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झारखंड में महागठबंधन पर भारी 'महत्वाकांक्षा’, एक सीट के लिए बाहर हो सकते हैं बाबूलाल?

झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राजद और वामदल रहेंगे एक साथ। समरी-वोट प्रतिशत में फिसड्डी दल भी नारा दे रहे अबकी बार, मेरी सरकार। भाजपा के खिलाफ महागठबंधन की कवायद को झटका।

By Amit SinghEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 12:18 PM (IST)Updated: Sun, 10 Feb 2019 10:38 AM (IST)
झारखंड में महागठबंधन पर भारी 'महत्वाकांक्षा’, एक सीट के लिए बाहर हो सकते हैं बाबूलाल?
झारखंड में महागठबंधन पर भारी 'महत्वाकांक्षा’, एक सीट के लिए बाहर हो सकते हैं बाबूलाल?

रांची [जागरण स्पेशल]। लोकसभा चुनावों के लिए झारखंड में बने महागठबंधन को झटका लग सकता है। भाजपा को मात देने के लिए बने विपक्षी दलों के आधे-अधूरे महागठबंधन पर नेताओं की महत्वाकांक्षा हावी हो रही है। झारखंड में विपक्षी महागठबंधन के फार्मूले को लेकर नाराज पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। बाबूलाल मरांडी तीन सीटों कोडरमा, गोड्डा और पलामू के लिए अड़े हैं। वहीं महागठबंधन के भीतर उन्हें गोड्डा छोड़कर बाकी दोनों सीटें देने पर सहमति बनी है।

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बाबूलाल मरांडी महागठबंधन के नेतृत्व को लेकर भी संशय में हैं। गुरुवार को नई दिल्ली में जैसे ही महागठबंधन का एलान हुआ, झारखंड विकास मोर्चा के प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने तेवर कड़े कर लिए। बाबूलाल जहां आम चुनाव में तीन सीटें लेने पर अड़े हैं, वहीं वे विधानसभा चुनाव में खुद को बतौर सीएम प्रोजेक्ट करना चाहते हैं।

इसके विपरीत महागठबंधन का फार्मूला इस आधार पर तय किया गया है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और विधानसभा चुनाव में झामुमो के हाथों में नेतृत्व रहेगा। नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और हेमंत सोरेन की बीच हुई मुलाकात और सीटों पर आपसी सहमति से भी वे नाराज हैं। अगर उनकी नाराजगी बरकरार रही तो वे अलग भी किए जा सकते हैं। महागठबंधन में शामिल दलों ने संकेत दिया है कि उन्हें दो से ज्यादा सीटें देने पर सहमति नहीं बनेगी।

बाबूलाल को हर हाल में चाहिए गोड्डा सीट
सबसे ज्यादा खींचतान वाली सीट गोड्डा है। कांग्रेस के पूर्व सांसद फुरकान अंसारी इसे लेकर बगावती मूड में हैं, जबकि झारखंड विकास मोर्चा ने भी इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना रखा है। बाबूलाल मरांडी अपने खास सिपहसालार प्रदीप यादव के लिए गोड्डा सीट चाहते हैं। कांग्रेस किसी हाल में यह सीट नहीं छोडऩा चाहती है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने दो टूक कहा है कि पिछले चुनाव में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी फुरकान अंसारी ने यहां बेहतर प्रदर्शन किया था। यह सीट कांग्रेस कोटे की है और पार्टी इसे झारखंड विकास मोर्चा के लिए नहीं छोड़ेगी। ऐसे में ये सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।

इधर डैमेज कंट्रोल की कोशिश भी, मनाने का दौर
कांग्रेस ने गुरुवार को डैमेज कंट्रोल की कोशिश भी की। प्रदेश अध्यक्ष डा. अजय कुमार और प्रभारी आरपीएन सिंह के निर्देश पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय बाबूलाल को मनाने पहुंचे। डिबडीह स्थित झाविमो के दफ्तर में दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई। सुबोध कांत सहाय ने कहा है कि झारखंड में कांग्रेस, जेएमएम, जेवीएम और राजद का महागठबंधन एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेगा। महागठबंधन का उद्देश्य भाजपा के झूठ के साम्राज्य को ध्वस्त करना है। इसमें सभी घटक दल एकजुट हैं। उधर प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर ने कहा कि बाबूलाल मरांडी राज्य के सम्मानित नेता हैं। विपक्षी महागठबंधन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। विवाद को आपसी समझ से सुलझा लिया जाएगा।

महागठबंधन पर भारी 'महत्वाकांक्षा’
महागठबंधन की महत्वाकांक्षा का आलम ये है कि कांग्रेस की नजर ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें लेने की है। वहीं हेमंत सोरेन और बाबूलाल मरांडी की निगाहें सीएम कुर्सी पर टिकी है। हेमंत सोरेन विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा बनने की शर्त पर ही महागठबंधन में शामिल हुए हैं। कांग्रेस ने जब इसमें आनाकानी की तो झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन ने अकेले चुनाव लडऩे का शिगूफा छोड़ दिया। झामुमो को बिदकता देख कांग्रेस ने हेमंत सोरेन की नाराजगी दूर की तो अब बाबूलाल मरांडी खफा हो गए हैं। कुछ इलाकों में कद्दावर नेताओं ने भी बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है।

वोट शेयर के लिहाज से भाजपा सबसे आगे
वोट शेयर के लिहाज से भाजपा झारखंड में 31 फीसद मतों के साथ सबसे आगे है। झामुमो 20 फीसद, झाविमो 10 फीसद और कांग्रेस का वोट प्रतिशत 10 फीसद रहा है। ऐसे में बगैर पूर्ण एकजुटता के इनकी सत्ता पाने की तमन्ना धरी की धरी रह सकती है।

महागठबंधन से आएगी मजबूती : झामुमो
झामुमो के वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी ने महागठबंधन में खींचतान की स्थिति को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने विश्वास जताया कि जल्द हल निकल जाएगा। स्टीफन ने गठबंधन को सबसे बड़ी मजबूती बताया। उन्होंने कहा, सब मिलकर लड़ेंगे तो मजबूती आएगी, कोई कमजोर नहीं रहेगा। झामुमो विधायक कुणाल षाडंगी ने भी विश्वास जताया है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता महागठबंधन की गांठों को सुलझा लेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा सामूहिक उद्देश्य है और इस दिशा में हम सब आगे बढ़ रहे हैं। कहीं कोई छूट नहीं रहा है।

अब कुछ कहने का औचित्य नहीं : झाविमो
झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि गोड्डा सीट को लेकर हमारे नेता बाबूलाल मरांडी ने विस्तार से अपनी बात रख दी है। अब कुछ कहने का औचित्य नहीं है। गोड्डा सीट पर भाजपा को वहां वोटों के डिवीजन का लाभ मिलता रहा है। फुरकान अंसारी के राज्यसभा भेजने के सवाल पर प्रदीप यादव ने कहा कि बाबूलाल जी ने एक बात कही है कि वे राज्यसभा जाएंगे तो उनका सम्मान रहेगा। बाबूलाल की सोच है कि यूपीए मजबूत हो।प्रदीप ने यह भी कहा कि गोड्डा में मेरी पार्टी लड़ेगी।

कांग्रेस की नसीहत, बड़े उद्देश्य के लिए छोटी चीजें त्यागें
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व विधायक सुखदेव भगत ने कहा कि बड़े उद्देश्य के लिए छोटी-छोटी चीजों को हमें त्यागना होगा। महागठबंधन सिर्फ लोकसभा के लिए नहीं हुआ है। यह गठबंधन लंबे समय तक चलेगा। हमारे नेता राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर सभी चीजों को देख रहे है।

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