LokSabha Election 2019: खुद को साबित करने के लिए हेमलाल को एक अदद जीत की तलाश
हेमलाल 1990 में झामुमो के टिकट पर बरहेट से पहली बार विधायक चुने गए। 1995 व 2000 में भी वे विधायक चुने गए। 2004 में झामुमो के टिकट पर राजमहल लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने।
साहिबगंज, जेएनएन। राजमहल लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू की पहचान सूबे के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वे झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के संघर्ष के दिनों के साथी रहे। झामुमो के टिकट पर तीन बार विधायक व एक बार सांसद रहे। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन से मतभेद के बाद 2014 में झामुमो छोड़ दिया। भाजपा के टिकट पर 2014 में राजमहल लोकसभा क्षेत्र से भाग्य आजमाया। 3.40 लाख वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे।
इससे पहले वे 1990 में झामुमो के टिकट पर बरहेट से पहली बार विधायक चुने गए। 1995 व 2000 में भी वे विधायक चुने गए। 2004 में झामुमो के टिकट पर राजमहल लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने। 2009 में झामुमो के टिकट पर पुन: मैदान में उतरे लेकिन दूसरे स्थान पर रहे। 2014 में वे पुन: झामुमो से लोकसभा चुनाव लडऩा चाहते थे, बावजूद पार्टी ने टिकट नहीं दिया। तब भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा से मैदान में उतरे। बावजूद दूसरे स्थान पर रहे। 2014 में ही पुन: बरहेट विधासभा क्षेत्र से चुनाव लड़े। यहां हेमंत सोरेन के सामने थे। इस बार भी हार गए। लिट्टीपाड़ा विधायक अनिल मुर्मू के निधन की वजह से हुए उपचुनाव में भाजपा ने प्रत्याशी बनाया। इस बार भी उन्हें सफलता नहीं मिली। अभी वे भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। वे चौथी बार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। उम्मीदवार बनने के बाद रविवार को वे बोआरीजोर प्रखंड के लोहंडिया बाजार के काली मंदिर गए। पूजा की। तत्पश्चात चुनावी दौरा भी शुरू कर दिया। उनका कहना था कि क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बेरोजगारी जैसी समस्याओं को दूर करना ही मकसद है।
भाजपा प्रत्याशी के रूप में हेमलाल 2014 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव तथा पाकुड़ उप चुनाव हार चुके हैं। खुद को साबित करने के लिए हेमलाल को एक अदद जीत की जरूरत है। भाजपा ने एक बार फिर भरोसा जताते हुए राजमहल लोकसभा चुनाव मैदान में उतार दिया है।