मिशन 2019: दुविधा में हैं मांझी, सता रहा है कुशवाहा और मुकेश सहनी का डर
लोकसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन में आपसी खींचतान जारी है। हम सुप्रीमो जीतनराम दुविधा में पड़े हुए हैं। मांझी को उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी का डर सता रहा है।
पटना [राज्य ब्यूरो]। जीतन राम मांझी एक बार फिर दुविधा में हैं। इस बार उनकी दुविधा की वजह बने हैं महागठबंधन में हाल ही में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और वीआइपी पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी।
एक सीट भी नहीं मिलने पर महागठबंधन का साथ नहीं छोडऩे का दंभ भरने वाले मांझी, कुशवाहा और सहनी के महागठबंधन से जुडऩे के साथ ही इस बात को लेकर सशंकित हो गए हैं कि की इन दो नेताओं की सीट में उनकी कुर्बानी न हो जाए।
इस खतरे को देखते हुए हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख मांझी ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि यदि उन्हें कुशवाहा और सहनी से कमतर आंका गया और कम सीटें ऑफर की गई तो उन्हें मजबूरन विकल्पों पर विचार करना होगा।
मंगलवार को पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में मांझी ने इस मसले को पार्टी नेताओं के बीच उठाया था। उन्होंने दल के नेताओं को अपनी आशंका से भी अवगत करा दिया। जिसके बाद पार्टी नेताओं ने उन्हें कोई भी फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया है।
कल तक मांझी के निकटस्थ रहे कुछ नेता बताते हैं कि मांझी को यह पता था कि राजद यादव, मुस्लिम के साथ ही कुछ अन्य पिछड़ी जातियों कोइरी, मल्लाह के अलावा अनुसूचित जाति के मतों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में है। ऐसे समय में यदि वे राजद के साथ खड़े होते हैं तो संबंधित जातियों का रुझान राजद की ओर हो सकता है।
मांझी मुसहर (भुइयां) जाति से आते हैं। बिहार में करीब 15.70 प्रतिशत अनुसूचित मतदाता हैं जिसमे मुसहर जाति का हिस्सा 17 फीसद के आस पास है। ये वोट राजद की सियासी ताकत बढ़ाने के लिए बेहद अहम हैं। मांझी ने महागठबंधन में शामिल होने का फैसला किया तो राजद ने भी उनका स्वागत किया।
मांझी को उम्मीद थी कि महागठबंधन की ओर से लोकसभा में उन्हें कम से कम तीन सीटें ऑफर होंगी। जाहिर है यदि ऐसा होता तो उनका राजनीतिक भविष्य सुरक्षित हो सकता था। परन्तु हाल ही में हुए राजनीतिक दलट-फेर ने मांझी के मनसूबों पर तो पानी फेरा ही उन्हें नए सिरे से महागठबंधन में शामिल होने के अपने फैसले पर सोचने के लिए मजबूर भी कर दिया है।
बहरहाल अपना कोई भी कदम उठाने से पहले मांझी राजद प्रमुख लालू प्रसाद से मुलाकात करेंगे। इसके लिए उन्हें तिथि भी तय कर रखी है। वह 23 को पार्टी के अन्य नेताओं के साथ रांची जाएंगे और राजद प्रमुख से मिलेंगे। इसके बाद विकल्पों पर अंतिम फैसला सुनाएंगे।