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Loksabha Election 2019: कांग्रेस ने कहा 'हार्दिक' स्वागत, क्या गुजरात में बनेंगे खेवनहार

हार्दिक पटेल के चुनाव लड़ने पर फिलहाल कानूनी संशय है। उधर कांग्रेस के पुराने नेता लगातार पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं। ऐसे में हार्दिक कितना कमाल दिखा पाएंगे पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 01:09 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 08:51 AM (IST)
Loksabha Election 2019: कांग्रेस ने कहा 'हार्दिक' स्वागत, क्या गुजरात में बनेंगे खेवनहार
Loksabha Election 2019: कांग्रेस ने कहा 'हार्दिक' स्वागत, क्या गुजरात में बनेंगे खेवनहार

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Election 2019) की घोषणा के साथ ही कांग्रेस ने अपनी आगामी रणनीति को आकार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गढ़, गुजरात से शुरूआत कर दी है। पार्टी 58 साल बाद आज (12-मार्च-2019) राहुल गांधी की अध्यक्षता में अहमदाबाद में कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक कर रही है।

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बैठक में राहुल गांधी के साथ यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत तमात बड़े नेता शामिल हैं। इसी बैठक में गुजरात के 26 वर्षीय पाटीदार नेता हार्दिक पटेल आधिकारिक तौर पर कांग्रेस में शामिल हो गए। इससे पहले कांग्रेस ने गुजरात के भावनगर में 1961 में CWC बैठक की थी।

हार्दिक पटेल ने 10 मार्च को ही ट्वीट कर बता दिया था कि वह 12 मार्च को कांग्रेस में शामिल होंगे। उन्होंने ट्वीट किया था ‘देश और समाज सेवा के मकसद से अपने इरादों को मूर्तरूप देने के लिए मैं 12 मार्च को राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल होऊंगा।’ गुजरात में पाटीदारों का कई सीटों पर प्रभुत्व है। इसलिए कांग्रेस हार्दिक पटेल के जरिए आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने का प्रयास करेगी। इससे गुजरात में भाजपा की चिंताए भी बढ़ी हुई हैं।

पाटीदार आंदोलन के जनक
हार्दिक पटेल का जन्म 20 जुलाई 1993 को गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था। उन्हें गुजरात में पाटीदार आंदोलन का जनक माना जाता है। वह पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (PAAS) के संयोजक भी हैं। हार्दिक पटेल उस वक्त राजनीतिक चर्चा में आए, जब उन्होंने 25 अगस्त 2015 को गुजरात में पटेल समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिलाने के लिए विशाल आंदोलन की शुरूआत की थी। इस दौरान उन्होंने भूख हड़ताल भी की थी।

9 सितंबर 2015 को हार्दिक ने पटेल नवनिर्माण सेना का गठन किया, जिसका उद्देश्य पाटीदार, कुर्मी और गुज्जरों को आरक्षण दिलवाना था। इस संगठन के बैनर तले उन्होंने देश के दूसरे राज्यों में भी आरक्षण की मुहिम चलाई। इस तरह से वह उन्होंने देश की राजनीति में अपनी पहचान बनाई। इससे पहले हार्दिक पटेल ने 31 अक्टूबर 2012 को युवा पाटीदार समुदाय का सरदार पटेल ग्रुप ज्वाइन किया था।

हार्दिक के चुनाव लड़ने पर कानूनी संशय
आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस, हार्दिक पटेल को पार्टी में शामिल तो कर रही है, लेकिन उनके चुनाव लड़ने पर कानूनी संशय बना हुआ है। दरअसल गुजरात के महेसाणा जिले में एक रैली के दौरान हुई हिंसा और स्थानीय भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय पर हमला करने पर, 25 जुलाई 2018 को स्थानीय न्यायालय ने हार्दिक पटेल को दो साल कारावास की सजा सुनाई है। हार्दिक पटेल फिलहाल जमानत पर हैं। नियमानुसार ऐसा नेता जिसे न्यायालय से दो साल या इससे अधिक की सजा मिली हो, वह सजा के दौरान चुनाव नहीं लड़ सकता है। हार्दिक पटेल ने गुजरात हाईकोर्ट में स्थानीय न्यायालय के सजा के आदेश पर रोक लगाने के लिए अपील की है। हाईकोर्ट ने अभी इस पर कोई फैसला नहीं सुनाया है। गुजरात हाईकोर्ट अगर उन्हें बरी नहीं करता है तो वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

अपने ही छोड़ रहे कांग्रेस का साथ
एक तरफ कांग्रेस गुजरात में हार्दिक पटेल को साथ लाकर लोकसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के प्रयास में जुटी है, दूसरी तरफ पार्टी के नेता लगातार उनका साथ छोड़ रहे हैं। पिछले चार दिनों में कांग्रेस के तीन विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। CWC बैठक से एक दिन पहले (सोमवार) को जामनगर (ग्रामीण) के विधायक वल्लभ धारविया ने भी पार्टी से इस्तीफे दे दिया। जनवरी से अब तक धारविया पांचवें कांग्रेस विधायक हैं, जिन्होंने पार्टी का साथ छोड़ा है। इससे पहले आठ मार्च को ध्रांगधरा के विधायक परषोत्तम सबारिया और माणवदर के कांग्रेसी विधायक जवाहर चावड़ा ने भी विधायन सभा से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था।

हार्दिक पटेल का काट तलाश रही भाजपा
हार्दिक पटेल के कांग्रेस में शामिल होने से राज्य में भाजपा की चिंताएं भी बढ़ी हैं। लिहाजा, भाजपा ने हार्दिक पटेल की काट तलाशनी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि अगर हार्दिक पटेल को गुजरात हाईकोर्ट से क्लीन चिट मिली तो वह जामनगर से चुनाव लड़ेंगे। अगर वह खुद नहीं भी लड़ सके तो यहां से उनकी पसंद का कोई नेता चुनाव लड़ सकता है। जामनगर लोकसभा के तहत 7 विधानसभा सीटें हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इनमें से चार और भाजपा ने तीन सीटें जीती थीं।

इसे देखते हुए भाजपा ने जामनगर सीट पर हार्दिक पटेल को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। इस सीट पर पटेल के अलावा सतवरा, अहिर, मुसलमान, अनुसूचित जाति-जनजाति और क्षत्रिय बाहुल्य मतदाता हैं। इसे देखते हुए भाजपा यहां जातिगत समीकरण को मजबूत करने में जुटी हुई है। कांग्रेस विधायक वल्लभ धारविया का इस्तीफा और जामनगर विधायक धर्मेंद्र सिंह जडेजा को विजय रुपानी सरकार के मंत्रीमंडल में शामिल करना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। क्रिकेटर रवीन्द्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा भी कुछ दिनों पहले ही भाजपा में शामिल हो चुकी हैं।

कितना कमाल दिखा पाएंगे हार्दिक
मालूम हो कि जामनगर सीट से भाजपा के चंद्रेश कोराडिया को 1989 से 1999 के बीच लगातार पांच बार जीत मिली थी। कांग्रेस यहां पर दो बार 2004 व 2009 में जीती है। हार्दिक के आंदोलन का असर पिछले विधानसभा चुनाव में दिखा था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण देकर मोदी सरकार पहले ही आरक्षण के मुद्दे पर बढ़त हासिल कर चुकी है। उधर हार्दिक पटेल के कडवा समुदाय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाल में एक मंदिर की नींव रखने के लिए आमंत्रित किया था, जो बताया है कि ये समुदाय फिर से भाजपा के साथ आ चुका है। ऐसे में हार्दिक पटेल गुजरात में कितना कमाल दिखा सकेंगे, इस पर संशय बना हुआ है।


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