीबी है क्या करेंगे। पोचई नहीं बेचेंगे तो पेट कैसे भरेगा। यह कुरेदने पर भी लोकसभा चुनाव में वोट किसे करेंगे तपाक से कहते हैं कि जो उनके दुख दर्द में साथ होगा। हाट में खरीदारी करने आए रानीडीह गांव के अजय राय मरांगटांड गांव के बगराई सोरेन, विशनपुर गांव के जॉन हेम्ब्रम एवं कारीकांदर गांव के विजय हेम्ब्रम भी मिल जाते हैं। वे सभी बैठकर पोचई पी रहे हैं और आपस में दुख दर्द बांट रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि मतदान किसे करेंगे तो वे एक दूसरे को देखने लगे। फिर पूछा आप कौन हैं? पार्टी वाले हैं क्या? यह बताने पर भी अखबार वाले हैं, सभी ने कह दिया कि अभी सोचे नहीं हैं। गांव में प्रत्याशी के आने के बाद मीटिंग करेंगे, तब मतदान के बारे में सोचेंगे।

बोरियो हाट में ही ठेला पर एक युवक अंगूर, सेव, नारंगी, केला बेच रहा है। पूछने पर उसने अपना नाम मंसूर अंसारी बताया। मंसूर युवा मतदाता है। उसने बताया कि वह प्रत्येक हाट में यहां आता है। पास ही घर है। ठेला पर फल बेचता है। उसने भी यही जवाब दिया की अभी वोट को लेकर फाइनल नहीं किया है। हाट में करेला, भिंडी व परवल सभी सब्जी 30 रुपये किलो बिक रही थी। सब्जी बेचने वाले के दुकान पर सब्जी खरीद रहे आदिवासियों ने वोट करने को लेकर पूछने पर चुप्पी साध ली। हालांकि यह पूछने पर कि पिछले लोकसभा चुनाव में किसे वोट दिया था सभी ने विजय हांसदा का नाम लिया।

बोरियो हाट में ही डाॅ. प्रकाश सोरेन से भेंट होती है। वे बताते हैं कि यहां विजय के चाहने वालों की संख्या ज्यादा है। उन्होंने लगे हाथ विधानसभा क्षेत्र का आंकड़ा भी बता दिया कहा कि बोरियो विधानसभा क्षेत्र में 2,47,326 वोटर हैं। ज्यादातर आदिवासी हैं। हाट में ही ताला हांसदा भी मिलते हैं। वे खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हुए कहते हैं कि मुद्दा ज्यादा जल, जंगल व जमीन से जुड़ा है। मोर्शाद अली व जॉन मरांडी का कहना है कि जमीन व जंगल की रक्षा भाजपा राज में नहीं हो रही है। आदिवासी बताते हैं कि सिदो-कान्हू ने अंग्रेजों के खिलाफ जमीन की लड़ाई लड़ी थी जिसको लेकर झामुमो लड़ रहा है।
वहीं कुछ दुकानदार हाट में ऐसे भी हैं जो भाजपा के पक्ष में दिखते हैं। कहते हैं मोदी को देखकर चुनाव में वोट करेंगे। बोरियो हाट सलीके से लगा है। बाजार से कुछ अलग हटकर महुआ पोचई शराब बिक रही हैं, जहां सबसे ज्यादा भीड़ है। इसके बाद मीट की दुकान, मछली बाजार व रोजमर्रा की खरीदारी की दुकान भी लगी है जहां दूर दराज से आए लोग सामानों की खरीदारी में मशगूल दिखते हैं। आदिवासियों के लिए साप्ताहिक हाट एक दूसरे से मिलकर दुख दर्द बांटने का मौका लेकर आता है। शाम गहराने लगी है। हाट के दुकानदार भी धीरे-धीरे अपना सामान समेटने में लगे हैं। हम भी अपने वाहन पर सवार होकर वापस साहिबगंज लौट जाते हैं।

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