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लोकसभा चुनाव: महागठबंधन में बंद हुए सुलह के रास्‍ते, अब आरपार के आसार

आगामी लोकसभा चुनाव को ले बिहार में राजद और कांग्रेस में तनाव चरम पर दिख रहा है। इसका असर महागठबंधन पर पड़ा है। क्‍या है मामला जानने के लिए पढ़ें यह खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 10:41 PM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 06:00 PM (IST)
लोकसभा चुनाव: महागठबंधन में बंद हुए सुलह के रास्‍ते, अब आरपार के आसार
लोकसभा चुनाव: महागठबंधन में बंद हुए सुलह के रास्‍ते, अब आरपार के आसार
पटना [अरविंद शर्मा]। महागठबंधन में सीटों की दावेदारी को लेकर रस्साकशी आखिरी दौर में पहुंच गई है। राजद और कांग्र्रेस में आरपार के हालात हैं। मंगलवार को कुछ भी हो सकता है। किसी एक ने अगर जिद नहीं छोड़ी तो महागठबंधन का टूटना तय है। सुलह के रास्ते बंद हो गए हैं। बात विकल्प तक पहुंच गई है। सूत्रों का दावा है कि राजद ने तय कर लिया है कि कांग्रेस के लिए आठ सीटें छोड़कर बाकी 32 सीटों को साथी दलों में बांट लिया जाएगा। खाका तैयार कर लिया गया है। किसी भी वक्त इससे पर्दा हटा दिया जाएगा।
माले और भाकपा को भी साथ लेकर चलेंगे तेजस्वी
कांग्रेस को उसके हाल पर छोड़कर राजद के संभावित गठबंधन में साथी दलों को मनमाफिक सीटें मिल सकती हैं। प्रारंभिक फार्मूले के मुताबिक रालोसपा को पांच, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को तीन और एक नवादा विधानसभा सीट एवं विकासशील इंसान पार्टी को दो सीटें मिल सकती हैं। वामदलों से भी बातचीत जारी है। तेजस्वी लगातार दीपंकर भïट्टाचार्य के संपर्क में हैं। बात बनी तो माले को आरा और जहानाबाद की सीटें दी जा सकती हैं। भाकपा को भी एक बेगूसराय सीट देने के लिए तेजस्वी तैयार हैं। शरद यादव की पार्टी के लिए भी एक सीट छोड़ी जा सकती है।
कांग्रेस के रवैये से राजद बेहद नाराज
कांग्रेस से जुड़े सूत्र का दावा है कि राजद के रवैये से गठबंधन टूटने की आशंका बढ़ गई है। शीर्ष स्तर पर हस्तक्षेप नहीं हुआ तो यूपी और पश्चिम बंगाल की कहानी बिहार में भी दोहराई जा सकती है। हालात बता रहे कि महागठबंधन के घटक दल दो धड़ों में बंट गए हैं। दोनों अपने-अपने स्टैंड पर अड़े हैं। मामला तभी पटरी पर आ सकता है, जब राजद और कांग्रेस में से कोई एक अपनी जिद से पीछे हटे। दोनों इसके लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। बैठकें अलग-अलग हो रही हैं। दबाव की राजनीति चरम पर है।
कांग्रेस का कहना है कि वह 11 से कम पर वह तैयार नहीं होगी और राजद प्रमुख लालू प्रसाद का संदेशा है कि आठ से ज्यादा देना संभव नहीं है। मामला यही पर अटका है। कांग्रेस का दावा है कि राजद ने सोच-समझकर कांग्र्रेस के लिए 11 सीटों पर सहमति दी थी। अब उससे पीछे हटने का सवाल नहीं है। तल्खी के माहौल में कांग्रेस ने राजद को दो दिनों का वक्त दिया था, जिसमें अब कुछ ही घंटे शेष हैं।
क्यों नहीं बनी बात
कांग्रेस के 11 सीटों पर अड़े रहने और राजद के आठ से आगे नहीं बढऩे के कारण सोमवार की देर रात तक बात नहीं बनी। राहुल गांधी के दिल्ली से बाहर रहने के कारण तेजस्वी ने सोनिया गांधी से भी बात-मुलाकात की कोशिश की। तेजस्वी हफ्ते भर से दिल्ली में झंझट सुलझाने के लिए प्रयासरत हैं। गतिरोध बढ़ते देखकर मंगलवार को पटना आने वाले हैं। उपेंद्र कुशवाहा सोमवार शाम को ही लौट चुके हैं। प्रथम चरण के लिए चार लोकसभा क्षेत्रों में सोमवार से पर्चे भरे जाने शुरू हो गए हैं, किंतु महागठबंधन की गति ठहर गई है।
राजद ने भी बढ़ाया दबाव
इसके पहले कांग्रेस के दावे को खारिज करते हुए राजद ने उल्टे दबाव बढ़ा दिया। बिहार के झगड़े को झारखंड से भी जोड़ दिया। लोकसभा की 14 सीटों वाले राज्य झारखंड में एक सीट (चतरा) पर लगभग तैयार हो चुके राजद ने अपनी मांग की सूची में पलामू को भी शामिल कर लिया। बिहार में अपने साथी दलों को भी संकेत कर दिया है कि वे अपने-अपने स्तर से कांग्रेस पर दबाव बढ़ाए। इस बीच वामदलों ने भी दोनों बड़े दलों पर सीट बंटवारे का दबाव बनाया है। रोज-रोज के इंतजार से तंग आकर माले ने आरा में अपने प्रत्याशी राजू यादव के नाम का एलान कर दिया। भाकपा ने भी बेगूसराय में कन्हैया कुमार को प्रत्याशी बनाने के लिए दो-टूक कह दिया। 

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